सीधी भर्ती के जरिये केंद्र सरकार में शामिल होंगे 43 अधिकारी
श्रीनारद मीडिया‚ सेंट्रल डेस्क:
केंद्र ने लैटरल एंट्री (सीधी भर्ती) के जरिये तीन संयुक्त सचिवों, 27 निदेशकों और 13 उपसचिवों को सरकार में शामिल करने का प्रस्ताव किया है। लोकसभा को बुधवार को यह जानकारी दी गई। लैटरल एंट्री का आशय निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की सरकारी विभागों में सीधी भर्ती से है। एक सवाल के लिखित जवाब में कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, ‘2018-19 के दौरान पहली बार संयुक्त सचिवों के 10 पदों पर लैटरल भर्ती करने का फैसला किया गया था। आठ संयुक्त सचिवों की नियुक्ति की गई थी और इनमें से सात वर्तमान में कार्यरत हैं। इसी क्रम में अब संयुक्त सचिव स्तर के तीन पदों को भरने का प्रस्ताव किया जाता है।’
इनके अतिरिक्त निदेशक स्तर के 27 पदों और उपसचिव स्तर के 13 पदों को लैटरल भर्ती के जरिये अनुबंध या प्रतिनियुक्ति के आधार पर भरने का प्रस्ताव किया जाता है। राज्यमंत्री ने कहा, लैटरल भर्ती के जरिये 2019 में आठ संयुक्त सचिवों को नागरिक उड्डयन, वाणिज्य, आर्थिक मामलों, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा, वित्तीय सेवाएं, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और बंदरगाह, जहाजरानी एवं जल परिवहन मंत्रालय अथवा विभागों में नियुक्त किया गया था।
सीआइसी में सूचना आयुक्तों के तीन पद खाली
सरकार ने बुधवार को बताया कि केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) में सूचना आयुक्तों के तीन पद रिक्त हैं। सीआइसी में मुख्य सूचना आयुक्त और 10 सूचना आयुक्त होते हैं। लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने सूचना आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया बताते हुए कहा कि सार्वजनिक विज्ञापन के जरिये आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं, उसके बाद आवेदकों के विवरण सारणीबद्ध किए जाते हैं और फिर उन्हें शार्टलिस्ट करने के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली सर्च कमेटी के पास भेजा जाता है।
सर्च कमेटी द्वारा शार्टलिस्ट किए गए नामों को उनके विवरणों के साथ धारा-12(3) के तहत प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गठित समिति के पास भेजा जाता है। इस समिति द्वारा सुझाए गए नामों को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। इसी प्रक्रिया का पालन करके सात नवंबर, 2020 को मुख्य सूचना आयुक्त और तीन सूचना आयुक्तों की नियुक्ति की गई थी।
पिछले दो साल में 170 अधिकारी समयपूर्व सेवानिवृत्त किए गए
एक अन्य सवाल के जवाब में जितेंद्र सिंह ने बताया कि पिछले दो साल में 170 नान-परफार्मिग सरकारी अधिकारियों को समयपूर्व सेवानिवृत्त किया गया है। उन्होंने कहा, ‘विभिन्न मंत्रालयों/ विभागों/ कैडर नियंत्रण अधिकारियों (सीसीए) द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक पिछले दो साल में ग्रुप-ए के 90 अधिकारियों और ग्रुप-बी के 80 अधिकारियों के खिलाफ एफआर 56(जे) या उसके समान प्रविधान लागू किए गए हैं।’ इन प्रविधानों के तहत सरकार को कथित रूप से भ्रष्ट या नान-परफार्मिग कर्मचारी को जनहित में समयपूर्व सेवानिवृत्त करने का अधिकार है।
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