पगलैट, लूडो, मीनाक्षी सुंदरेश्वर, लव हॉस्टल एक के बाद एक अपने प्रोजेक्ट्स के लिए लगातार सराही जा रही अभिनेत्री सान्या मल्होत्रा जल्द ही नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम करने जा रही फिल्म कटहल में नजर आने वाली हैं. इस फिल्म के जरिए वह पहली बार पुलिस अधिकारी की भूमिका में नजर आएंगी. उनकी इस भूमिका, उससे जुड़ी तैयारी और कैरियर पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत…
कटहल में आप पहली बार पुलिस ऑफिसर की भूमिका में हैं, क्या खास तैयारी रही?
जब मैं महिमा के किरदार के लिए तैयारी कर रही थी, तो मैं किरदार को पकड़ नहीं पा रही थी. मैं दिल्ली में पली-बढ़ी हूं. काम के लिए मुंबई आयी. मैं कभी ग्वालियर या मध्यप्रदेश नहीं गयी हूं, तो मैंने फिल्म के निर्देशक यशोवर्धन मिश्रा से कहा कि क्या हम वहां जा सकते हैं और कुछ दिन वहीं रह सकते हैं. उन्होंने हम सभी के लिए वहां व्यवस्था की. हमें वहां महिला पुलिस इंस्पेक्टरों से मिलने और उनके साथ समय बिताने का भी मौका मिला. हमने देखा कि कैसे वे थाने में मामलों को सुलझाती और संभालती हैं. मैं पुलिस बल की महिलाओं से बहुत प्रेरित हुई. मुझे यह एहसास हुआ कि जिस यूनिफॉर्म से हम इन महिलाओं से डरते हैं, उसके आगे भी एक जिंदगी होती है. जब वे थाने में मामले सुलझा रही होती हैं, तो भी उनके बच्चों ने रात का खाना खाया है या नहीं, इसकी भी वह जानकारी ले रही थी. आमतौर पर पुलिस वर्दी पहनने के बाद महिला किरदार को भी मर्दाना दृष्टिकोण से दर्शाने की परम्परा हमारी फिल्मों में रही है, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं होता है. महिला पुलिस अधिकारी सहृदय हो सकती है. एक आम महिलाओं वाले स्वभाव होते हुए भी वह केसेज सॉल्व कर सकती है. कटहल में अपने पुलिस के किरदार को. मैंने उसी दृष्टिकोण को रखते हुए जिया है.
इस किरदार से जुड़ी सबसे बड़ी चुनौती क्या थी?
भाषा को लेकर शुरुआत में मुझे बहुत दिक्कत हो रही थी. मैं उसे ठीक से पकड़ नहीं पा रही थी. मुझे उसका सारा श्रेय अपने डिक्शन कोच नेहा सराफ को देना है. मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है. मैंने लगातार दो दिनों तक नेहा सराफ से काफी बातचीत की. इससे मुझे काफी मदद मिली. वह बुंदेलखंड से हैं. वह सही बोली जानती हैं,इसलिए मैं उनसे लगातार बातचीत करती रहती थी.
आपकी इस फिल्म में राजपाल यादव और विजय राज जैसे मंझे हुए एक्टर हैं, जिनको कॉमेडी में महारत हासिल है, ऐसे में उनके साथ कॉमेडी करना कितना मुश्किल था?
हां यह बहुत कठिन और अधिक चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि मैं राजपाल यादव, विजय राज सर जैसे वरिष्ठ अभिनेताओं के साथ काम कर रही हूं, लेकिन जब आपके आस-पास इतने अच्छे अभिनेता हैं, तो आपको तैयारी करने की आवश्यकता नहीं होती है, आपको बस उन्हें ध्यान से सुनना होगा और उन पर प्रतिक्रिया देनी होगी वरना आप उस सीन को खास बनाने का मौका गंवा देंगे. जहां तक बात कठिनाई और चुनौती की है, तो जब हम सीन कर रहे थे, तो इन दिग्गज एक्टर्स की परफॉरमेंस देखकर आपकी हंसी रुक नहीं पाती है. कई बार मैंने हंस कर सीन खराब कर दिए थे, तो बस वो कंट्रोल करना पड़ता था.
फिल्म दो कटहल के चोरी हो जाने की बात करती है, क्या आपने जीवन में कभी कोई कीमती चीज खोई है?
मैं अक्सर अपनी कीमती सामान खो देती हूं. ग्वालियर में जब मैं कटहल फिल्म की शूटिंग कर रही थी, तो मैंने अपनी सोने की बालियां खो दी थी. मैंने काफी खोजबीन की, लेकिन मुझे वह नहीं मिली.
क्या आप अपने बचपन में एक पुलिस अधिकारी बनने की ख्वाहिश रखती थी ?
मैं अपने बचपन में कभी डॉक्टर, तो कभी आईएएस ऑफिसर तो कभी एक्टर तो कभी कुछ और बनना चाहती थी, तो मेरी मां ने कहा कि तुम एक एक्ट्रेस बन जाओ. जिसके बाद बाकी की और सभी भूमिकाएं भी निभाने का तुम्हें मौका मिल जाएगा.
आप समकालीन एक्टर्स के कामों पर नजर रखती हैं, सोनाक्षी वेब सीरीज दहाड़ में एक पुलिस वाले की भूमिका निभा रही हैं?
मैंने दहाड का ट्रेलर नहीं देखा है. मैंने सोनाक्षी का लुक देखा है और वह एक पुलिस की भूमिका में बहुत अच्छी लग रही है. हम दोनों पुलिस वाले की भूमिका निभा रही हैं और यह निश्चित रूप से शानदार होगा. मैं प्रतिस्पर्धा नहीं करती हूं. जब मैं अच्छा काम और अच्छी फिल्में देखिए हूं, तो मुझे अच्छा लगता है और मैं उनके प्रदर्शन से प्रेरित होता हूं. दूसरों की तो बात ही छोड़िए, मैं खुद से प्रतिस्पर्धा नहीं करती हूं.
आपकी अब तक की एक्टिंग की जर्नी कितनी संतोषजनक रही है?
यह शानदार रही है. मैंने हमेशा सपना देखा था कि मैं किसी दिन अपना जीवन ऐसे ही जिऊंगी और अब मैं जी रही हूं. मुझे आश्चर्य होता है कि क्या यह सब सच है. मैं जिस तरह की एक के बाद एक शानदार फिल्में कर रही हूं. वह मेरे लिए बहुत खास है.
क्या आप अपनी सफलताओं का सेलिब्रेशन भी करती हैं?
मैं पहले नहीं करती थी. हमेशा अपने काम की आलोचना करती थी. खुद के परफॉरमेंस को हमेशा क्रिटिक्स के तौर पर ही देखती थी, लेकिन अब मैं खुद के परफॉरमेंस को एन्जॉय करती हूं.मैं कोशिश करती हूं कि अपनी फिल्मों की सफलता का जश्न भी मनाऊं, तो मैं सेलिब्रेट करती रहती हूं. खुद को गिफ्ट भी देती रहती हूं.
अभिनय के अलावा फिल्म मेकिंग के किसी और विधा में भी हाथ आजमाना चाहेंगी ?
अभी नहीं, लेकिन भविष्य में जरूर करना चाहूंगी. मैं लिखना पसंद करती हूं, लेकिन मैं यशोधन मिश्रा जैसे निर्देशकों से मदद लेना चाहूंगी ताकि एक आईडिया को कैसे कहानी में बदलते हैं, इसको समझ पाऊं.
इनदिनों सीक्वल फिल्मों का चलन है, क्या पगलैट का सीक्वल पाइपलाइन में है?
काश हम उसका सीक्वल बना पाते थे. मैं कई बार सोचती हूं कि अब वह क्या कर रही होगी. क्या वह प्यार में होगी. वह घर पैसे भेजती होगी. ये सब बातें उस किरदार के बारे में मैं सोचती रहती हूं.