चार दिवसीय पर्व चैती छठ 1 अप्रैल मंगलवार को नहाय खाय से शुरू होगा।

चार दिवसीय पर्व चैती छठ 1 अप्रैल मंगलवार को नहाय खाय से शुरू होगा।

श्री नारद मीडिया, उत्तम कुमार, दारौंदा, सिवान, (बिहार)।

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सिवान जिला के सभी प्रखण्डों सहित प्रखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों में लोक आस्था का महापर्व चैती छठ 1 अप्रैल मंगलवार को नहाय खाय से शुरू होकर 4 अप्रैल शुक्रवार को प्रातः कालीन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ चार दिवसीय महानुष्ठान छठ पर्व का समापन होगा।

चार दिवसीय महापर्व छठ के पहले दिन :-

नहाय खाय होता है जो 1 अप्रैल मंगलवार को है।
इस दिन छठ व्रती स्नान करके लौकी (कद्दू) की सब्जी, अरवा चावल का भात और चना की दाल का भोजन कर व्रत की शुरुआत करेंगी।

पर्व के दूसरे दिन:-

खरना होता है जो 2 अप्रैल बुधवार को है। इस दिन व्रती निर्जला रह कर शाम में मिट्टी के बने चूल्हे पर साठी के चावल व दूध से बने रसियाव व रोटी को छठी मैया को भोग लगाकर पूरा परिवार प्रसाद ग्रहण करता हैं।

पर्व के तीसरे दिन:-

षष्ठी तिथि को छठ का महापर्व मनाया जाता है। जो इस बार 3 अप्रैल गुरुवार को है। इस दिन व्रती नदी व तालाबों के घाटों पर अस्त होते हुए ‘सूर्य को अर्घ्य देते हैं।

छठ पर्व के चौथे यानि अंतिम दिन:-

सप्तमी तिथि को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। जो 4 अप्रैल शुक्रवार को प्रातः कालीन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण होता हैं। इसी के साथ चार दिवसीय महापर्व छठ व्रत का समापन होगा।

छठ पूजा को लोक आस्था का महापर्व कहा जाता है।
मान्यता है कि यह पर्व भगवान सूर्य और उनकी पत्नी प्रथा की आराधना के लिए मनाया जाता है।
एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार छठी मैया को ब्रह्मदेव की मानस पुत्री और भगवान सूर्य की बहन बताया गया है। छठी मैया को संतान प्राप्ति की देवी कहा जाता है और सूर्य देव को शरीर के मालिक या देवता कहा गया है।

छठ महापर्व को लोंग बहुत ही शुद्धता और आस्था के साथ करते हैं। यह महाव्रत परिवार के लिए सुख समृद्धि ,संतान की लम्बी आयु और अच्छे स्वस्थ जीवन की कामना के लिए विधि पूर्वक करते हैं।
धार्मिक मान्यता हैं कि व्रत को करने से जातक को संतान की प्राप्ति होती हैं।

यह त्योहार सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है।
छठ महापर्व का प्रत्येक दिन महत्वपूर्ण है और इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।

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