लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं है।
कोर्ट ने राज्य सरकार पर सवाल उठाते हुए पूछा कि हत्या के मामले में आरोपी से अलग व्यवहार क्यों हो रहा है? हत्या के आरोपी के साथ वैसा ही व्यवहार होना चाहिए, जैसा अन्य मामलों में दूसरे आरोपियों के साथ किया जाता है।
लखीमपुर खीरी में रविवार को केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के दौरे के समय हिंसा हो गई थी, जिसमें चार आंदोलनकारी किसानों समेत कुल नौ लोगों की मौत हुई।
मिश्रा कार्यक्रम के लिए लखीमपुर खीरी स्थित अपने पैतृक गांव पहुंचे थे। आरोप है कि लौटते वक्त मिश्रा के बेटे आशीष ने किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी, जिसमें चार किसान मारे गए।
बाद में भीड़ ने नौ भाजपा कार्यकर्ताओं और ड्राइवर को पीट-पीट कर मार दिया। एक पत्रकार भी मारा गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- चीजें वैसे नहीं हुई, जैसे होनी चाहिए थी
मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना ने कहा, “हम अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं है। हम जिम्मेदार सरकार और पुलिस की उम्मीद कर रहे हैं। बंदूक की गोली से चोट लगने समेत आरोप बहुत गंभीर हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “आप क्या संदेश भेज रहे हैं? साधारण परिस्थितियों में क्या पुलिस तुरंत जाकर आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर लेती है? चीजें वैसे नहीं हुईं, जैसे होनी चाहिए थी।”
सुनवाई
“CBI को नहीं दी जा सकती जांच”
NDTV के अनुसार, सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, “आपके पास DIG, SP और दूसरे अधिकारी हैं। ये सभी स्थानीय लोग हैं। जब सब स्थानीय लोग होते हैं तो ऐसा होता है। मामले में शामिल लोगों की वजह से इसकी जांच CBI को भी नहीं दी जा सकती।”
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के DGP को आदेश दिया है कि जब तक कोई दूसरी एजेंसी जांच अपने हाथ में नहीं लेती, तब तक कोई सबूत नष्ट नहीं होना चाहिए।
20 अक्टूबर को अगली सुनवाई
कोर्ट ने हिंसा की जांच दूसरी एजेंसी को सौंपने के संकेत देते हुए पूछा कि और कौन सी एजेंसी इसकी जांच कर सकती है। इस मामले की अगली दशहरे की छुट्टियों के बाद 20 अक्टूबर को होगी।
किसानों की हत्या के मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को आरोपी बनाया गया है और पुलिस ने उन्हें शुक्रवार को पेश होने को कहा था।
सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि आरोपी को फिर से नोटिस जारी कर कल सुबह 11 बजे पेश होने को कहा गया है। अगर वो पेश नहीं होता है तो कानून अपना काम करेगा।
सरकार ने बनाया न्यायिक आयोग, अब तक दो गिरफ्तारी
उत्तर प्रदेश सरकार ने हिंसा की जांच के लिए हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज प्रदीप कुमार श्रीवास्तव के नेतृत्व में एक सदस्यीय न्यायिक आयोग गठित किया है।
यह अगले दो महीने में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा।
सोमवार को किसानों और सरकार के बीच समझौते में इस हिंसा की न्यायिक जांच कराने की बात कही गई थी।
दूसरी तरफ अब तक हिंसा के दो आरोपियों लवकुश और आशीष पांडे को गिरफ्तार किया जा चुका है।