*वाराणसी में अब तक गर्भवती महिलाओं के लिए तैयार की गयीं 1149 पोषण वाटिकाएं*

*वाराणसी में अब तक गर्भवती महिलाओं के लिए तैयार की गयीं 1149 पोषण वाटिकाएं*

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

*श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी*

*वाराणसी* / बच्चों, किशोर-किशोरी, गर्भवती व धात्री महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए विटामिन, कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन जैसे पोषक तत्वों का मिलना बहुत जरूरी होता है। पोषक तत्वों से भरपूर खानपान को अपनाने पर ही एक सुपोषित समाज की परिकल्पना की जा सकती है। इस दिशा में वाराणसी जनपद में प्रभावी ढंग से कार्य हो रहा है।

जनपद के हर ब्लॉक के लगभग सभी ग्राम पंचायतों में पोषण वाटिका तैयार की जा रही है। पोषण वाटिका को तैयार करने में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं ने अपना पूरा योगदान दिया है, जिससे आसपास के घरों में ताजी हरी साग-सब्जियाँ व फल आदि आसानी से प्राप्त हो सकें। जनपद में अभी तक 1149 पोषण वाटिका तैयार की जा चुकी हैं। इसके साथ ही सभी विकासखंड परियोजनाओं में कुल 697 पोषण वाटिका तैयार की जा रही हैं।

जिला कार्यक्रम अधिकारी दुर्गेश प्रताप सिंह ने बताया कि पोषण वाटिका को विकसित करने का मुख्य उद्देश्य है कि लाभार्थियों को उनके आसपास ही ताजी हरी साग-सब्जियाँ व फल आदि आसानी से मिल सकें। फल एवं सब्जियाँ सूक्ष्म पोषक तत्वों के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। इन पोषक तत्वों को नियमित आहार में सम्मिलित करना बेहतर स्वास्थ्य के लिए बहुत ही आवश्यक है। उदाहरण के लिए नियमित आयरनयुक्त आहार के सेवन से एनीमिया (खून की कमी) के स्तर में कमी आती है। खट्टे फल, अदरक हल्दी आदि स्थानीय उगाई जाने वाली साग-सब्जियों के सेवन से प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है, जिससे बीमारी व वायरल संक्रमण से बचा जा सकता है। उन्होने बताया कि सितंबर माह में साग-सब्जियों एवं फलों के पौधों के रोपण का उचित समय है, इसलिए ‘पोषण के लिए पौधे’ अभियान के तहत पोषण वाटिका के विकास के लिए क्षेत्र स्तर पर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि जनपद में अभी तक 1149 पोषण वाटिका तैयार हो चुकी हैं। इसमें से अराजीलाइन विकासखंड परियोजना में 158, बड़ागांव में 62, चिरईगांव में 89, चोलापुर में 89, हरहुआ में 173, काशी विद्यापीठ में 302, पिंडरा में 110, सेवापुरी में 156 एवं नगर में 10 पोषण वाटिका हैं।

सहजन में होते हैं कई गुण
अराजीलाइन सीएचसी के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ नवीन सिंह बताते हैं कि गर्भवती व कुपोषित बच्चों के लिए सहजन बहुत ही गुणकारी सब्ज़ी है। अधिकतर ग्रामीण क्षेत्र में पाया जाने वाला सहजन कुपोषण से जंग लड़ने में बहुत ही सहायक है। इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है, मुनगा और ड्रम स्टिक नाम से भी जाना जाता है। इस पौधे की पत्तियां, टहनियां, तना, जड़ और गोंद सभी बहुत उपयोगी होते हैं। सहजन की पत्तियों में काफी मात्रा में विटामिन, कैल्शियम और फास्फोरस आदि सूक्ष्म पोषक तत्व पाये जाते हैं।

यह स्थानीय स्तर पर आसानी से लग जाती है। इसके साथ ही पपीता और अनार भी आसानी से लग जाता है। सहजन में दही से भी दोगुना अधिक प्रोटीन, गाजर से दो गुना अधिक विटामिन ए, ओट्स से चार गुना अधिक फाइबर, केला से चार गुना अधिक पोटैशियम, पालक से नौ गुना अधिक आयरन, दूध से भी 14 गुना अधिक कैल्शियम मिलता है। इसके साथ ही और भी कई तरह के विटामिन, मिनरल्स आदि सूक्ष्म पोषक तत्व मौजूद हैं, जो व्यक्ति को स्वस्थ व तंदुरुस्त रखता है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!