तेलुगु स्टार नानी बोले-अब मुकाबला है कौन सर्वश्रेष्ठ फिल्म बनायेगा,जानें मूवी ‘दसरा’ को लेकर क्या कहा एक्टर ने

तेलुगु स्टार नानी बोले-अब मुकाबला है कौन सर्वश्रेष्ठ फिल्म बनायेगा,जानें मूवी ‘दसरा’ को लेकर क्या कहा एक्टर ने


बीते साल ‘आर आर आर, केजीएफ 2 और कांतारा’ जैसी साउथ फिल्मों ने लोगों का भरपूर मनोरंजन किया है. इस कड़ी में अब तेलुगु स्टार नानी और कीर्थि सुरेश स्टारर फिल्म ‘दसरा’ इसी माह रिलीज होने जा रही है. हाल ही में इसका ट्रेलर रिलीज हो चुका है, जिसमें नानी का रॉ और रस्टिक लुक दर्शकों को ‘पुष्पा’ की याद दिला रहा है. तेलुगु में बनी यह फिल्म नानी की पहली पैन इंडिया फिल्म होगी, जिसकी बड़ी सफलता की बात की जा रही है. प्रस्तुत है नानी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.

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आपने ज्यादातर रोमांटिक रोल किये हैं. इस बार रॉ एक्शन करते नजर आ रहे हैं. अनुभव कैसा रहा?

मैंने एक्शन किया है, पर इतना रॉ और देशी टाइप कुछ नहीं. यह बहुत थका देनेवाला था. आमतौर पर लोग कहते हैं कि हमने बहुत अच्छा समय बिताया, एक पिकनिक की तरह, लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं था. जिस तरह से फिल्म की शूटिंग हुई है, वह किसी टॉर्चर से कम नहीं था. मगर हम खुश हैं कि आउटपुट बहुत अच्छा आया. इतनी कोशिश करने की सिर्फ एक ही वजह थी कि हम जानते थे कि हम एक बेहतरीन फिल्म बना रहे हैं, इसलिए हमने इसमें सौ फीसदी दिया.

इस फिल्म के लिए कुछ खास तैयारी करनी पड़ी?

ज्यादा कुछ नहीं, स्क्रिप्ट ही दिलचस्प थी. मुझे बस इतना करना था कि अपने बाल व दाढ़ी बढ़ाने के लिए 4 महीने का ब्रेक लेना पड़ा. फिर कोयला खदानों के क्षेत्र में जाकर, जब हम अपनी वेशभूषा में आ गये, तो हम वह बन गये, जो चाहिए था. बॉडी लैंग्वेज अपने आप बदल गयी.

दसरा की तुलना केजीएफ व पुष्पा से हो रही है?

ये सभी दूर-दराज के गांवों पर आधारित जमीन से जुड़ी कहानियां हैं, लेकिन कहानियां बहुत अलग हैं. फिल्म में हम कोयले के खदानों में काम करने वाले हैं, इसलिए हम जींस और टी-शर्ट नहीं पहन सकते थे, हमें लुंगी और बनियान ही पहनना था. लुंगी और बनियान पहनने से फिल्म पुष्पा तो नहीं बन जाती है. केजीएफ को कोयले की खदानों में शूट किया गया था, इसलिए चारों ओर बहुत धूल और गंदगी थी. हमने भी कोयले की खदानों में शूटिंग की है. मगर इससे यह फिल्म केजीएफ नहीं बन जाती है. यह तुलना निराधार है. हर फिल्म में एक कार होती है, तो क्या कार की वजह से फिल्म की कहानी भी एक हो जाती है.

इस फिल्म में अपने किरदार के बारे में कुछ बताएं.

मैं इस फिल्म में एक शराबी की भूमिका में हूं. यह किरदार शराब एंजॉय के लिए नहीं, बल्कि अपने काम की वजह से पीता है. कोयले के खदानों में इतनी जबरदस्त गर्मी होती है कि बिना शराब पीये मजदूर उधर काम नहीं कर पायेंगे. शराब उन्हें सुन्न कर देती है और उन परिस्थितियों में काम करना उनके लिए आसान बना देती है.

आपकी फिल्म ‘जर्सी’ और ‘श्याम सिंह रॉय’ को हिंदी भाषी दर्शकों ने बहुत पसंद किया है. क्या आपको लगता है कि आप पैन इंडिया स्टार बन गये हैं?

अब तक हिंदी भाषी दर्शकों ने यूट्यूब या ओटीटी पर मेरी फिल्मों के डब वर्जन को देखा है. अगर दशहरा एक बड़ी हिट बन जाती है, तो मैं इस बात को मान लूंगा कि मैं एक पैन इंडियन स्टार हूं. जब तक मेरी फिल्म सभी भाषाओं में नहीं देखी जाती और बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं करती, तब तक मैं पैन इंडियन स्टार नहीं हूं. अगर आप मुझे ऐसा कहना चाहते हैं, तो मेरा मानना ​​है कि मेरी अलग-अलग जॉनर की फिल्में थिएटर में भी चलनी चाहिए.

‘आरआरआर’ ने ऑस्कर जीतकर एक नया इतिहास रच दिया है, पर कुछ विवाद भी सामने आये हैं. खबर है कि प्रेजेंटेशन सेरेमनी देखने के लिए कलाकारों व चालक दल को टिकट खुद खरीदना पड़ा?

मुझे इसका बिल्कुल अंदाजा नहीं है. मुझे सिर्फ इतना पता है कि जब मैं सोकर उठा तो पता चला कि ‘नाटू नाटू’ गाने ने ऑस्कर जीत लिया. उसके अलावा और मुझे कुछ पता नहीं है. क्या आरआरआर टीम से किसी ने इसकी पुष्टि की है? अगर नहीं तो हमें इस पर विश्वास नहीं करना चाहिए.

विश्व मंच पर ‘आरआरआर’ का ऑस्कर जीतना हो या टिकट खिड़की पर साउथ फिल्मों की जबरदस्त कामयाबी, इसे कितना आप खास पाते हैं?

सबसे पहले यह एक भारतीय फिल्म है और यह पूरे भारत की फिल्म है.

लेकिन निर्देशक राजामौली ने अपनी फिल्म को तेलुगु फिल्म कहा था?

उनकी बात का गलत मतलब निकालना गलत है. अगर फिल्म मुंबई में बनी है, तो हम कहेंगे कि यह मुंबई में बनी है. हां, फिल्म साउथ में बनी है, लेकिन इसे भारतीय दर्शकों के लिए बनाया गया है. जैसे दशहरा के लिए मैं कह सकता हूं कि यह मेड इन इंडिया है, लेकिन हमने इसे तेलुगु में शूट किया है. यह एक टॉलीवुड फिल्म है, लेकिन भारत भर के लोगों के लिए यह फिल्म है.

पहले साउथ के सितारे बॉलीवुड में वैश्विक मानचित्र पर आने के लिए आते थे, लेकिन अब हालात इसके विपरीत हैं ?

अब हम सभी गर्व से कह सकते हैं कि हम समान हैं. मैंने बचपन से ही ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ जैसी फिल्में देखी हैं. सभी हिंदी फिल्में साउथ में सभी ने देखी हैं. अब जब पूरे देश में साउथ की फिल्में देखी जा रही हैं, तो इसका मतलब हम भी बराबरी पर आ गये हैं. अब मुकाबला इस बात का है कि कौन सबसे अच्छी फिल्म बनायेगा.

आप हिंदी कितनी समझ-बोल लेते हैं?हिंदी फिल्मों में आपका पसंदीदा निर्देशक कौन है

मैं हिंदी पूरी तरह से समझ लेता है, बोलने में फर्राटेदार नहीं बोल पाता. उम्मीद है कि पैन इंडिया की अपनी फिल्मों को मैं खुद आगे चलकर डब कर सकूंगा. मुझे राजू हीरानी और भंसाली सर का काम बहुत पसंद है.

आप फिल्मों के लिए सामने से अप्रोच करते हैं?

मैं अपने करियर में सिर्फ मणिरत्नम सर को ही एक बार कहा था कि मुझे आपके साथ फिल्म करनी है.



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