Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
विश्व में जो नई वर्कफोर्स आएगी उनमें 24.3% भारतीय होंगे,कैसे? - श्रीनारद मीडिया

विश्व में जो नई वर्कफोर्स आएगी उनमें 24.3% भारतीय होंगे,कैसे?

विश्व में जो नई वर्कफोर्स आएगी उनमें 24.3% भारतीय होंगे,कैसे?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अंतरराष्ट्रीय माइग्रेंट सबसे ज्यादा भारत के हैं। वर्ष 2020 में यहां के 1.78 करोड़ लोग दूसरे देशों में रह रहे थे। इसके बाद मेक्सिको (1.10 करोड़), रूस (1.06 करोड़), चीन (98 लाख), बांग्लादेश (73.4 लाख) और पाकिस्तान (6.14 लाख) हैं। वर्ष 1995 में सिर्फ 71.5 लाख भारतीय दूसरे देशों में रह रहे थे।

संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और सऊदी अरब में भारतीय बड़ी तादाद में हैं। पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी बड़ी संख्या में लोग खाड़ी देश जाते हैं। हालांकि तीनों देशों के माइग्रेंट वर्करों के सामने आर्थिक शोषण, विदेश जाने के लिए भारी-भरकम कर्ज और काम की जगह शोषण जैसी समस्याएं होती हैं।

वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया में 2020 में 28.1 करोड़ अंतरराष्ट्रीय प्रवासी (माइग्रेंट) थे, जो विश्व आबादी का 3.6% है। इसमें 14.6 करोड़ पुरुष और 13.5 करोड़ महिलाएं हैं। करीब 16.9 करोड़ माइग्रेंट ऐसे हैं जो काम करने के लिए दूसरे देशों में गए हैं। बाकी विस्थापित और रिफ्यूजी हैं। वैसे, ये आंकड़े 2020 के हैं जब कोरोना महामारी फैली थी और दुनिया में आवाजाही लगभग बंद थी। नए आंकड़े अगले साल जारी होंगे जिसमें प्रवासियों की संख्या काफी बढ़ सकती है।

माइग्रेंट के लिए डेस्टिनेशन देश के तौर पर अमेरिका सबसे ऊपर है, जहां 2020 में 4.34 करोड़ विदेशी रह रहे थे। यह वहां की आबादी का 13.1% है। संयुक्त अरब अमीरात में 84.3 लाख विदेशी हैं, लेकिन यह वहां की आबादी का 85.3% है। भारत में 1995 में 66.9 लाख विदेशी माइग्रेंट थे, 2020 में इनकी संख्या घट कर 44.8 लाख रह गई। इस मामले में भारत का स्थान चौथे से 13वें पर आ गया है।

वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट 2024 के अनुसार वर्ष 2020 में 1.78 करोड़ भारतीय दूसरे देशों में रह रहे थे। उन्होंने 2022 में 111.2 अरब डॉलर की रकम स्वदेश भेजी। दोनों ही मामलों में अगले कुछ वर्षों तक भारत के शीर्ष पर बने रहने की संभावना है। यह तो हम जानते ही हैं कि भारत दुनिया का सबसे युवा देश है और यहां की आबादी की औसत उम्र 28 साल है।

वैश्विक कंसल्टेंसी फर्म ईवाई के अनुसार अगले एक दशक में दुनिया में जो नई वर्कफोर्स आएगी उनमें 24.3% भारतीय होंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय वर्कफोर्स को बैंकिंग, बीमा, फाइनेंस और आईटी के अलावा इलेक्ट्रिक वाहन, सौर ऊर्जा, एआई और साइबर सिक्युरिटी, कंज्यूमर प्रोडक्ट तथा कंस्ट्रक्शन जैसे क्षेत्रों में कुशल बनाया जाए तो हमारे युवाओं की विदेश में मांग बढ़ेगी और हमारा रेमिटेंस भी बढ़ेगा।

पढ़ाई के लिए विदेश जाने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या दो दशक में तीन गुना हुई है। रिपोर्ट में यूनेस्को के हवाले से बताया गया है कि वर्ष 2001 में यह संख्या 22 लाख से कुछ अधिक थी, जो 2021 में 60 लाख से अधिक हो गई। इनमें 47% छात्राएं और 53% छात्र हैं। वर्ष 2021 में चीन से सबसे ज्यादा 10 लाख छात्र विदेश पढ़ने गए। दूसरे स्थान पर भारत रहा जहां से 5.08 लाख छात्र गए। अन्य प्रमुख देशों में वियतनाम, जर्मनी और उज्बेकिस्तान हैं।

पढ़ाई के लिए छात्र सबसे ज्यादा अमेरिका जाते हैं। 2021 में वहां जाने वालों की संख्या 8.33 लाख, इंग्लैंड की 6.01 लाख, ऑस्ट्रेलिया की 3.78 लाख, जर्मनी की 3.76 लाख और कनाडा जाने वालों की 3.18 लाख थी। यूनेस्को की वेबसाइट पर दी जानकारी के अनुसार 2022 में इंग्लैंड में 6.75 लाख और ऑस्ट्रेलिया में 3.82 लाख विदेशी छात्र आए। अमेरिका, जर्मनी और कनाडा के 2022 के आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं हैं।

Leave a Reply

error: Content is protected !!