पिछले 24 घंटे में आए 2 लाख 58 हजार कोरोना केस, ओमिक्रोन वैरिएंट के मामले पहुंचे 8 हजार के पार.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
देश में कोरोना के हाहाकार के बीच आज एक राहत भरी खबर सामने आई है। देश में बीते 24 घंटे में कोरोना के 2,58,089 नए मामले सामने आए हैं जो कि कल से 13,113 कम हैं। इसके साथ ही कोरोना से ठीक होने वाले लोगों में भी इजाफा हुआ है। केंद्रीय स्वास्थय मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार भारत में पिछले 24 घंटे में 1,51,740 कोरोना मरीज ठीक हुए हैं और 385 लोगों की मौत हुई है।
तीसरी लहर में यह पहली दफा है जब कोरोना केसों में 24 घंटों में इतनी कमी देखने को मिली है। अब कोरोना के कुल एक्टिव केसों की संख्या 16,56,341 हो गई है। कोरोना से ठीक होने वालों की बात करें तो यह आंकड़ा 3,52,37,461 पर पहुंच गया है। देशभर में कुल मौतें अब 4,86,451 हो गई है।
ओमिक्रोन केसों में तेजी जारी
दूसरी ओर अब ओमिक्रोन के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। देश में ओमिक्रान के कुल मामले 8,209 हो गए हैं। वहीं रविवार तक इसके कुल 7,743 मामले थे।
कुल वैक्सीनेशन डोज की संख्या अब 157 करोड़ के पार
देश में कुल वैक्सीनेशन डोज की संख्या 1,57,20,41,825 पहुंच गई है। बता दें कि कल ही कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण अभियान का एक साल पूरा हुआ है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने देशवासियों को बधाई दी थी। एक साल में देश की 93 प्रतिशत वयस्क आबादी को टीके की पहली डोज लगाई जा चुकी है जबकि 69.8 प्रतिशत से अधिक का पूर्ण टीकाकरण किया जा चुका है।
भारत में कोरोना का नया वैरिएंट ‘ओमिक्रॉन’ लोगों को तेजी से अपने चपेट में ले रहा है. ऐसे में केंद्र सरकार ने बूस्टर डोज लगाने की शुरूआत भी कर दी है. वहीं, न्यूज एजेंसी एएनआई ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया कि ओमिक्रॉन के बढ़ते संक्रमण के बीच भारत में बनी पहली mRNA वैक्सीन का परीक्षण किया गया है. पुणे स्थित जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स ने mRNA वैक्सीन के दूसरे चरण के आंकड़े जमा कर दिए हैं जबकि तीसरे चरण की भी तैयारियां पूरी कर ली गई है. बता दें कि mRNA वैक्सीन को बूस्टर डोज के बेहतर विकल्प के तौर पर देखा जाता है.
बूस्टर डोज के लिए विशेषज्ञों की पहली पसंद
आज बूस्टर डोज की मांग हर तरफ बढ़ रही है. ऐसे में बूस्टर के तौर पर विशेषज्ञों की पहली पसंद एमआरएनए वैक्सीन बनी हुई है. देश के टॉप वैक्सीन एक्सपर्ट डॉ गगनदीप कांग के अनुसार सरकार को बूस्टर डोज के तौर पर एमआरएनए वैक्सीन का इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि यह बढ़िया काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि या तो सरकार बाहर से इन वैक्सीनों को देश में मंगवाए या पुणे की जेनोवा बायो फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड की एमआरएनए वैक्सीन का भी इंतजार कर सकती है. आपको बता दें कि अमेरिकी कंपनी फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन एमआरएनए तकनीक पर ही आधारित हैं. फाइजर का इस्तेमाल कई देशों में बूस्टर डोज के तौर पर हो रहा है.
क्या है mRNA वैक्सीन
mRNA वैक्सीन न्यूक्लिक एसिड वैक्सीनों की श्रेणी में आता है. जो शरीर के भीतर इसके खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करने के लिए रोग पैदा करने वाले वायरस या रोगज़नक़ से जेनेटिक सामग्री का उपयोग करते हैं. इसमें इंसानों की कोशिकाओं के लिए ऐसे इंफॉर्मेशन फीड किए जाते हैं जिससे कोशिका ऐसे प्रोटीनों का निर्माण करें जो वायरस की कॉपी हो और शरीर उसे पहचान ले. दूसरे वैक्सीन में वायरस के ही हिस्से का इस्तेमाल किया जाता है. जबकि एमआरएनए में असली वायरस का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. कोवैक्सीन में कोरोना के मूल वायरस का इस्तेमाल किया गया है, जबकि कोविशील्ड चिंपैंजी के एडिनो वायरस से बना है.
वहीं, बूस्टर डोज को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि बूस्टर डोज उन लोगों को लगवानी चाहिए जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है और जिन्होंने मूल वायरस से बनी वैक्सीन लगवाई है.