मौनी अमावस्या 29 जनवरी को, जानें मौनी अमावस्या का क्या है महत्व।
सिवान जिला के सभी प्रखंडो सहित दारौंदा प्रखण्ड के सभी क्षेत्रों में मौनी अमावस्या 29 जनवरी बुधवार को मनाई जाएगी।
श्री नारद मीडिया, उत्तम कुमार, दारौंदा, सिवान, बिहार।
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मौनी अमावस्या का व्रत हर साल माघ मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती हैं। इसे माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।
“मौनी” का अर्थ मौन और मुनि से भी है यानि इस दिन कम बोलें।
पंचांग के अनुसार इस साल यह व्रत 29 जनवरी बुधवार को किया जायेगा और इसी दिन प्रयागराज महाकुंभ में अमृत स्नान भी होगा।
पुराणों में अमावस्या तिथि को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह दिन गंगा स्नान, दान और पितरों की पूजा के लिए बेहद पुण्यदायक माना जाता हैं। प्रत्येक अमावस्या का अपना विशेष महत्व होता है, लेकिन मौनी अमावस्या को इनमें सबसे खास माना गया है। इस दिन मौन रहकर व्रत करने की परंपरा है। इसे जप, तप और साधना के लिए सबसे उपयुक्त समय माना गया है।
मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने का विधान है। साधक इस दिन मौन रहकर व्रत करते हैं, जो मुख्यतः आत्मसंयम और मानसिक शांति के लिए किया जाता है। यह व्रत साधु- संतों के द्वारा भी किया जाता है, क्योंकि मौन रहकर मन को नियंत्रित करना और ध्यान में एकाग्रता लाना सरल हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार, मौन व्रत से व्यक्ति के भीतर आध्यात्मिक उन्नति होती है। इसके माध्यम से वाणी की शुद्धता और मोक्ष की प्राप्ति संभव है।
इस दिन प्रातःकाल गंगा स्नान करने का विशेष महत्व है। कहते हैं कि मां गंगा के जल में भगवान विष्णु का वास होता है। इसलिए इस दिन गंगा स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ करने के समान फल मिलता है। यदि गंगा स्नान संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए।स्नान के बाद भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए।
इस दिन ज्यादा समय मौन रहना चाहिए। ध्यान- जप इत्यादि करना काफी लाभदायक होता है।
मौनी अमावस्या के दिन
पीपल के पेड़ की पूजा करें एवं दूध चढ़ाएं। एक दीपक जलाएं। इस दिन आटे में तिल मिलाकर रोटी बनाएं और गाय को खिला दें। तिल या तिल के लड्डू ,चावल, वस्त्र और कम्बल का दान करें। अपनी सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंदो को अन्न, द्रव्य आदि का दान दें, ब्राह्मणों को भोजन कराएं । इस दिन किया हुआ दान-पुण्य कई गुना शुभ फल प्रदान करता है।