झारखंड सरकार के पक्ष में पड़े 47 वोट
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
झारखंड विधानसभा में चंपाई सोरेन की अगुवाई वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल गठबंधन की सरकार ने विश्वासमत जीत लिया है. चंपाई सोरेन की अगुवाई वाली इस सरकार के पक्ष में 47 विधायकों ने मतदान किया. प्रस्ताव के विरोध में 29 वोट पड़े. जमशेदपुर पूर्वी के निर्दलीय विधायक सरयू राय ने मतदान से दूरी बना ली. वहीं, हजारीबाग जिले के बरकट्ठा के निर्दलीय विधायक अमित यादव विधानसभा पहुंचे ही नहीं. भारतयी जनता पार्टी (भाजपा) के 25 विधायकों के अलावा आजसू के 3 और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के एक विधायक ने सरकार के खिलाफ मतदान किया.
हेमंत बाबू है, तो हिम्मत है : चंपाई सोरेन
हेमंत बाबू है, तो हिम्मत है. झारखंड के नए मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने अपने विश्वासमत प्रस्ताव की शुरुआत इन्हीं शब्दों के साथ की. उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 में हेमंत सोरेन की सरकार बनने के बाद से ही उसे गिराने की साजिशें शुरू हो गईं थीं.
हेमंत सोरेन के कुशल नेतृत्व में किसी को तकलीफ नहीं हुई
उन्होंने उनके नेतृत्व को कुशल नेतृत्व करार दिया. कहा कि जब कोरोनावायरस ने दस्तक दी, तो पूरी दुनिया थम गई थी. भारत में भी लॉकडाउन लगा दिया गया. लोग जहां थे, वहीं रह गए. लेकिन, हमारे युवा नेता हेमंत सोरेन ने किसी प्रवासी मजदूर को कोई तकलीफ नहीं होने दी. किसी को भूख से नहीं मरने दिया. बस से, ट्रेन से उन्हें अन्य राज्यों से झारखंड लाए.
कोरोना काल में हेमंत सोरेन के कार्यों की चंपाई सोरेन ने दिलाई याद
चंपाई सोरेन ने कहा कि ऐसे मजदूर जो हवाई चप्पल पहनते थे, लुंगी पहनते थे, उनके लिए भी हेमंत बाबू ने हवाई जहाज की व्यवस्था की. उनके चार साल के कार्यकाल में खनिज संपदा से परिपूर्ण झारखंड प्रदेश के खनिज का इस्तेमाल देश के अलग-अलग हिस्से में हुआ. यहां की संपदा ने गुजरात, महाराष्ट्र जैसे राज्यों को समृद्ध किया. वहीं, हमारे आदिवासी-मूलवासी विस्थापित हुए.
बिना किसी गलती के हेमंत सोरेन को जेल जाना पड़ा
उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन ने इस बात की चिंता की कि इतने धनी प्रदेश के आदिवासी-मूलवासियों के तन पर कपड़े क्यों नहीं हैं. उनके पैरों में चप्पल नहीं थी, उनके लिए भी हवाई जहाज की व्यवस्था की. उन्होंने कहा कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने हमें संघर्ष करना सिखाया. वही मेरे आदर्श हैं. उन्होंने केंद्र की वर्तमान सरकार को ‘महाराज’ की संज्ञा दी. कहा कि 2019 में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की सरकार झारखंड में बनी. मुख्यमंत्री रहते जमीन घोटाला मामले में उनको गिरफ्तार कर लिया गया. किसी खाते में उनका नाम नहीं है. फिर भी उनको जेल जाना पड़ा.
आदिवासी नेतृत्व पर कसा जाता है शिकंजा
जब-जब झारखंड के आदिवासी नेतृत्व की क्षमता बढ़ती है, उन पर शिकंजा कसने की कोशिश शुरू हो जाती है. बाबा तिलका माझी का इतिहास हो या सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो का इतिहास हो. पोटो हो का इतिहास हो या भगवान बिरसा मुंडा का इतिहास. आदिवासियों की सामाजिक व्यवस्था जल-जंगल-जमीन को बचाने की कोशिश की, तो पूरी दुनिया ने देखा कि उनके साथ क्या हो रहा है.
भानु प्रताप शाही के 7 करोड़ रुपए ईडी ने जब्त किए, लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया. भानु प्रताप भाजपा में चले गए, इसलिए उन्हें नहीं पकड़ा गया. लेकिन हमारे हेमंत बाबू के खिलाफ कोई केस न होते हुए भी उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. उनकी गलती यही थी कि वे झारखंड को और झारखंड के आदिवासियों-मूलवासियों को आत्मनिर्भर बनाना चाहते थे.
केंद्रीय एजेंसियों पर चंपाई सोरेन ने लगाए गंभीर आरोप
उन्होंने ईडी, सीबीआई और आईटी पर भी गंभीर आरोप लगाए. कहा कि ये केंद्रीय एजेंसियां केंद्र की सरकार के इशारे पर काम करतीं हैं. यह लोकतंत्र के लिए खतरा है. बाबा भीमराव आंबेडकर और जयपाल सिंह मुंडा ने जो संविधान बनाया था, उसकी रक्षा के लिए, लोकतंत्र को बचाने के लिए हमें आपके समर्थन की जरूरत है.
31 जनवरी को हेमंत सोरेन ने दिया था इस्तीफा
जमीन घोटाला मामले में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद चंपाई सोरेन को गठबंधन के विधायक दल का नया नेता चुना गया था. उन्होंने 31 जनवरी को मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. हेमंत सोरेन के सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद चंपाई सोरेन ने सरकार बनाने का दावा पेश किया. 2 फरवरी को राजभवन में उन्होंने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली थी.
मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने कहा कि हेमंत ने जो दीया जलाया है, उसे बुझने नहीं देंगे. विकास के जो कार्य उन्होंने शुरू किये हैं, बस उसी को आगे बढ़ाना है. झारखंड के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है. सामाजिक व्यवस्था को बनाये रखना है. मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद चंपाई सोरेन ने प्रभात खबर से बात की. बचपन से लेकर झारखंड आंदोलन तक का जिक्र किया. झारखंडी सोच की बात कही. उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि कुछ नया करने की जरूरत नहीं है. सारा खाका तैयार है.
विधानसभा को संबोधित करते हुए हेमंत सोरेन ने कहा कि मैं आदिवासी समाज से आता हूं. नियम, कायदे, कानून का अभाव है. बौद्धिक क्षमता हमारे शत्रु पक्ष के बराबर नहीं है. लेकिन, सही-गलत की समझ तो हर इंसान रखता है. हर जानवर भी रखता है. हेमंत सोरेन ने कहा कि बड़ी सुनियोजित तरीके से, बड़े लंबे समय से, वर्ष 2022 से ही इसकी पटकथा लिखी जा रही थी. इस पकवान को बहुत धीमी आंच में पकाया जा रहा था. लेकिन, इनका पकवान पकने को तैयार नहीं था. येन-केन-प्रकारेण इन्होंने अपने लिए इस पकवान को परोस ही लिया. उन्होंने कहा कि बड़े ही सुनियोजित तरीके से इन लोगों ने मुझे अपनी गिरफ्त में लिया है.
हेमंत सोरेन ने कहा कि आज कहीं न कहीं मुझे लगता है कि बाबा भीमराव आंबेडकर ने सबको समानता का अधिकार दिया. इसके लिए उन्हें अपना धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाना पड़ा. आदिवासियों के साथ भी ऐसा ही होता दिख रहा है. हेमंत सोरेन ने कहा कि गरीबों, दलितों, पिछड़ों पर जो अत्याचार होते रहे हैं, उसका जीता जागता उदाहरण 31 जनवरी की रात को देखने को मिला. इन वर्गों के प्रति हमारे सत्ता पक्ष की घृणा, इतना द्वेष इनके मन में कहां से आता है,
मेरी समझ से परे है. इन्हीं के पाले हुए तंत्र यह कहते नहीं शरमाते कि ये जंगल में थे, तो इन्हें जगल में ही रहना चाहिए. हम जंगल से बाहर आ गए, इनक बराबर में बैठ गये. इनकी खबरें लेने लगे, तो हम इन्हें अछूत दिखने लगे. इन्हीं विडंबनाओं को तोड़ने का हमने प्रयास किया था. झारखंड आदिवासी, दलित बहुल पिछड़ा राज्य है. हमने इन सबको आगे बढ़ाने के लिए कोई कमी नहीं रखी.
हेमंत सोरेन ने कहा कि हमारे विरोधियों का वश चले, तो हमें फिर जंगल में जाकर 100 साल पुराना जीवन व्यतीत करना पड़ेगा. मुझे इसका आभास था. इनके अंदर छुपी कुंठा आए दिन यह बयां करती थी. इनके आक्रमणों से मुझे एहसास हो रहा था, लेकिन मैंने हार नहीं मानी. इन्हें लगता है कि मुझे जेल की सलाखों के पीछे डालकर ये अपने मंसूबों में सफल हो जाएं, तो बता दूं कि ये झारखंड है. देश का ऐसा राज्य है, जहां हर कोने में आदिवासी, दलित, पिछड़े वर्गों के अनगिनत सिपाहियों ने अपनी कुर्बानी देकर आदिवासियों, दलितों की जान बचाई है.
मैं आंसू नहीं बहाऊंगा, आंसू वक्त के लिए रखूंगा
आदिवासी, दलित, पिछड़ों के आंसू का आपके लिए कोई मोल नहीं है. वक्त आने पर हम इनके एक-एक सवाल का जवाब देंगे. इनके एक-एक षड्यंत्र का जवाब समय आने पर माकूल तरीके से देंगे. दुर्भाग्य है इस राज्य का कि तथाकथित हमारे राज्य के कुछ लोग, जो ऐसी सामंती विचारधारा के लोगों के चरणों छुप गए हैं, उनकी सेवा और पूजा-अर्चना में लगे हैं. अन्यथा राज्य की ऐसी दुर्दशा नहीं होती.
उन्होंने कहा कि राज्य अलग हुए 24 साल हो गए. किसने सबसे ज्यादा राज्य की. मुझे कहने की जरूरत नहीं है. किसी को बताने की भी जरूरत नहीं है. सब अपने गिरेबां में झांकें. पता चल जाएगा कि कौन कहां बैठा. 2019 में ही इनको घोटाले नजर आ रहे हैं. पहले कुछ नजर नहीं आया. ये नहीं चाहते कि देश का आदिवासी, पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक देश के सर्वोच्च स्थान पर पहुंचे. ये नहीं चाहते कि ये जज बनें, ये आईएएस-आईपीएस बनें.
इन्हीं के साथ बैठे लोगों ने भी आदिवासी नेता को मुख्यमंत्री बनाया था. कितने आदिवासियों ने पांच साल पूरे किए. मुझे मालूम था कि मुझे भी अपना कार्यकाल पूरा करने में रोड़े अटकाएंगे. रिकॉर्ड में नहीं आना चाहिए. रजिस्टर में नाम नहीं आना चाहिए. हमने सिर झुकाकर चलना नहीं सीखा. यही खूबी है आदिवासी की.