बुर्ज खलीफा के बाद दूसरे नंबर पर है 2227 फीट ऊंची इमारत, तस्वीरें चकरा जाएगें
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
मलेशिया के कुआलालम्पुर में Merdeka 118 नाम की 2,227 फीट ऊंची इमारत को देखकर किसी का भी दिमाग चक्कर खाने लगेगा. ये इमारत साल 2022 के अंत तक बनकर तैयार हो जाएगी. ऊंचाई के लिहाज से ये इमारत दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची इमारत है. इससे पहले 2,073 फीट ऊंचे शंघाई टावर के पास ये खिताब था, लेकिन अब वो तीसरे नंबर पर चला गया है और मेरेडेका 118 दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा टावर बन गया है

इस टावर को जिस तरह बनाकर तैयार किया गया है, वो वाकई मलेशिया के टूरिज़्म को बूस्ट करने वाला होगा. टावर को सबसे ऊंचाई से देखने के बाद पूरे शहर का बेहद सुंदर नज़ारा दिखाई देगा. 678.9 मीटर की ऊंचाई से नीचे देखना जहां डरावना होगा, वहीं रोमांचक भी होगा.

लंदन के शार्ड से भी दोगुनी ऊंचाई वाले इस टावर को साल 2022 के अंतर तक खोला जाएगा. दुबई के बुर्ज खलीफा के बाद इसे दुनिया की सबसे ऊंची इमारत होने का गौरव मिला है. इसकी ऊंचाई 2717 फीट यानि 828 मीटर है

दुनिया की चौथी सबसे ऊंची बिल्डिंग भी सऊदी अरेबिया का ही अलब्राज़ अल बैत क्लॉक टावर (1972 फीट) है. जबकि चीन में 1966 फीट की ऊंचाई वाला पिंग पांचवे नंबर पर है.

Merdeka 118 को मेगाटॉल स्काईस्क्रैपर कहा जा रहा है. इसे स्टेडियम मेरडेका में बना गया है. ये जगह 1957 में मलेशिया की स्वतंत्रता की घोषणा की प्रतीक है. इसे ऑस्ट्रेलियन फर्म Fender Katsalidis Architects ने डिज़ाइन किया है.

बिल्डिंग का डिज़ाइन स्लीक है और इसे त्रिकोणीय शीशे के पैनल्स से बनाया गया है. इस शेप को मलेशिया के पारंपरिक आर्ट एंड क्राफ्ट से उठाया गया है. ये टावर 2,78,709 वर्गमीटर के फ्लोर एरिया में बना है. इसमें पर्यटकों के देखने के लिए बहुत कुछ होगा.

साउथईस्ट एशिया की सबसे ऊंची बिल्डिंग में दफ्तर और होटेल्स के अलावा मॉल भी होगा. इसमें ग्लासडोम बनाया गया है. बिल्डिंग के अंदर टेक्सटाइल म्यूज़ियम और मस्जिद भी मौजूद होगी, जिसमें 3000 लोग आ सकेंगे. (All Photos Credit- merdeka118.com)
यह भी पढ़े
पति पत्नी बनाए शादी के खतरनाक नियम, सुनकर लोग भड़क गए
अनियंत्रित पिकअप वैन ने बाइक सवार को मारा टक्कर,दो घायल
204 वाँ भीमा कोरेगाँव शौर्य दिवस मनाया गया
ताड़ी बेचने वालों ने बहरौली में एसएच 73 किया जाम
चार बार के विधायक रहने के बाद सभापति बाबू के खाते में थे, मात्र 50 रुपये