बिहार में मौत के बाद डॉक्टर को बना दिया सिविल सर्जन,कैसे?

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दहेज हत्या में पति चार साल से लड़ रहा था केस, वो जिंदा लौटी घर.

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार विधानसभा में मंगलवार को मृत डॉक्टर को सिविल सर्जन के पद पर पदस्थापित किये जाने का मामला उठा। जैसे ही शून्यकाल शुरू हुआ राजद विधायक राकेश रौशन ने सदन में यह मामला उठाया और कहा कि यह गंभीर मसला है।

इससे पहले विधान परिषद में कार्यवाही शुरू होते ही राजद के सुबोध कुमार ने सूचना दी कि शेखपुरा में जिस सिविल सर्जन की तैनाती की गई उनकी फरवरी में ही कोरोना से मौत हो चुकी है। इस पर मंत्री मंगल पाण्डेय ने कहा कि लापरवाही के लिए संबंधित सेक्शन अफसर और अन्य से जवाब तलब किया गया है।

वहीं विधानसभा में राजद विधायक ने सदन में आरोप लगाया कि बिक्रमगंज के चिकित्सा पदाधिकारी रहे रामनारायण राम का निधन हो गया है। स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार को जो आदेश जारी किया है, उसमें मृतक को शेखपुरा का सिविल सर्जन बना दिया है। यह एक गंभीर मसला है। स्वास्थ्य विभाग की पूरी तरह से पोल खुल गई है। सरकार इस पर सफाई दे।

गौरतलब है कि रोहतास के बिक्रमगंज पीएचसी में पदस्थापित चिकित्सक डॉ. रामानारायण राम का निधन फऱवरी महीने में ही हो गया। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की तरफ से 8 मार्च को शेखपुरा का सिविल सर्जन बनाने की अधिसूचना जारी की गई।

बिहार के सासाराम में चार साल पहले तीन बच्चों को छोड़कर अपने पांच साल के बेटे के साथ गायब हुई पत्नी और दहेज प्रताड़ना और पत्नी की हत्या का केस झेल रहे पति ने नये सिरे से अपनी जिंदगी फिर शुरू की। 2019 में पहली पत्नी से तीन बच्चों की देखभाल के लिए दूसरी लड़की से शादी कर जिंदगी बसर कर ही रहा था कि एक बार फिर उसकी जिंदगी में भूचाल आ गया।

दरअसल कथित तौर पर मृत पत्नी जिंदा निकली। 2017 में तीन बच्चों को छोड़कर अपने पांच साल के बेटे के साथ गायब हुई महिला 30 साल की रुखसाना खातून चार साल के बाद अपने पति के घर पहुंच गई। मृत रुखसाना रोहतास जिले के करगहर पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत करगहर गाँव के वार्ड नंबर 7 स्थित पति के घर रविवार की शाम को पहुंची। मृत रुखसाना के जिंदा होने और उसके लौट आने की खबर पूरे गांव में धीरे-धीरे फैल गई और लोग उसे देखने उसके पति के घर पर जमा हो गए। हालांकि इस बीच रुखसाना के साथ गायब बेटा उसके साथ नहीं था। ग्रामीणों और ससुरालवालों ने काफी पूछताछ की लेकिन उसने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। इस दौरान पति और ससुराल वालों ने उसे घर में रखने से इनकार कर दिया वहीं पिता के घर लौटने के बाद काफी मुश्किलों को झेलना पड़ा

पति के बड़े भाई गफ्फार अंसारी ने ये कहते हुए रुखसाना को घर में रखने से इंकार कर दिया कि- हमें उसकी वजह जेल जाना पड़ा और बहुत तकलीफ हुई और वह उसे किसी और मामले में फंसने के लिए घर में नहीं रख सकते। हमें न्यायपालिका पर भरोसा है और अब न्याय मिलेगा।

ये है मामला
सासाराम मुफस्सिल थाना अंतर्गत मुरादाबाद गाँव के एक अशरफ़ अली की बेटी रुखसाना की शादी वर्ष 2010 में करगहर के खालिद अंसारी से हुई थी। दंपति के चार बच्चे थे। जिंदगी बसर करने के दौरान अचानक चार साल पहले तीन बच्चों को छोड़कर रुखासाना अपने एक बेटे को लेकर गायाब हो गई। इन चार वर्षों में वह न ससुराल और न ही मायके वाले परिवार से मिली। इस बीच उसके पिता ने दहेज प्रताड़ना और अपहरण कर हत्या करने और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498 ए, 364 और 120 बी के तहत मुफस्सिल थाने में केस दर्ज कर दिया। मामले में पति खालिद अंसारी, उनके बड़े भाइयों गफ्फार अंसारी और सत्तार अंसारी, मां जुबेदा खातून, बहन शकीला खातून के साथ उसके पति मुन्ना अंसारी सहित 10 अभियुक्त शामिल हैं।

इस मामले में रिश्तेदारों के लिए इस गरीब परिवार को जमानत दिलाने और मुकदमा लड़ने में बहुत परेशानी उठानी पड़ी। यह केस अभी तक सासाराम की अदालत में लंबित है। इस मामले में सासाराम पुलिस अधीक्षक आशीष भारती ने कहा कि पुलिस ने दहेज प्रताड़ना, पत्नी के जीवन काल में दूसरी शादी और आईपीसी की धारा 498 ए, 494 और 34 के तहत सामान्य इरादे के लिए आरोप-पत्र प्रस्तुत किया था। यह दहेज हत्या का मामला नहीं था। भारती ने कहा कि आरोपियों को पुलिस ने कभी गिरफ्तार नहीं किया और उन्हें अदालत से जमानत मिल गई थी।

 

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