लोक आस्था का महापर्व उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही हुआ संपन्न।

छठ पूजा या छठ पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिन्दू पर्व है। सूर्योपासना का यह विशिष्ट लोकपर्व मुख्यतः पूर्वी भारत के बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में सूर्य की उपासना से जुड़े अनेक पर्व मनाए जाते हैं, जैसे उत्तराखंड में ‘उत्तरायण पर्व’, केरल में ओणम, कर्नाटक में ‘रथसप्तमी’ और बिहार में छठ पर्व। यह सब यह दर्शाता है कि भारत एक ऐसा देश है जो सूर्य संस्कृति की पूजा करता है, और सभी तीज-त्योहार सूर्य के संवत्सर चक्र के अनुसार मनाए जाते हैं।

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छठ से जुड़ी पौराणिक मान्यताओं और लोकगाथाओं का अध्ययन करने पर ज्ञात होता है कि यह पर्व आदिकालीन सूर्यवंशी भरत राजाओं का एक महत्वपूर्ण पर्व था। इस पर्व का ऐतिहासिक संबंध मगध और आनर्तक के राजनीतिक इतिहास से भी जुड़ा हुआ है।

दीपावली के लगभग एक सप्ताह बाद बिहार में छठ का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई स्थान गंगा के तट पर बसे हुए प्रतीत होते हैं। इस पर्व के दौरान लोग सूर्यदेव की उपासना करते हैं और उन्हें अर्ध्य अर्पित करते हैं। सूर्यषष्ठी बिहार का एक अत्यंत पवित्र और लोकप्रिय पर्व है, जो मुख्यतः भगवान सूर्य की आराधना और उपासना का प्रतीक है। यद्यपि सूर्य की पूजा का संबंध सप्तमी तिथि से अधिक है, परंतु बिहार में इस व्रत में सूर्य के साथ षष्ठी तिथि का विशेष महत्व है।

छठ बिहार का प्रमुख त्योहार है, जो भगवान सूर्य को धरती पर धन-धान्य की प्रचुरता के लिए धन्यवाद देने के उद्देश्य से मनाया जाता है। लोग इस पर्व को अपनी विशेष इच्छाओं की पूर्ति के लिए भी मनाते हैं। पर्व का आयोजन अधिकतर गंगा के तट पर होता है, लेकिन जहाँ गंगा का प्रवाह नहीं है, वहाँ लोग तालाबों या पोखरों के किनारे इसे पूरी श्रद्धा और धूमधाम से मनाते हैं।

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