भारत के लोग कई तरह के बिस्किट का आनंद लेते हैं. इस दौरान किसी को मिल्क बिस्किट पसंद आता है तो किसी को चॉकलेट बिस्किट. शाम की चाय के साथ स्नैक्स के तौर भारतीय नमकीन और बिस्किट खाना पसंद करते हैं. लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि किसी पड़ोसी देश का बिस्किट भारत में इतना ज्यादा मशहूर हो जाएगा कि लोग उसके पीछे दीवाने हो जाएंगे. जी हां बांग्लादेश के Pran फुड्स के Potata बिस्किट का भारत में कुछ इसी तरह का क्रेज देखने को मिल रहा है.
इस बिस्किट की पैकिंग देखकर ही लोगों का दिल इसपर आ जाता है. बिस्किट बिल्कुल गोल होते हैं. तो वहीं इनकी खासियत ये है कि, ये बिल्कुल पतले होते हैं जैसे की कोई चिप्स हों. और इन्हें आसानी से कोई भी एक बार में खा सकता है. ये बिस्किट्स इतने मुलायम हैं कि ये आपको मुंह में घुल जाते हैं. फिलहाल भारत में इन बिस्किट्स को साल 2019 से पसंद किया जा रहा है. वहीं कई लोग अब इसे लेकर ट्वीट भी कर रहे हैं.
क्या है Pran प्रोडक्ट्स की कहानी?
Pran प्रोडक्ट्स नॉर्थ ईस्ट और पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा उपलब्ध है. दशक पहले ही इन जगहों पर Pran प्रोडक्ट्स को लोगों ने पसंद करना शुरू कर दिया था खासकर कंपनी के रस्क बिस्किट. वहीं लिस्ट में पैकेट वाले झाल मुरी, इंस्टैंट नूडल्स और जूस भी शामिल थे. लेकिन पोटाटा एक ऐसा प्रोडक्ट है जिसे भारत के ज्यादातर शहरों में पसंद किया गया. इस प्रोडक्ट की मांग जयपुर से वेस्ट और फिर साउथ तक पहुंच गई है. Pran की पेरेंट कंपनी का नाम RFL ग्रुप है तो वहीं इसके चेयरमैन और सीईओ अहसान खान चौधरी हैं. अब यह कंपनी कृषि-प्रसंस्करण और कृषि मशीनरी निर्माण से लेकर स्टेशनरी और खिलौने बेचने तक हर चीज बेचती है.
2019-20 में कंपनी का राजस्व था 92.8 करोड़ रुपए
एक इंटरव्यू के दौरान जब जब चौधरी से पूछा गया कि, क्या वो बांग्लादेश के रिलायंस हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि, नहीं वो भारतीय कंपनी जितने बड़े नहीं है. कंपनी 100,000 से अधिक लोगों को रोजगार देती है और 145 देशों को प्रोडक्ट्स निर्यात करती है. साल 2019-20 में अकेले इसका निर्यात राजस्व 110 करोड़ टका (लगभग 92.8 करोड़ रुपए) से अधिक था.
चौधरी ने आगे बताया कि, भारत हमारे लिए बहुत बड़ा बाजार है. हम भारत के 700 गांवों में अपनी पहुंच चाहते हैं और प्रेरणा के लिए कॉरपोरेट इंडिया को देखते हैं. उन्होंने आगे कहा कि, हम इस बात पर फोकस करते हैं कि, हम कैसे अधिक संरचित बनें, किसी कंपनी को अधिक पेशेवर तरीके से कैसे चलाएं. हमारी इच्छा एक वैश्विक कंपनी बनने की है. सीमाएं अर्थहीन हैं. बता दें कि, साल 2015 में, कंपनी ने भारत में अपना पहला कारखाना-अगरतला, त्रिपुरा में स्थापित किया.
1981 में शुरू हुई थी कंपनी
प्राण-आरएफएल, जिसमें प्राण फूड्स एक सहायक कंपनी है, उसको चौधरी के पिता ने 1981 में बांग्लादेश की आजादी के एक दशक बाद शुरू किया था. बांग्लादेश की सेना में एक सेवानिवृत्त मेजर जनरल, अमजद खान चौधरी के पास एक मजबूत देशभक्ति की लकीर थी, उनके बेटे अहसान खान का कहना है कि वह युवा राष्ट्र को आर्थिक रूप से मजबूत और गरीबी से मुक्त देखना चाहते थे, और कृषि व्यवसाय के माध्यम से अपने किसानों को सशक्त बनाना उनकी दृष्टि थी. इसके बाद युवा अहसान चौधरी जिन्होंने अमेरिका के लोवा के वार्टबर्ग कॉलेग से ग्रैजुएशन किया है, वो कंपनी में उस वक्त शामिल हुए जब वो 21 साल के थे. इसके बाद उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों की मदद से कंपनी को कंज्यूमर फेसिंग और इनोवेटिव बनाना शुरू कर दिया.
बता दें कि जूनियर चौधरी नई चीजों को आजमाने और अपने कारखानों में उनकी नकल करने में काफी अच्छे हैं. चौधरी बताते हैं कि, जब मैं दक्षिण (भारत) में यात्रा करता हूं, तो मैं एमटीआर जैसी कंपनियों को खाने के लिए तैयार उपमा और इडली मिश्रण देखता हूं, जब मैं इंडिगो एयरलाइंस से यात्रा करता हूं, तो मुझे उनका उपमा और दाल-चावल दिखाई देता है जहां आप गर्म पानी डालते हैं. फिर मैं सोचता हूं कि, हम हम ऐसा कुछ कैसे बना सकते हैं?
पोटाटा बिस्किट के लिए चीन से मिली प्रेरणा
पोटाटा को लेकर चौधरी ने बताया कि, वो चीन में एक बार सफर कर रहे थे और उस दौरान उन्होंने एक बिस्टिकट को चखा जिसका स्वाद आलू के वेफर की तरह था. बांग्लादेश में वापस आने के बाद, उन्होंने अपने खाद्य वैज्ञानिकों को इसे रिवर्स-इंजीनियर करने के लिए कहा जिसमें आलू के फ्लेक्स, पेस्ट और टैपिओका स्टार्च कुछ फ्लेवर्स के साथ जोड़ा गया. वहीं बाद में गेहूं के आटे में इसे मिक्स किया गया जिससे इसे वेफर की तरह पतले बिस्किट बनाए गए. यहां इसका मकसद बिल्कुल आलू के पतले चिप्स की तरह रखने का था.
चौधरी जानते हैं कि वह भारत में ब्रिटानिया और आईटीसी जैसे उपभोक्ता सामान के दिग्गजों के प्रभुत्व वाले क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं, इन कंपनियों को लेकर उन्होंने कहा कि, उन्हें डर नहीं लगता है, वे बड़े हैं. मुझे उनसे बहुत कुछ सीखना है- और सिर्फ उनसे ही नहीं बल्कि पेपर बोट जैसी भारतीय कंपनियों से भी. अंत में चौधरी ने कहा कि, भारत काफी बड़ा देश है और मैं चाहता हूं कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक पोटाटा बिस्किट सभी के लिए उपलब्ध हों.