सरकारी स्कूलों में सितंबर से दिसंबर के बीच 23 की जगह 11 छुट्टियां
तीज, जिउतिया श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, गुरु नानक जयंती जैसे त्योहारों की छुट्टियां रद्द
छठ पूजा व दुर्गा पूजा की छुट्टियों में भी कटौती
आजाद देश में बिहार के शिक्षकों के साथ हो रहा है गुलामो जैसा व्यवहार: उपेंद्र कुमार सिंह
श्रीनारद मीडिया, प्रकाश चन्द्र द्विवेदी, रघुनाथपुर, सीवान (बिहार)
बिहार में सरकारी स्कूलों में छुट्टी को लेकर शिक्षा विभाग ने एक नया आदेश जारी किया है जिसमें सितंबर से लेकर दिसंबर के बीच सरकारी स्कूलों में छुट्टियों की संख्या 23 से घटाकर 11 कर दी गई है। जारी छुट्टियों की नई सूची के अनुसार हरितालिका तीज व्रत, जीवित्पुत्रिका व्रत, विश्वकर्मा पूजा, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, गुरु नानक जयंती जैसे कई महत्वपूर्ण त्योहारों की छुट्टियां रद्द कर दी गई है तो वही दशहरा में रविवार छोड़ दिया जाए तो मात्र दो दिन तथा छठ पूजा में रविवार छोड़कर मात्र एक दिन की छुट्टी का आदेश जारी हुआ है।
इसको लेकर प्राथमिक शिक्षक संघ के राज्य प्रतिनिधि उपेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि आजाद देश में बिहार के शिक्षकों के साथ गुलामो जैसा व्यवहार किया जा रहा है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक के इस आदेश से उनका तानाशाही रवैया देखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को आरक्षण देते हुए सरकार ने शिक्षक के पद पर बहाल किया। लेकिन आज उसका कोई औचित्य नहीं रह गया है। महिलाओं का त्योहार जीवित्पुत्रिका व्रत की छुट्टी रद्द कर दी गई, हरितालिका तीज व्रत की छुट्टी रद्द कर दी गई, आस्था का महापर्व छठ व्रत जो की चार दिनों का होता है उसको भी रविवार छोड़कर सोमवार को एक दिन का कर दिया गया है। यह तीनों व्रत महिलाओं का मुख्य व्रत होता है और इसमें महिला शिक्षकों की छुट्टियां रद्द कर दी गई है।
उन्होंने कहा कि छुट्टी के लिए जो अवकाश तालिका बनती है वह सरकार व शिक्षक संघ के आपसी विचार विमर्श के उपरांत ही निर्णय लिया जाता है। सरकार के द्वारा जारी छुट्टियों को घटाना या बढ़ाना अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र से बाहर होना चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए की विभाग का कोई भी अधिकारी अपने तानाशाही रवैया के कारण छुट्टी को बदल सके। उन्होंने कहा कि विशेष परिस्थिति में सरकार छुट्टियों में संशोधन करने का निर्णय ले सकती है।
उपेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि इसमें शिक्षक संघो की भी कहीं ना कहीं कमी है कि जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक संघ के बहुत से ऐसे पदाधिकारी हैं जो सेवा निवृत हो चुके हैं सेवानिवृत होने के साथ-साथ उन लोगों की बुद्धि भी सेवानिवृत हो चुकी है जिसके कारण आज शिक्षकों की ऐसी स्थिति हुई है। ऐसे लोगों को हटाकर नए लोगों को मौका देना चाहिए। जब नए लोग प्रतिनिधित्व करेंगे तो नया उमंग और नया उत्साह व नई सोच होगी। जिसके बाद ऐसी स्थिति आने की संभावना ही नहीं होगी।
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