विपक्ष सौ दिन में भी नहीं बता सका कि कृषि कानून में काला क्या है? – सुशील कुमार मोदी
श्रीनारद मीडिया, स्टेट डेस्क :
सुशील मोदी ने ट्वीट किया है की नये कृषि कानून किसानों को मंडियों के अलावा कहीं भी बेहतर दाम पर फसल बेचने का विकल्प देकर उनकी आमदनी बढाने वाले हैं, लेकिन राजनीतिक दुष्प्रचार और दुराग्रह के कारण किसानों का एक वर्ग 100 दिन में भी अपने हित की बात नहीं समझ पाया।
बिचौलियों और अमीर किसानों की हठधर्मी को वोट में बदलने की नीयत से जिन दलों भारत बंद कराया और बिहार में मानव श्रृखंला बनवाने का नाटक किया, वे नहीं बता पाये कि नये कृषि कानूनमें “काला” क्या है?
असल में कानून नहीं, किसानों के ट्रैक्टर पर सोफा लगा कर बैठने वाले दलों का इरादा काला है।
किसान आंदोलन के सौ दिन यदि देश की अर्थव्यवस्था पर बोझ साबित हुए, तो इसके लिए कांग्रेस, राजद और वामदलों को अपने-अपने हिस्से की गलती माननी चाहिए।
राहुल गांधी यदि कुछ फिल्मी व्यक्तियों के परिसरों पर आय कर के छापे से जोड़ कर देख रहे हैं, तो वे बतायें कि इन्हीं लोगों के यहां यूपीए सरकार के दौरान छापे क्यों पडे?
क्या इससे पहले किसी बडी फिल्मी हस्ती से आयकर अधिकारियों ने पूछताछ नहीं की?
क्या किसी मुद्दे पर सरकार का विरोध करना आर्थिक अपराधियों को “राजनीति-पीडित” साबित करने का बहाना बनाया जाना चाहिए?
राहुल गांधी के बयानों से नहीं लगता वे शासन में रहने का लंबा अनुभव रखने वाले दल का प्रतिनिधित्व करते हैं।
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