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भिखारी ठाकुर के 29 गो रचना प्रकाशित भइल रहे - श्रीनारद मीडिया
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भिखारी ठाकुर के 29 गो रचना प्रकाशित भइल रहे

भिखारी ठाकुर के 29 गो रचना प्रकाशित भइल रहे

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भिखारी ठाकुर में अदभुत प्रतिभा रहे । उ मूल रुप से कवि रहले , गीतकार रहले , आ बहुते सुरीला उ गावतो रहले । बेहतरीन अभिनय के क्षमता रहे उनुका में । नाटकन के संवाद के रचना उ करत रहले । नाटक के पात्रन के संगठित क के ओह लोगन के अभिनय , गायकी आ नाचे के प्रशिक्षणो देत रहले । साज आ संगीत के जुड़ाव उ देखत रहले । भोजपुरी भाषा में , कैथी आ देवनागरी लिपि में उ लिखतो रहले । उनुकर कुल्हि 29 गो किताब / रचना प्रकाशित भइल रहे ।

1- बिरहा बहार
2- राधेश्याम बहार नाटक
3- बेटी-वियोग नाटक
4- कलियुग प्रेम नाटक
5- गबरघिचोर नाटक
6- भाई-बिरोध नाटक
7-श्री गंगा स्नान नाटक
8- पुत्रबध नाटक
9- नाई बहार
10-ननद-भौजाई संवाद
11-भांड़ के नकल
12-बहरा-बहार नाटक
13-नवीन बिरहा नाटक
14-भिखारी शंका समाधान
15- भिखारी हरिकीर्तन
16- यशोदा सखी संवाद
17- भिखारी चौयुगी
18- भिखारी जै हिन्द खबर
19- भिखारी पुस्तिका सुची
20- भिखारी चौवर्ण पदबी
21- विधवा-विलाप नाटक
22- भिखारी भजनमाला
23- बूढशाला के बयान
24- श्री माता भक्ति
25- श्री नाम रतन
26- राम नाम माला
27- सीताराम परिचय
28- नर नव अवतार
29- एक आरती दुनिया भर के

एकरा अलावा कुछ छुटकर फूट नोट हेने – होने कापी कागज के टुकी प लिखाइल रहे । बिहार राष्ट्रभाषा परिषद ” भिखारी ठाकुर रचनावली ” नाव से भिखारी ठाकुर के रचना / लेख के एक जगहा प्रकाशित कइले बड़ुवे । बिहार राष्ट्र भाषा परिषद भिखारी ठाकुर के रचना के दु भाग में वर्गीकरण कइले बड़ुवे –

लोकनाटक –

1- बिदेसिया
2- भाई-बिरोध
3- बेटी -बियोग
4-विधवा -बिलाप
5- कलियुग प्रेम
6- राधेश्याम बहार
7- गंगा – स्नान
8- पुत्र-बध
9- गबरघिचोर
10- बिरहा – बहार
11- नकल भाड़ आ नेटुआ के
12- ननद भउजाई

भजन – कीर्तन – गीत – कविता –

1- शिव – विवाह
2- भजन कीर्तन – राम
3- रामलीला गान
4- भजन कीर्तन – कृष्ण
5- माता भक्ति
6- आरती
7- बूढशाला के बयान
8- चौवर्ण पदबी
9- नाई बहार
10- शंका समाधान
11- विविध
12- भिखारी ठाकुर परिचय

भिखारी ठाकुर के हर रचना समाज खातिर घर परिवार खातिर बहुत बरिआर आ गहिर सनेश रखले बा‌डी स आ उहे कारण रहे कि भिखारी ठाकुर के हर प्रस्तुति हर रचना के पहुंच जन-जन ले रहे । उनुकर लिखल कुछ रचना नाटकन के समाज के दृष्टिकोण से बहुत महत्व रहे आ ओकर असर भी बहुत बरिआर रहे । आस्था , भक्ति धर्म आ आडम्बर के बीच के भेद आ एह के रुप बड़ा ही सुनर तरिका से भिखारी ठाकुर अपना रचना में देखवले बा‌डे । उँहा के कुछ रचना / नाटक के समाज से जुड़ाव –

1-बिदेसिया – पति – वियोग / पलायन / पलायन से उपजे वाला पारिवारिक परेशानी
2-भाई -विरोध – संयुक्त परिवार में विघटन
3-विधवा- विलाप – विधवा के संगे सामाजिक अत्याचार
4-गंगा स्नान – धार्मिक आडम्बर
5-पुत्र -बध – नारी चरित्र के विचलन
6-गबरघिचोर – पुरुष प्रधान समाज के तुरे के कोशिश , मानव के वस्तु के रुप में देखे के मानसिकता
7-ननद भउजाई – बाल विवाह , पारिवारिक नफरत
8-कलियुग प्रेम – नशाखोरी आ ओकर असर
9-बेटी-वियोग – बेटी बेचे वाली सोच आ बेमेल बिआह

भिखारी ठाकुर के नाटकन के खास बात इ बा कि आधा आबादी यानि कि नारी समाज के बहुत उचित आ प्रधान रोल दिहल गइल बा । आधा आबादी के आवाज बन के क गो नाटक सोझा आ रहल बा । चाहें उ बिदेसिया होखे भा गबरघिचोर । नारी के हर रुप देखे के मिल रहल बा भिखारी ठाकुर के नाटकन में ।

भिखारी ठाकुर के रचना में काव्य बेसी बा , आ काव्य के हर रुप हर भाव के दर्शन होला । इनिकर गीत लय सुर ताल से ले के आरोह -अवरोह में नीमन से सरिहरइला के वजह से गेय आ प्रभावी बड़ुवे । लोकगीत के प्रचलित विधा में इँहा के अधिकतर रचना कइले बानी । जइसे कजरी , फाग , चइता , चौबोला , बारहमासा , सोहर , वियाह के गीत , जंतसार , सोरठी , आल्हा , पचरा , भजन , बिरहा , कीर्तन आदि बा ।

भिखारी ठाकुर के बारे में कुछ बड़हन साहित्यकार लोगन के कथन –

हमनी के बोली में केतना जोर हवे , केतना तेज बा – ई अपने सब भिखारी ठाकुर के नाटक में देखीला । भिखारी ठाकुर हमनी के एगो अनगढ हीरा हवे । उनुका में कुलि गुन बा , खाली एने-ओने तनी-मुनी छांटे के काम हवे ।

-राहुल सांकृत्यायन

भिखारी ठाकुर वास्तव में भोजपुरी के जनकवि बा‌डे । उनुका कविता में भोजपुरी जनता अपना सुख-दुख , नीमन-बाउर के सोझ आ साफ रुप में देख सकेले । गांव से जुड़ल विषयन प ठेठ आ टकसाली भोजपुरी में लिखे में भिखारी ठाकुर सिद्धहस्त बा‌डे ।

-डा. उदय नारायण तिवारी

उ ( भिखारी ठाकुर ) कइ गो नाटक समाज-सुधार -संबंधी लिखले बा‌डे । उ एगो नाटक मंडली बनवले बाड़े जवना के धुम भोजपुरिया जिला आ भोजपुरियन के बीचे खुबे बा ।

-दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह

जनता के चीझू के जनता के सोझा , जनता के मनोरंजन खातिर , प्रस्तुत क के भिखारी ठाकुर बड़ लोकप्रियता पवले । सांच त इहे बा कि खाली इ एगो आदमी , भोजपुरी के जतना प्रचार कइले बा , ओतना प्रचार शायदे केहू कइले होखे । भोजपुरी प्रदेश में भोजपुरी कविता आ भोजपुरी नाटक के धूम मचा देबे वाला एह नाटककार आ अभिनेता के भोजपुरी भाषा के प्रचार प्रसार में सबसे बेसी योगदान बा ।

-डा. कृष्णदेव उपाध्याय

उ ( भिखारी ठाकुर ) सही माने में लोक-कलाकार रहले , जे वाचिक / मौखिक परम्परा से उभर के आइल रहले बाकिर उनुकर नाटक हमनी के सोझा मौखिक आ लिखित दुनो रुप में बा । उ एगो लोक-सजग कलाकार रहले , खलिहा मनोरंजन कइल उनुकर मकसद ना रहे । उनुकर हर कृति कवनो ना कवनो सामाजिक विकृति भा कुरिति प बरिआर चोट करत बड़ुवे आ अइसन करत घरी उनुकर सबसे चोख हथियार बड़ुवे व्यंग्य ( गाभी / टिबोली ) ।

-डा. केदार नाथ सिंह

भिखारी ठाकुर के ‘ अनगढ हीरा ‘ राहुल सांकृत्यायन जी कहले रहनी , भिखारी ठाकुर के तुलना ‘ शेक्सपियर ‘ से , अंग्रेजी के प्रकांड विद्वान प्रो. मनोरंजन प्रसाद सिंह जी कइले रहनी , भिखारी ठाकुर के ‘ भोजपुरी के जनकवि ‘ डा. उदय नारायण तिवारी जी कहले रहनी ।

भिखारी ठाकुर प पहिला हाली काम करे वाला कुछ लोग –

भिखारी ठाकुर प पहिला किताब लिखे वाला रहनी महेश्वराचार्य जी । असल में भिखारी ठाकुर प 1931 से इहाँ के अलग अलग पत्र-पत्रिका में लेख लिखत रहनी जवन बाद में भिखारी ठाकुर के रुप में आइल आ फेरु भिखारी नाव से 1978 के करीब किताब आइल ।

भिखारी ठाकुर के चर्चा आ मंचन के रंगमंच के एलीट-क्लास में ले आवे के श्रेय जाला जगदीश चंद्र माथुर जी के । इहें के भिखारी ठाकुर के नाटक के मंचन, पटना में करवइले रहनी जवन ऐतिहासिक हो गइल रहे ।

भिखारी ठाकुर के सबसे पहिला साक्षत्कार लेबे वाला व्यक्ति रहनी पो. रामसुहाग सिंह । 1 जनवरी , 1965 के धापा कलकत्ता में इंटरव्यू ले ले रहनी ।

भिखारी ठाकुर के नाटक ‘ बिदेसिया ‘ के सबसे बेसी हाली मंचन करे के श्रेय जाला संजय उपाध्याय जी के । 725 हाली से बेसी, भारत के अलग अलग क्षेत्र शहर में बिदेसिया के मंचन संजय उपाध्याय जी के निर्देशन में निर्माण कला मंच के माध्यम से भइल बा । इहां द्वारा मंचित बिदेसिया नाटक के प्रस्तुति आखर के युट्युब प देखीं – https://youtu.be/jwBEwMqbo5o

भिखारी ठाकुर प पहिला शोध , डा. तैयब हुसैन पिड़ीत जी के ह । 1988 में बिहार विश्वविद्यालय , मुजफ्फरपुर से भिखारी ठाकुर के व्यक्तित्व आ कृतित्व प शोध कइले रहनी ।

 

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