संसद पर आतंकी हमले की 22वीं बरसी: गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा था लोकतंत्र का मंदिर
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क
नई दिल्ली। आज से ठीक 22 साल पहले की बात है। 13 दिसंबर 2001 को भारत के लोकतंत्र के मंदिर, संसद भवन पर आतंकवादी हमला हुआ था। इस हमले में सुरक्षाकर्मियों समेत 14 लोगों की जान चली गई थी और 18 लोग घायल हुए थे।
उस दिन संसद में शीतकालीन सत्र चल रहा था। सुबह करीब 11 बजे एक सफेद रंग की एम्बेसडर कार संसद के गेट पर पहुंची। कार में पांच लोग सवार थे। इनमें चार पुरुष और एक महिला थी। सभी लोग फर्जी आईडी कार्ड दिखाकर संसद के अंदर दाखिल हो गए।
कार के अंदर बैठे आतंकियों ने संसद के अंदर घुसते ही गोलीबारी शुरू कर दी। उन्होंने सुरक्षाकर्मियों पर भी गोलियां चलाईं। इस हमले में कई सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए।
आतंकियों ने संसद के कई हिस्सों में कब्जा कर लिया। उन्होंने संसद के अंदर के लोगों को भी बंधक बना लिया। इस दौरान संसद के अंदर अफरा-तफरी मच गई।
आतंकियों के इस हमले के बाद भारतीय सुरक्षा बलों ने संसद भवन को घेर लिया। करीब 12 घंटे तक चले मुठभेड़ के बाद सुरक्षा बलों ने सभी पांच आतंकियों को मार गिराया।
इस हमले में सुरक्षाकर्मियों समेत 14 लोगों की जान गई थी। इनमें 10 सुरक्षाकर्मी, दो सांसद और दो नागरिक शामिल थे।
आतंकियों ने इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तायबा और जैश-ए-मोहम्मद नामक आतंकवादी संगठनों को ली थी।
संसद पर हुए इस हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की थी।
आज इस हमले की 22वीं बरसी है। इस मौके पर देश भर में आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का संदेश दिया जा रहा है।