हर हिंदुस्तानी एक साल में 50 किलो खाना बर्बाद करता है,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

याद आ रही है 1956 की वो फिल्म जागते रहो। दरअसल आजादी के बाद जागते रहो शब्द अच्छा लगता था लेकिन अब आजादी के 74वें साल में हम अगर कहे कि जागो सोने वालों! तो शायद अच्छा नहीं लगेगा। लेकिन रिपोर्ट के जरिये जगाने की कोशिश जरूर होगी। पहले एक कहानी सुनाउंगा जिसे सुनकर हो सकता है कि आपकी आंखों से आंसू टपक आएं।

कोई इंसान किस हाल से गुजरता होगा। जब उसके सामने भूख से तड़पते बच्चे हो और घर में अनाज का एक दाना तक न हो। यही कोई दो-एक बरस पहले की बात है देश की राजधानी दिल्ली के मंडावली इलाके में 8 साल की शिखा, 4 साल की मानसी और 2 साल की पारुल की मौत भूख और कुपोषण से हो गई। बच्चों का पिता मंगल रिक्शा चलाता है, । पैसा नहीं होने की वजह से मकान मालिक ने मंगल और उसके परिवार को घर से निकाल दिया था। डॉक्टर ने बताया कि पोस्टमार्टम के दौरान बच्चों के पेट खाली थे। लगता है आठ दिन से बच्चों ने कुछ नहीं खाया था। इसी तरह झारखंड के जलडेगा प्रखंड में 11 साल की बच्ची की मौत हो गई। सरकारी अधिकारी ने कहा संतोषी की मौत भूख से नहीं हुई, बल्कि बीमारी से हुई। जबकि परिवार वाले कहते हैं कि उसकी मौत गरीबी और भूख के कारण हुई है। आप चाहें तो मरने वालों का नाम और जगह बगल दें तो यह कहानी उत्तर भारत के कई राज्यों की कहानी बन जाती है।

लेकिन अगर मैं आपसे कहूं कि दुनिया में हर साल 121 किलो प्रति व्यक्ति भोजन की बर्बादी होती है। तो आपको ये सब सुनकर आश्चर्य होगा। अगर मैं आपसे कहूं कि भारत में हर साल 50 किलो प्रति व्यक्ति भोजन की बर्बादी होती है। तो आपको ये सुनकर गुस्सा भी आएगा। लेकिन थोड़ी सी ही सही पर राहत महसूस होगी जब मैं आपसे कहूं कि एशिया में प्रति व्यक्ति भोजन की बर्बादी भारत में सबसे कम है।

हर साल देश में बर्बाद होता है लाखों टन खाना

संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी रिपोर्ट में खाने की बर्बादी को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। संयुक्त राष्ट्र की ओर से तैयार खाने की बर्बादी की सूचकांक की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में 93 करोड़ 10 लाख टन खाना बर्बाद हो गया। जो कुल उपलब्ध खाने का 17 प्रतिशत है। रिपोर्ट के मुताबिक ये खाना घरों, खुदरा दुकानदारों, रेस्तरां समेत भोजन करवाने की अन्य जगहों पर बर्बाद हुआ। रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा खाना घरों में बर्बाद होता है। उसके बाद होटल, रेस्तरां समेत खाना खिलाने वाली अन्य जगहों पर फिर खुदरा दुकाने में। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 2019 में प्रति व्यक्ति 121 किलो खाने की बर्बादी हुई।

इसमें घरों में 74 किलो प्रति व्यक्ति यानी सबसे ज्यादा 61 फीसद बर्बाद हुआ 

  • खाद्य सेवाओं में 32 किलो प्रति व्यक्ति
  • रिटेल में प्रति व्यक्ति 15 किलो की बर्बादी हुई

दुनिया एक तरफ लगातार भूखमरी की स्थिति में है। ऐसे में पौष्टिकता और हर किसी को खाना देने की मुहिम के तहत संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज दिवस मनाने के भारत के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

एशियाई देशों की बात करें तो अच्छी बात ये है कि भारत में बर्बादी बाकी एशियाई देशों के मुकाबले कम है।

  • खाना बर्बाद करने के मामले में एशियाई देश
  • भारत में प्रति व्यक्ति सालाना 50 किलो
  • बांग्लादेश में प्रति व्यक्ति सालाना 65 किलो
  • मालद्वीप में प्रति व्यक्ति सालाना 71 किलो
  • पाकिस्तान में प्रति व्यक्ति सालाना 74 किलो
  • श्रीलंका में प्रति व्यक्ति सालाना 76 किलो
  • नेपाल में प्रति व्यक्ति सालाना 79 किलो
  • भूटान में प्रति व्यक्ति सालाना 79 किलो
  • अफगानिस्तान में प्रति व्यक्ति सालाना 82 किलो

पीएम मोदी लगातार खाने की बर्बादी को रोकने की अपील करते रहे हैं। अगर भारत में 2019-20 में हुए अनाज तिलहन, गन्ना और बागवानी के कुल उत्पादन को जोड़ दें तो ये बर्बाद हुए खाने के वजन के बराबर होता है। रिपोर्ट के मुताबिक जितना खाना 2019 में बर्बाद हुआ उससे चालीस टन वाले दो करोड़ 30 लाख

2019 में 69 करोड़ लोग भूखे थे

ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2020 में 107 देशों की लिस्ट में भारत 94वें नंबर पर है। 2019 में भारत 117 देशों की लिस्ट में 102वें नंबर पर था। 2018 में भारत को 119 देशों की लिस्ट में 103 नंबर पर रखा गया था। 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत अपने पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से भी पीछे चल रहा है। कुल 107 देशों में से केवल 13 देश भारत से खराब स्थिति में हैं, जिनमें रवांडा 97वें स्थान पर नाइजीरिया 98वें, अफगानिस्तान 99वें, लाइबेरिया 102वें, मोजाम्बिक 103वें. चाड 107वें आदि देश शामिल हैं। वैश्विक भूख सूचकांक की रिपोर्ट के अनुसार भारत की 14 फीसदी आबादी कुपोषण का शिकार है। रिपोर्ट में कहा गया कि पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर 3.7 प्रतिशत थी। इसके अलावा ऐसे बच्चों की दर 37.4 थी जो कुपोषण के कारण नहीं बढ़ पाते हैं। वेस्ट फूड इंडेक्स की रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन का जिक्र किया गया है जो अनुमान लगाता है कि 2019 में 69 करोड़ लोग भूखे थे।

 300 करोड़ को नहीं मिला अच्छा खाना

संयुक्त राष्ट्र की संस्था खाद्य एवं कृषि संगठन के मुताबिक 2019 में 69 करोड़ लोग भुखमरी के शिकार थे। वहीं 300 करोड़ लोगों को सेहतमंद भोजन नहीं मिल पाया था। नई रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 महामारी के दौरान तो भूखे रहने वालों की संख्या में भारी बढ़ोतरी का अनुमान है।

विश्वभर में हर 8 में से 1 व्यक्ति भूख के साथ जी रहा है। भूख और कुपोषण की मार सबसे कमजोर पर भारी पड़टी है। दुनिया में 60 प्रतिशत महिलाएं भूख का शिकार हैं। गरीब देशों में 10 में से 4 बच्चे अपने शरीर और दिमाग से कुपोषित हैं। दुनिया में प्रतिदिन 24 हजार लोग किसी बीमारी से नहीं, बल्कि भूख से मरते हैं। इस संख्या का एक तिहाई हिस्सा भारत में आता है।

उसके बावजूद खाने की बर्बादी से जुड़ी इस तरह की रिपोर्ट सच्चाई से रूबरू करवाती है और हमें खुद के भीतर झांकने पर मजबूर भी करती है। ये शर्मनाक है ये दुर्भाग्यपूर्ण है। भारतीय संस्कृति में अन्न को देवता का दर्जा मिला है और यही वजह है कि भोजन झूठा छोड़ना या उसका अनादर करना पाप माना जाता है। मगर आधुनिकता की अंधी दौड़ में हम अपना यह संस्कार भूल गए हैं। यही कारण है कि होटल-रेस्तरां हो या शादी-ब्याह जैसे आयोजन सैकड़ों टन खाना रोज बर्बाद हो रहा है। इसके लिए हम सभी को मिलकर सामाजिक चेतना लानी होगी तभी भोजन की बर्बादी रोकी जा सकती है।

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