इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरूवार को ओमिक्रॉन वेरिएंट के बढ़ते मामलों को देखते हुए चुनाव आयोग से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को एक या दो महीने टालने की अपील की।
कोर्ट ने आयोग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चुनावी रैलियों पर रोक लगाने का अनुरोध भी किया। उसने कहा कि अगर रैलियों को नहीं रोका गया तो स्थिति दूसरी लहर से भी बदतर हो सकती है।
कोर्ट ने एक जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ये अनुरोध किया।
पंचायत और बंगाल चुनावों के दौरान बहुत लोग संक्रमित हुए और मरे- कोर्ट
सुनवाई के दौरान कोविड से बचाव संबंधी नियमों के उल्लंघन पर चिंता व्यक्त करते हुए जस्टिस शेखर यादव ने कहा, “ग्राम पंचायत चुनावों और बंगाल विधानसभा चुनावों के दौरान बहुत से लोग संक्रमित हुए थे और इसकी वजह से बहुत मौतें हुईं।”
उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टियां आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भी रैलियां और सभाएं आयोजित कर रही हैं और ऐसे कार्यक्रमों में कोवि़ड प्रोटोकॉल्स का पालन करना नामुमकिन होता है।
चुनाव आयोग से अपील- पार्टियों से अखबार या दूरदर्शन के जरिए प्रचार करने को कहें
जस्टिस यादव ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया कि वो रैलियों करने पर रोक लगा दे और पार्टियों को दूरदर्शन या अखबार के जरिए प्रचार करने को कहे। अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सभी भारतीयों को जीने का अधिकार है।
कोर्ट में जमा होने वाली भीड़ पर भी जस्टिस यादव ने उठाए सवाल
जस्टिस यादव ने कोर्ट में जमा होने वाली भीड़ की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए ये टिप्पणियां कीं। उन्होंने कहा कि कोर्ट में नियमित तौर पर भीड़ रहती है क्योंकि रोजाना सैकड़ों केसों की सुनवाई होती है और यहां इकट्ठा होने वाले ज्यादातर लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करते।
उन्होंने कहा, “कोविड की तीसरी लहर की संभावना है क्योंकि नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के मामले बढ़ रहे हैं।” उन्होंने उन देशों का जिक्र भी किया जहां लॉकडाउन लगाया गया है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में अगले साल मार्च-अप्रैल में विधानसभा चुनाव होने हैं और सभी पार्टियों जोरो-शोरों से इसके प्रचार में लगी हुई हैं।
प्रधानमंत्री मोदी से लेकर विपक्षी नेता तक, सभी खचाखच भरी रैलियां कर रहे हैं जहां कोविड संबंधी हर नियम की धज्जियां उड़ाई जाती हैं।
बेहद संक्रामक ओमिक्रॉन वेरिएंट के प्रसार के बीच हो रही इन रैलियों की तीखी आलोचना भी हो रही हैं, हालांकि पार्टी और उनके समर्थकों को इनसे खासा प्रभाव नहीं पड़ रहा।
पंचायत चुनाव के बाद आई दूसरी लहर से पस्त हो गया था उत्तर प्रदेश
राजनीतिक पार्टियों की ये लापरवाही दूसरी लहर की यादें ताजा कर रही है जब डेल्टा वेरिएंट के बढ़ते मामलों के बीच भी उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव कराए गए थे।
इन चुनावों के जरिए कोरोना घर-घर पहुंच गया था और लगभग हर गांव और हर परिवार को वायरस का प्रकोप झेलना पड़ा था।
राज्य सरकार पर इस दौरान हुई मौतों को छिपाने का आरोप भी लगता है और कुछ रिपोर्ट्स राज्य में लाखों मौतों की आशंका जता चुकी हैं।