*संपूर्णानंद वीवी दीक्षांत समारोह में मेधावी को मिले स्वर्ण पदक, “संस्कृत केवल भाषा नहीं, भारतीय संस्कृति की आत्मा*”
*श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी*
*वाराणसी* / संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के 38वें दीक्षांत समारोह में 29 मेधावियों में 58 स्वर्ण पदक वितरित किए गए। बतौर मुख्य अतिथि मालदीव में पूर्व राजदूत और विदेश मंत्रालय में अपर सचिव अखिलेश मिश्र ने मेधावियों को स्वर्ण पदक वितरित कर जीवन मे सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि संस्कृत का भारतीय संस्कृति से अटूट संबंध है। यह विश्व कल्याण की भाषा है। देववाणी में शब्दों की उतपत्ति गुणों से होती है।भारत की एकजुटता की परंपरा देखनी हो तो केवल संस्कृत में ही मिलती है। अखिलेश मिश्र ने कहा कि संस्कृत की वजह से ही भारत विविधता वाला देश है। संस्कृत के प्रभाव से ही विश्व बंधुत्व की भावना विकसित होती जा रही है। दीक्षांत का अर्थ शिक्षा का अंत नही बल्कि दायित्व निर्वहन की जिम्मेदारी अब और बढ़ गई है।देश की सांस्कृतिक आत्मा की रक्षा के लिए आगे आने की जरूरत है। समारोह में आचार्य परीक्षा में सर्वाधिक 10 पदक पाकर मीना कुमारी विश्वविद्यालय टॉपर रही। इसके बाद आचार्य परीक्षा में ही सुमित्रानंदन चतुर्वेदी-आशुतोष मिश्र को 5-5 पदक मिले। इस दौरान राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने पंडित रामयत्न शुक्ल को महामहोपाध्याय की उपाधि प्रदान की।