दुनियाभर में प्रमुखता से फैल रहे कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट के एक नए सबवेरिएंट ने वैज्ञानिकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। इंग्लैंड समेत कई देशों में इसके मामले बढ़ रहे हैं।
इस सबवेरिएंट को AY.4.2 नाम से जाना जा रहा है और अभी तक इससे जुड़े आंकड़े सामने आने बाकी हैं।
सबसे पहले इंग्लैंड में इस साल जुलाई में इसके मामले दर्ज हुए थे और अब इनमें बढ़ोतरी देखी जा रही है।
कैसे बनता है वायरस का नया वेरिएंट?
कोरोना महामारी फैलाने के पीछे SARS-CoV2 वायरस का हाथ है। वायरस के DNA में बदलाव को म्यूटेशन कहा जाता है। ज्यादा म्यूटेशन होने पर वायरस नया रूप ले लेता है, जिसे नया वेरिएंट कहा जाता है।
वायरस के नए स्ट्रेन सामने आने के कई कारण हैं, जिनमें से एक वायरस का लगातार फैलना है।
कोरोना से संक्रमित हर नया मरीज वायरस को म्यूटेट होना का मौका देता है। ऐसे में मरीज बढ़ने के साथ-साथ वेरिएंट की संभावना बढ़ जाती है।
AY.4.2 सबवेरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में A222V और Y145H दो बड़ी म्यूटेशन हुई हैं।
15 अक्टूबर को इंग्लैंड के स्वास्थ्य विभाग ने बताया था कि AY.4.2 से जुड़े मामले बढ़ रहे हैं और सीक्वेंस किए गए 6 प्रतिशत सैंपलों में इसकी पुष्टि हुई है।
बता दें कि वायरस में म्यूटेशन होना आम बात है और अधिकतर बार ये म्यूटेशन खतरनाक नहीं होती। कुछ हफ्तों या महीनों में वायरस अपना रूप बदलते रहते हैं।
कहां दर्ज हो रहे हैं AY.4.2 के मामले?
अभी तक AY.4.2 के अधिकतर मामले इंग्लैंड में ही सामने आए हैं, लेकिन रूस, अमेरिका और इजरायल समेत दूसरे देशों में भी इसके कुछ मामले दर्ज हुए हैं। जिनोम सीक्वेंसिंग के बाद जितने सैंपलों में इसकी पुष्टि हुई है, उनमें से 96 प्रतिशत इंग्लैंड से संबंधित हैं।
रूस में इसके थोड़े-बहुत मामले सामने आए हैं और इजरायल में विदेश से लौटे एक 11 वर्षीय बच्चे में इसकी पुष्टि हुई है।
भारत में अभी तक इसका कोई मामला नहीं आया है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि AY.4.2 डेल्टा वेरिएंट से अधिक संक्रामक है, लेकिन अभी तक इसने ऐसे कोई संकेत नहीं दिखाए हैं, जिसे लेकर चिंतित होने की जरूरत है।
रूस के एक वैज्ञानिक ने बताया कि यह डेल्टा से अधिक संक्रामक है और आगे चलकर इसकी जगह ले सकता है, लेकिन यह प्रक्रिया धीमी होगी और वैक्सीन भी इसके खिलाफ कारगर है।
साथ ही इससे जुड़े आंकड़ों की प्रतीक्षा की जा रही है, जिसके आधार पर कुछ कहा जा सकेगा।
इस सबवेरिएंट पर खास ध्यान क्यों दिया जा रहा है?
जानकारों का कहना है कि डेल्टा वेरिएंट पिछले लगभग छह महीनों से प्रमुखता से फैलने वाला वेरिएंट बना हुआ है। इसके चलते यह समझा जाने लगा था कि वायरस में बदलाव अपने चरम पर पहुंच चुके हैं और इसमें नए वेरिएंट नहीं देखे जाएंगे।
हालांकि, नए सब वेरिएंट ने वैज्ञानिकों को सतर्क कर दिया है। उनका कहना है कि इस पर खास निगरानी रखने की जरूरत है ताकि इसे जल्द से जल्द नियंत्रित किया जा सके।
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, दुनियाभर में अब तक लगभग 24.25 करोड़ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, वहीं 49.30 लाख लोगों की मौत हुई है।
सर्वाधिक प्रभावित अमेरिका में 4.53 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं और 7.33 लाख लोगों की मौत हुई है। अमेरिका के बाद भारत दूसरा सर्वाधिक प्रभावित देश है।
भारत में अब तक 3.41 करोड़ लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है और 4.53 लाख लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।