दस्तावेज बनवाने की सेवा देने वाले जन सुविधा केंद्रों पर लगाम लगाना जरूरी.

दस्तावेज बनवाने की सेवा देने वाले जन सुविधा केंद्रों पर लगाम लगाना जरूरी.

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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जनता की सुविधा के लिए बनाए गए ‘जन सुविधा केन्द्र’ भ्रष्टाचार एवं धन उगाही का अड्डा और गैर कानूनी काम करने का केन्द्र बन गया है। यहां जन सुविधा के नाम पर हर उलटे-सीधे दोनों तरह से कोई भी अपना आधार कार्ड, आय-जाति, निवास, जन्म-मृत्यु आदि तमाम प्रमाण पत्र बनवा सकता है। आपके पास किसी भी तरह का प्रमाण बनाने के लिए जरूरी कागजात हैं तो उसका रेट अलग है और नहीं हैं तो उसका भी रास्ता यहां के केन्द्र संचालक मुंह मांगी रकम मिलने पर बता देते हैं। आधार जो किसी भी भारतीय नागरिक का पहला पहचान पत्र होता है,

वह यहां कितनी आसानी से बन जाता है, यहां आकर देखा जा सकता है। यहां जाकर पता चलता है कि आप बिना किसी कागजात के कैसे आधार कार्ड के लिए नामांकन कर सकते हैं। इस काम में जन सुविधा केन्द्र के संचालकों के साथ पूरा सिंडिकेट काम कर रहा है, इसीलिए तो तमाम रोहिंग्याओं और पाकिस्तानी नागरिकों के आधार कार्ड आसानी से बन जाते हैं। आधार कार्ड के द्वारा ही यह लोग पैन कार्ड, बैंक खाता, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस यहां तक कि पासपोर्ट आदि भी हासिल कर लेते हैं।

फर्जी तरीके और जन सुविधा केन्द्रों की ‘मेहरबानी’ से कथित तौर पर भारतीय नागरिक बन गए रोहिंग्या और पाकिस्तानी मुसलमान प्रदेश की सफाई व्यवस्था और तमाम वैध-अवैध बूचड़खानों से लेकर तमाम छोटे-छोटे धंधों में अपनी जड़ें जमा चुके हैं। खासकर समाजवादी सरकार के समय बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान भारत की नागरिकता हासिल करने में सफल हुए थे। एक वर्ग विशेष के कुछ जनप्रतिनिधियों ने भी धर्म के नाम पर रोहिंग्या मुसलमानों को अपनी पहचान छिपा कर भारत की नागरिकता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, इस फर्जीवाड़े की यदि जांच हो जाए तो तमाम सभासद और विधायक इसकी जद में आ सकते हैं। इन रोहिंग्याओं के सहारे ही नागरिकता सुरक्षा एक्ट (सीएस) के विरोध में लखनऊ से लेकर कई जिलों में तमाम राजनैतिक दलों ने धरना-प्रदर्शन और हिंसा की घटनाओं को अंजाम दिया था।

उत्तर प्रदेश में रोहिंग्या की घुसपैठ का खतरा लम्बे समय से दिखाई दे रहा है। कई आतंकवादी घटनाओं में भी इनका नाम सामने आ चुका है। फर्जी दस्तावेज से अपनी पहचान बदल कर अब वे कई जिलों में जड़ें जमा चुके रोहिंग्या मुसलमान आंतरिक सुरक्षा के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं। अब तक जांच एजेंसियां काफी बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों को रडार पर ले चुकी हैं। कुछ समय पूर्व आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने देश में घुसपैठ करने वाले रोहिंग्या की छानबीन तेज की तो पहचान बदलकर रह रहा अजीजुल हक जनवरी में संत कबीरनगर में हत्थे चढ़ा था।

इसके बाद 28 फरवरी को अलीगढ़ व उन्नाव में पहचान बदल कर रह रहे रोहिंग्या भाइयों हसन व शाहिद को पकड़ा गया। इनके पकड़े जाने के बाद ही उस बड़े खेल का खुलासा हुआ, जिससे पता चला कि कुछ लोग, जिन्हें सफेदपोशों का संरक्षण मिला होता है, के माध्यम से रोहिंग्याओं को बांग्लादेश सीमा से भारत में घुसपैठ कराने एवं उन्हें तमाम जिलों में बसाने व भारतीय फर्जी दस्तावेज तैयार कराने में पूरा गैंग सक्रिय है, जो सिंडिकेट की तरह काम करता है।

उत्तर प्रदेश में पटरियों के किनारे, मलिन बस्तियों और एक वर्ग विशेष के धार्मिक स्थलों के इर्दगिर्द ऐसे तमाम रोहिंग्या मुसलमानों को जीवनयापन करते देखा जा सकता है। इनको जब हटाने की बारी आती है तो सियासतदार हो-हल्ला मचाना शुरू कर देते हैं। यह रोहिंग्या मुसलमान आतंकवादी वारदातों सहित लूटपाट, चोरी जैसे छोटे-छोटे अपराधों में भी शामिल रहते हैं। पूछने पर यह लोग अपने आप को असम का नागरिक बताते हैं।

सिंडीकेट के लोग रोहिंग्याओं से कमीशन लेकर उन्हें बूचड़खानों में काम और शहर की सफाई के ठेके दिलवाते हैं। बड़ी संख्या में रोहिंग्या कबाड़ के धंधे में भी लगे हैं। रोहिंग्या मुसलमानों की हवाला नेटवर्क तक में पैठ हो गई है। यह घुसपैठिए हवाला के जरिए ही म्यांमार व बांग्लादेश में अपनों को पैसा भेज रहे हैं। गिरफ्तार हसन के एक करीबी का कई राज्यों में नेटवर्क होने का खुलासा हुआ है। एटीएस को इसकी तलाश है। उत्तर प्रदेश में 50 हजार के करीब रोहिंग्या मुसमलानों के कई जिलों में बस जाने की बात सामने आई है। एटीएस जल्द कुछ और रोहिंग्याओं की गिरफ्तारी कर सकती है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार थोड़ा लालच देकर इन्हें काई भी बड़ी आसानी से देश विरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल कर सकता है, जिसके चलते यह लोग देश के लिए एक बड़ा खतरा बने हुए हैं।

रोहिंग्या मुसलमान पूरी चेन बनाकर काम करते हैं। यह पहले स्वयं आते हैं। इसके बाद अपने जानने-पहचानने वालों और रिश्तेदारों को भी कैसे घुसपैठ की जाए, इसका रास्ता बताते हैं। इसी कड़ी में हसन ने फर्जी दस्तावेज के जरिए अजीजुल्लाह के नाम से दो पासपोर्ट, आधार कार्ड व अन्य प्रपत्र बनवाए थे। 2017 में अजीजुल अवैध ढंग से अपनी मां-बहन व दो भाइयों को भी यहां ले आया था और उसने यहां शादी तक रचा ली थी। अजीजुल ने कई रोहिंग्या को अवैध ढंग से यूपी में लाने की बात स्वीकार की है। पुलिस को उसके भाई मुनूर व बहनोई नूर आलम की भी तलाश है, जबकि उसका मददगार अब्दुल मन्नान पकड़ा गया है। एटीएस ने अलीगढ़ में पहचान बदल कर रहे रहे रोहिंग्या हसन अहमद को पकड़ा तो और चौंकाने वाल तथ्य सामने आए।

उनके पास से पांच लाख रुपये भी बरामद हुए। हसन भी यहां पहचान बदल कर अपना पासपोर्ट बनवा चुका था। हसन का भाई शाहिद नाम बदल कर उन्नाव में रह रहा था। हसन ने पहले संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त कार्यालय (यूएनएचआरसी) में असली और फर्जी (फारुख) दोनों नाम से पंजीकरण कराया था। हसन ने अपनी मां हामीदा का नाम बदल कर मदीना खातून रखा और इसी नाम से उनका आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज बनवाए। गिरोह बनाकर मानव तस्करी की जा रही थी। रोहिंग्या मुसलामनों के लिए जन सुविधा केन्द्र एक सुगम जरिया बन गया है, जिसके माध्यम से यह कई तरह के दस्तावेज तैयार कर लेते हैं। कुछ लोग धर्म के नाम पर इन रोहिंग्याओं का साथ देते हैं।

उत्तर प्रदेश में जड़ें जमा चुके रोहिंग्या षड्यंत्र के तहत पहचान बदल कर रोजगार के लिए खाड़ी देशों का भी रुख कर रहे हैं। एटीएस के एक अधिकारी के अनुसार रोहिंग्या यहां आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज हासिल कर सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हैं। इसी आधार पर भारत का पासपोर्ट बनवा लेते हैं। इसके बाद उन्हें खाड़ी देशों में नौकरी मिलना आसान हो जाता है। एडीजी, कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार कहते हैं कि यूपी में पहचान बदल कर रह रहे रोहिंग्याओं से पूछताछ में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। उनके पूरे नेटवर्क व मंसूबों की पूरी गहनता से छानबीन कराई जा रही है। पुलिस के हाथ कई अहम सुराग लगे हैं, जिनके आधार पर कुछ लोगों की तलाश की जा रही है ताकि दूध का दूध, पानी का पानी हो सके। लब्बोलुआब यह है कि आम आदमी की सुविधा के लिए बनाए गए जनसुविधा केन्द्र बेलगाम होकर देश के लिए बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं।

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