सतगुरु की महिमा है अनंत और अपरंपार-मनीष महाराज
श्रीनारद मीडिया, सीवान(बिहार):
सीवान जिला के बड़हरिया प्रखंड के दीनदयालपुर रामजानकी मंदिर में राधाकृष्ण की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा के तत्वावधान में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ के पांचवे दिन सुप्रसिद्ध कथा मर्मज्ञ मनीष परासर ने सोमवार की संध्या अपनी कथा के दौरान जीवन में गुरु की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए गुरु की महिमा को अनंत और अपरंपार बताया। सोमवार संध्या के प्रवचन के शुभारंभ के लिए महायज्ञ समिति ने क्षेत्र के पूर्व शिक्षकों को आमंत्रित किया था।
इस अवसर पर शिक्षक संघ के पूर्व बड़हरिया प्रखंड अध्यक्ष शंकर सिंह, पूर्व प्रधानाध्यापक विक्रमा प्रसाद उर्फ बजरंगबली, जयनारायण गिरि,योगेश मिश्र, शिव अवतार सिंह, श्यामानंद सिंह,हरिकिशोर वर्मा, शंकराचार्य भारती, राधा हरिजन आदि ने श्रीमद्भागवत की पूजा-अर्चना कर और दीप प्रज्वलित कर कथा महायज्ञ का शुभारंभ कराया.कथावाचक मनीष परासर महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति में गुरु आध्यात्मिक या धार्मिक दृष्टि से या चरित्र निर्माण की दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं अपितु विपत्ति काल में शिष्य का सर्वस्व होता था।
राजा दशरथ के दरबार में सभी कार्य गुरू विश्वामित्र और वशिष्ठ की सम्मति से होते थे एवं महाभारत के युद्ध में जब अर्जुन युद्ध नहीं करना चाहते है तो कृष्ण गुरू के रूप में धर्म और अधर्म का मार्ग बताकर युद्ध के लिए तैयार करते हैं।वैदिक शिक्षा प्रणाली में जब शिष्य अपना घर-वार छोड़ कर गुरूकुल में रहता था,तो शिक्षक ही उसके माता पिता सर्वस्व था.उन्होंने कहा कि गुरु करुणा है, गुरु का गुरुत्व ही गुरु महिमा है।
इस अवसर पर सदगुरू दयानंद स्वामी, मठाधीश दिनेश्वर सरपंच अरविंद श्रीवास्तव, पूर्व सरपंच कृष्णा सिंह,सत्येंद्र सिन्हा, समिति सदस्य पप्पू सिंह,विवेक पटेल, अजय तिवारी,राधा गिरि, राजेंद्र यादव, धनंजय गुप्ता, संतोष सोनी,राजेश चौधरी, ईश्वरदयाल सिंह, दिलीप प्रसाद, गोविंद रजक,कृष्णमुरारी यादव,मुन्ना गिरि,अरविंद सोनी, रजनीश केशरी, अमरेश पाठक, मजिस्टर सिंह,सरोज पाठक,अभिषेक कुमार सहित सैकड़ों गणमान्य उपस्थित थे।
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