पटना एम्स में स्वीकृत 305 पदों के विरूद्ध केवल 136 संकाय ही कार्यरत
*820 करोड़ की लागत से स्थापित एम्स में न्यूरोलाॅजी, नेफ्रोलाॅजी, इंडोकिनोलाॅजी व मेटाबोलिक तथा टीबी और चेस्ट स्पेशियलिटीज विभाग कार्यरत नहीं
*राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी के सवाल पर सरकार का जवाब
श्रीनारद मीडिया‚ पटना (बिहार)
राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी के सवाल के जवाब में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी चैबे ने बताया कि मार्च, 2010 में 820 करोड़ की अनुमानित लागत से पटना एम्स की स्वीकृति दी गई थी, मगर अभी तक वहां न्यूरोलाॅजी, नेफ्रोलाॅजी, एंडोकिनोलाॅजी व मेटाबोलिक तथा टीबी और चेस्ट स्पेशियलिटीज विभाग कार्यरत नहीं है। फिलहाल एम्स में 17 स्पेशियलिटीज व 14 सुपर स्पेशियलिटीज विभाग कार्यरत है। वर्तमान में एम्स में कुल स्वीकृत 305 पदों के विरूद्ध केवल 136 संकाय ही कार्यरत हैं यानी 169 पद खाली है।
मंत्री ने बताया कि पटना एम्स में न्यूरोलाॅजी और नेफ्रोलाॅजी के मरीजों को जनरल मेडिसीन विभाग के जरिए सेवा प्रदान की जा रही है। अथाराइटिस के मरीजों का उपचार आवश्यकतानुसार रुमेटालाॅजी, आर्थोपेडिक्स या मेडिसिन विभाग द्वारा किया जाता है। अस्पताल व शिक्षण सेवाओं तथा आवासीय परिसर के भवन निर्माण व उपकरणों आदि की खरीद पूरी कर ली गई है।
मालूम हो कि पटना एम्स के अलावा केन्द्र सरकार ने सितम्बर, 2020 में दरभंगा में भी अलग से 1,264 करोड़ की लागत से नए एम्स की स्थापना की स्वीकृति दी है जिसके लिए राज्य सरकार को बाधामुक्त 200 एकड़ जमीन उपलब्ध कराना है।
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