26 जनवरी ? गणतंत्र दिवस पर विशेष

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श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

आज देश 74वां गणतन्त्र दिवस मना रहा है और गणतन्त्र दिवस इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इस दिन भारत गणतन्त्र देश बना था. गणतन्त्र दिवस के दिन भारत का संविधान लागू हुआ था. जबकि स्वतंत्रता दिवस के दिन भारत को अंग्रेज़ों की लम्बी गुलामी से मुक्ति मिली थी.

इसलिए हर वर्ष 15 अगस्त को स्वतन्त्रता दिवस और 26 जनवरी को गणतन्त्र दिवस मनाया जाता है.

भारत के स्वतंत्र हो जाने के पश्चात् संविधान सभा की घोषणा हुई और इसने अपना कार्य 9 दिसम्बर 1947 से आरम्भ कर दिया. संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे. डॉ. भीमराव अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे.

संविधान निर्माण में कुल 22 समितीयाँ थी जिसमें प्रारूप समिति (ड्राफ्टींग कमेटी) सबसे प्रमुख एवं महत्त्वपूर्ण समिति थी और इस समिति का कार्य संपूर्ण संविधान लिखना या निर्माण करना था. प्रारूप समिति के अध्यक्ष विधिवेत्ता डॉ. भीमराव अंबेडकर थे.

प्रारूप समिति ने और उसमें विशेष रूप से डॉ. अंबेडकर जी ने 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन में भारतीय संविधान का निर्माण किया और संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को 26 नवम्बर 1949 को भारत का संविधान सौंप दिया था, इसलिए 26 नवंबर दिवस को भारत में संविधान दिवस के रूप में प्रति वर्ष मनाया जाता है.

संविधान सभा ने संविधान निर्माण के समय कुल 114 दिन बैठक की. इसकी बैठकों में प्रेस और जनता को भाग लेने की स्वतन्त्रता थी. अनेक सुधारों और बदलावों के पश्चात् सभा के 308 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को संविधान की दो हस्तलिखित कॉपियों पर हस्ताक्षर किये. इसके दो दिन पश्चात् संविधान 26 जनवरी को यह देश भर में लागू हो गया.

26 जनवरी का महत्व बनाए रखने के लिए इसी दिन संविधान निर्मात्री सभा (कांस्टीट्यूएंट असेंबली) द्वारा स्वीकृत संविधान में भारत के गणतंत्र स्वरूप को मान्यता प्रदान की गई. जैसा कि आप सभी जानते है कि 15 अगस्त 1947 को अपना देश हजारों देशभक्तों के बलिदान के पश्चात् अंग्रेजों की गुलामी (अंग्रेजों के शासन) से मुक्त हुआ था. इसके पश्चात् 26 जनवरी 1950 को अपने देश में भारतीय शासन और कानून व्यवस्था लागू हुई.

इस स्वतन्त्रता को पाने में अपने देश की हजारों-हजारों माताओं की गोद सूनी हो गई थी, हजारों बहनों बेटियों के माँग का सिंदूर मिट गया था, तब कहीं इस महान बलिदान के पश्चात् देश स्वतंत्र हो सका था.

पहले हमने लाखों का बलिदान देकर स्वतन्त्रता पाई है लेकिन अब भारत को पुनः परमवैभव की ओर ले जाने के लिए हमें देश के गद्दारों को पहचान कर सावधान होना होगा तथा देश के लिए जीना होगा और अपना योगदान देना होगा.

आप सभी को इस पावन पवित्र गणतन्त्र दिवस की कोटि-कोटि हार्दिक शुभकामनाएँ.

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