1984 सिख नरसंहार: सज्जन कुमार को उम्रकैद नहीं, फाँसी होनी चाहिए : खैहरा
श्रीनारद मीडिया, वैध पण्डित प्रमोद कौशिक, हरियाणा
1984 के सिख नरसंहार के मुख्य गुनहगारों में से एक, सज्जन कुमार को अदालत द्वारा उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई है। लेकिन क्या यह सज़ा उस क्रूरता और बर्बरता के लिए पर्याप्त है, जो सैकड़ों निर्दोष सिखों के साथ की गई थी ? सिख नेता जसविंदर सिंह खैहरा ने इस फैसले पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि सज्जन कुमार को फाँसी की सज़ा होनी चाहिए थी।
उन्होंने कहा कि हज़ारों निर्दोष सिखों को बेरहमी से मार दिया गया, घरों को जला दिया गया, महिलाओं और बच्चों पर अमानवीय अत्याचार किए गए। यह नरसंहार किसी भी दृष्टिकोण से मानवता के खिलाफ किया गया अपराध था। फिर क्यों आज इस नरसंहार के गुनहगार को केवल उम्रक़ैद देकर छोड़ दिया गया? हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सज्जन कुमार अकेला नहीं था। ऐसे कई नेता और अपराधी हैं जो इस नरसंहार के लिए जिम्मेदार हैं और आज भी खुलेआम घूम रहे हैं।
यह भारतीय न्याय व्यवस्था की विडंबना है कि 40 साल बाद भी हमें इस अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठानी पड़ रही है। हम सरकार और न्यायपालिका से यह माँग करते हैं कि सज्जन कुमार को फाँसी की सज़ा दी जाए, ताकि भविष्य में कोई भी सत्ता के बल पर निर्दोष लोगों का नरसंहार न कर सके। यह केवल सिख समुदाय का मामला नहीं है, बल्कि पूरे देश की न्याय व्यवस्था और मानवता से जुड़ा सवाल है। हम न्याय की इस लड़ाई को जारी रखेंगे और तब तक शांत नहीं बैठेंगे जब तक सभी गुनहगारों को उनके अपराध की पूरी सज़ा नहीं मिलती।
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