भारत के प्रमुख अंतरराज्यीय जल विवाद और क्या है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारत में लगभग 20 प्रमुख नदियों के बेसिन हैं, जिनका विस्तार एक से अधिक राज्यों में है। भारत में कृष्णा, कावेरी, गोदावरी और नर्मदा समेत कई नदियां हैं, जिनको लेकर राज्यों के बीच विवाद चल रहा है। नदियों के जल को लेकर राज्यों में चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए संसद में दो कानून पास हुए हैं। संविधान का अनुच्छेद- 262 अंतरराज्यीय जल विवादों के न्याय व निर्णय से संबंधित है। इस अनुच्छेद के अंतर्गत संसद द्वारा दो कानून पारित किये गए हैं। नदी बोर्ड अधिनयम (1956) तथा अंतरराज्यीय जल विवाद अधिनयम(1956)। अंतरराज्यीय जल विवाद अधिनयम, केंद्र सरकार को अंतरराज्यीय नदियों और नदी घाटियों के जल के प्रयोग, बंटवारे तथा नियंत्रण से संबंधित दो अथवा दो से अधिक राज्यों के मध्य किसी विवाद के न्याय-निर्णय हेतु एक अस्थायी न्यायाधिकरण के गठन की शक्ति प्रदान किया गया है। गठित न्यायाधिकरण का निर्णय अंतिम होगा जो सभी पक्षों के लिए मान्य होगा।
भारत के प्रमुख अन्तरराज्यीय जल विवाद
रावी-व्यास का जल विवाद
संबंधित राज्य: पंजाब, हरियाणा और राजस्थान
संविधान की तिथि: अप्रैल, 1986
वर्तमान स्थिति: अभी मामला विचाराधीन है।
नर्मदा नदी जल विवाद
संबंधित राज्य: मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र
संविधान की तिथि: अक्टूबर, 1969
वर्तमान स्थिति: इस विवाद पर अभिकरण का अंतिम निर्णय दिसंबर, 1979 में हुआ था।
गोदावरी जल विवाद
संविधान की तिथि: अप्रैल, 1969
वर्तमान स्थिति: इस विवाद पर अभिकरण का अंतिम निर्णय जुलाई, 1980 में हुआ था।
कृष्णा नदी जल विवाद
संबंधित राज्य: आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र
संविधान की तिथि: अप्रैल, 1969
वर्तमान स्थिति: इस विवाद पर अभिकरण का अंतिम निर्णय मई, 1976 में हुआ था।
कावेरी जल विवाद
संबंधित राज्य: केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और पुडुचेरी
संविधान की तिथि: जून, 1990
वर्तमान स्थिति: इस विवाद पर अभिकरण का निर्णय और रिपोर्ट जून, 1990 तैयार की गई थी, लेकिन विशेष याचिका (एसएलपी) दायर करने की वजह से अभी विचाराधीन है।
महादाई जल विवाद
संबंधित राज्य: गोवा, कर्नाटक और महाराष्ट्र
संविधान की तिथि: नवंबर, 2010
वर्तमान स्थिति: टिब्यूनल द्वारा रिपोर्ट और निर्णय नहीं दिया गया है।
कृष्णा नदी जल विवाद
संबंधित राज्य: कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र
संविधान की तिथि: अप्रैल, 2004
वर्तमान स्थिति: इस विवाद पर अभिकरण का निर्णय और रिपोर्ट 30 दिसंबर, 2010 तैयार की गई थी और 16.9.2011 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, अगले आदेश तक, राज्यों और केंद्र सरकार द्वारा दायर संदर्भो पर टिब्यूनल द्वारा किए गए निर्णय को आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित नहीं किया जाएगा। फिलहाल मामला विचाराधीन है।
बसंधरा नदी जल विवाद
संबंधित राज्य: आंध्र प्रदेश और ओडिशा
संविधान की तिथि: फरवरी, 2010
वर्तमान स्थिति: टिब्यूनल द्वारा रिपोर्ट और निर्णय नहीं दिया गया है।
विवाद सुलझाने के उपाय
अंतरराज्यीय परिषद
यह कार्यान्वयन के लिए संघ सूची की प्रविष्टि 56 में वर्णित रिवर बोर्ड एक्ट, 1956 एक शक्तिशाली कानून है जिसमें संशोधन करने की आवश्यकता है। इस एक्ट के अंतर्गत अंतरराज्यीय नदियों एवं इनके बेसिनों के विनियमन एवं विकास हेतु बेसिन आर्गेनाईजेशन को स्थापित किया जा सकता है।
मध्यस्थता हेतु कदम बढ़ाना
दक्षिण एशिया के संदर्भ में, सिंधु बेसिन की नदियों से जुड़े विवाद का सफलतापूर्वक समाधान करने में विश्व बैंक ने भारत एवं पाकिस्तान के मध्य अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसी तरह राज्यों की बीच मध्यस्थता निभाने के लिए कोई भूमिका हो।
नदियों को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करना
नदियों को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने की मांग लंबे समय से की जा रही है। इससे राज्यों की नदी जल को अपना अधिकार मानने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा।
जल को समवर्ती सूची में शामिल करना
वर्ष 2014 में तैयार की गई मिहिर शाह रिपोर्ट पर आधारित है, जिसमें जल प्रबंधन हेतु केंद्रीय जल प्राधिकरण की अनुशंसा की गई है। संसदीय स्थायी समिति द्वारा भी इस अनुशंसा का समर्थन किया गया है।
अंतरराज्यीय जल से संबंधित मुद्दों के लिए संस्थागत मॉडल
राष्ट्रीय स्तर पर एक स्थायी तंत्र या संस्थागत मॉडल की आवश्यकता है जिसके द्वारा न्यायपालिका की सहायता के बिना राज्यों के मध्य उत्पन्न जल विवाद को हल किया जा सके।
चार आर को अपनाना
जल प्रबंधन के लिए 4 आर (रिड्यूस, रियूज, रिसाइकिल, रिकवर) का प्रयोग हो। राष्ट्रीय जल नीति का पालन करना: राष्ट्रीय जल नीति के तहत जल के उचित उपयोग और जल स्नोतों के संरक्षण हेतु प्रविधान। नदियों को जोड़ना: यह बेसिन क्षेत्रों में नदी जल के पर्याप्त वितरण में सहायक हो सकता है।