बंगाल हिंसा को लेकर 146 प्रतिष्ठित लोगों ने राष्ट्रपति लिखा पत्र.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बंगाल हिंसा को लेकर पूर्व सेना प्रमुख, पूर्व न्यायाधीशों, नौकरशाहों, राजनयिक, सेना व पुलिस के पूर्व अधिकारियों समेत 146 प्रतिष्ठित लोगों ने गंभीर चिंता जताई है। इस संबंध में उन्होंने राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द को पत्र लिखकर हिंसा की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज के नेतृत्व में विशेष जांच टीम (एसआइटी) गठित करने की मांग की है।
हिंसा के पीछे राष्ट्र विरोधी तत्वों के शामिल होने की आशंका
हिंसा के पीछे राष्ट्र विरोधी तत्वों के भी शामिल होने की आशंका है, इसलिए इसकी जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) को सौंपने का भी आग्रह किया है।
पूर्व सेना प्रमुख व न्यायाधीशों समेत 146 ने लिखा राष्ट्रपति को पत्र
यह पत्र पूर्व राजनयिक भाष्वति मुखर्जी व महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रवीण दीक्षित ने लिखा है, जिसमें सभी 146 लोगों के नाम शामिल हैं। इसमें पूर्व सेना प्रमुख जनरल जेजे सिह के साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बीसी पटेल, मुंबई हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश क्षितिज वत्स व पूर्व जज अंबादास जोशी के अलावा पटना, राजस्थान, केरल, तेलंगाना, झारखंड, इलाहाबाद व नैनीताल हाई कोर्ट के कई पूर्व जज भी शामिल हैं। इसी तरह पूर्व विदेश सचिव शशांक, पूर्व रा प्रमुख संजीव त्रिपाठी, पूर्व पेट्रोलियम सचिव सौरभ चंद्र, पूर्व खाद्य सचिव सुधीर कुमार, पंजाब के पूर्व मुख्य सचिव सवैश कौशल, हरियाणा के पूर्व मुख्य सचिव धरम वीर, पूर्व राजनयिक विद्या सागर व ओपी गुप्ता समेत अन्य के नाम हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक ([डीजीपी)] आरएन सिह, हिमाचल प्रदेश के पूर्व डीजीपी आइडी भंडारी, बिहार के पूर्व डीजीपी एसके भारद्वाज व रमेश चंद्र सिन्हा समेत अन्य के भी नाम हैं।
पूर्व नौकरशाह ने हिंसा पर जताई चिंता, कहा- लोकतांत्रिक व्यवस्था पर गंभीर हमला
इसी क्रम में गृह मंत्रालय के पूर्व विशेष सचिव महेश सिगला, सीआरपीएफ के पूर्व विशेष महानिदेशक दीपक मिश्रा व झारखंड के पूर्व सचिव एके मल्होत्रा ने भी पत्र के माध्यम से बंगाल हिंसा पर चिंता जताते हुए इसे देश के लोकतांत्रिक व्यवस्था पर गंभीर हमला करार दिया गया है।
‘राज्य समर्थित आतंकवाद’
स्थिति ‘राज्य समर्थित आतंकवाद’ की होती जा रही है पत्र में कहा गया है कि विधानसभा चुनाव बाद बंगाल से आ रही हिंसा की खबरें गंभीर चिंता पैदा करने वाली हैं। अगर इसे तत्काल नहीं रोका गया तो इससे देश की लोकतांत्रिक परंपराओं को गंभीर नुकसान पहुंचेगा। हमारे संविधान ने प्रत्येक नागरिक को जीवन व स्वतंत्रता का अधिकार दिया है, लेकिन राजनीतिक हिंसा के माध्यम से उसे बंगाल में कुचला जा रहा है। अभी तक राज्य के 23 जिलों में हिंसा की 15 हजार से ज्यादा वारदात हो चुकीं हैं। 16 जिलों में स्थिति ज्यादा गंभीर है।
पांच हजार से अधिक लोग पलायन होने को मजबूर
अराजकतत्वों के हमले के कारण पांच हजार से अधिक लोग असम, झारखंड व ओडिशा में पलायन को मजबूर हुए हैं। ब़़डी संख्या में हत्याएं, दुष्कर्म, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसी वारदात हो रहीं हैं। चिंता की बात यह कि राज्य की मशीनरी का काम लोगों के जीवन की रक्षा करने का होता है, पर यह उसमें नाकाम दिख रही है। स्थिति ‘राज्य समर्थित आतंकवाद’ की होती जा रही है। यह स्थिति तब है जब राज्य की सीमाएं दूसरे देश से लगती हैं। ऐसे में इस हिंसा में राष्ट्रविरोधी तत्वों के शामिल होने की भी आशंका है।
पत्र लिखने वालों में ये अधिकारी शामिल
– 17 न्यायाधीश
-31 आइएएस व प्रशासनिक अधिकारी
-32 आइपीएस
-10 राजनयिक
-56 सैन्य अधिकारी।
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