अब किसानों पर मौसम की मार, फसलें हो रही बीमार
-रबी फसल पर दिख रहा ठंड का असर, आलू में लग रहा झुलसा रोग
-तेलहन फसल की पीली पड़ रही पत्तियां, रुक गया पौधे का विकास
श्रीनारद मीडिया अरविंद रजक पंचदेवरी गोपालगंज (बिहार)
धान पकने के समय में हुई बारिश ने जहां धान की फसल को बर्बाद कर रख दिया वहीं रबी फसल की बोआई भी पीछे हो गई। जब रबी बोआई का समय आया तो किसान खाद के लिए सड़कों पर थे। किसी तरह बोआई की तो अब फिर प्रकृति पीछे पड़ गई है। मौसम के हाथों छले जा रहे किसान परेशान हैं। पिछले चार-पांच दिनों से बढ़ी ठंड वह धूप नहीं निकलने व गुरुवार की रात से रुक रुक हो रही बारिश से खेतों में लगी सब्जियों की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगा है। ठंड की चपेट में आने से आलू की फसल झुलसा रोग की चपेट में आने लगी है, वहीं सरसों तथा प्याज की खेती पर भी ठंड का असर दिखने लगा है। ठंड की मार से गोभी में बन रहे फूल व पत्तियां भी झुलसने लगी हैं। इससे सब्जी की खेती करने वाले किसानों की चिता बढ़ती जा रही है। किसानों का कहना है कि पिछले चार-पांच दिनों से मौसम के बदले मिजाज से सब्जियों की फसल पर ठंड की मार पड़ने लगी है। ठंड का सबसे अधिक असर आलू तथा प्याज पर पड़ा है। आलू की फसल झुलसा रोग की चपेट में आने लगी है। यही हाल तेलहन का भी है। अत्यधिक ठंड और धूप नहीं निकलने के कारण तेलहन फसल की पत्तियां पीली पड़ने लगी है जिससे पौधे का विकास रुक सा गया है।
70 हेक्टेयर में होती है आलू की खेती
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार पंचदेवरी में 70 हेक्टेयर में आलू की खेती होती है। जिन किसानों को कम भी जमीन है तो वे भी कम से कम साल भर खुद खाने के लिए आलू लगाते हैं। पंचदेवरी प्रखंड के नेहरूआ कला, नटवां, कपुरी, सिकटियां, कोइसा, भृंगीचक आदि स्थानों पर किसान आलू की व्यवसायिक खेती करते हैं। किसानों को इससे अच्छी आमदनी होती है। किसान अशोक कुमार, रामचंद्र ठाकुर, नारायण प्रसाद आदि बताते हैं कि एक ही खेत में किसान तीन-तीन बार आलू की खेती करते हैं। इस बार किसान अत्यधिक बारिश के कारण आलू की अगता फसल लगाने से वंचित रह गए थे। कुछ किसानों ने बारिश से पहले आलू की फसल लगाई भी थी बर्बाद हो गई। अब ठंड किसानों को बर्बाद करने पर तुली है।
कहते हैं कृषि विशेषज्ञ
कृषि विशेषज्ञ सुनील कुमार सिंह के अनुसार ठंड के प्रकोप से बचाने के लिए किसान आलू, टमाटर और प्याज की नर्सरी व खेतों के आसपास चारों ओर धुआं करें। चार-पांच दिनों के अंतर पर शाम के समय थोड़ा सा पटवन अवश्य करें। रिडोमिल नामक पाउडर एक लीटर पानी में दो ग्राम दवा मिलाकर छिड़काव करें या फिर डाईथेम एम 45 नामक दवा के छिड़काव से पाला या झुलसा के प्रकोप से फसल को बचाया जा सकता है।
46 सौ हेक्टेयर में होती है रवि की खेती
पंचदेवरी में 46 सौ हेक्टेयर में रवि की खेती होती है। जिसमें तिलहन में सरसों 146 हेक्टेयर, तीसी 43 हेक्टेयर, सूर्यमुखी तीन हेक्टेयर, दलहन फसलों में खेसारी 21 हेक्टेयर, चना 20 हेक्टेयर, मटर 365 हेक्टेयर, मसूर 21 हेक्टेयर, राजमा चार हेक्टेयर, जौ 19 हेक्टेयर, मटर 44 हेक्टेयर, आलू 70 हेक्टेयर। इसके साथ ही गेहूं 3730 हेक्टेयर, मक्का 536 हेक्टेयर में बोआई की जाती है।