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बदलते मौसम में नवजात शिशुओं व गर्भवती महिलाओं पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत - श्रीनारद मीडिया

बदलते मौसम में नवजात शिशुओं व गर्भवती महिलाओं पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत

बदलते मौसम में नवजात शिशुओं व गर्भवती महिलाओं पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत

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शरीर में पानी की कमी को पूरा करना बहुत जरूरी: डॉ एसके वर्मा
-बढ़ रही गर्मी से लू लगने की संभावना होती हैं प्रबल: सीएस
-गर्मी के मौषम में नवजात शिशुओं को स्तनपान कराना बहुत जरूरी: डॉ अपर्णा डे

श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया,  (बिहार)

गर्मी की शुरुआत हो चुकी है। लगातार गर्मी बढ़ने से तबियत बिगड़ने की बात सामने आती रहती है। इस वर्ष कोविड-19 संक्रमण से अपने आपको बचाते हुए गर्म हवाओं से भी बचने की जरूरत है। ताकि हम स्वस्थ व सुरक्षित रह सकें। स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए कोविड-19 के अनुरूप व्यवहार के साथ आहार और दिनचर्या में भी बदलाव लाने की जरूरत पड़ती है। खास तौर पर नवजात शिशुओं, बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए ज्यादा से ज़्यादा जरूरी होता है क्योंकि इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। नवजात शिशुओं के नाजुक त्वचा को गर्म हवाओं से नुकसान होने की संभावना ज्यादा रहती है।

 

-शरीर में पानी की कमी को पूरा करना बहुत जरूरी: डॉ एसके वर्मा
सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा ने बताया अप्रैल महीने के बाद गर्मी धीरे-धीरे बढ़ने लगती है । जिस कारण शरीर से पसीना ज्यादा मात्रा में निकलने लगता है जिससे शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है। गर्मी में शुद्ध पेयजल का सेवन करना ज्यादा लाभकारी माना जाता है। आहार लेने के बाद प्राकृतिक तरल पेय पदार्थ , नींबू पानी (शिकंजी), नारियल पानी, रसदार मौसमी फलों जैसे:- संतरा, तरबूज, अनार व सुपाच्य हल्के भोजन का सेवन करने मात्र से गर्मी के दिनों में अपने आपको बचाया जा सकता है। इससे सेवन से शरीर में पानी की मात्रा संतुलित तो रहता ही है साथ ही सेहत भी ठीक रहती है। लेकिन ज्यादा ठंडा भोजन, कोल्ड ड्रिंक्स या आइसक्रीम का सेवन करना नुकसानदायक हो सकता है। ज्यादा से ज्यादा शुद्ध व ताज़ा पानी पीने की आवश्यकता होती है। नहीं तो शरीर में पानी की कमी के कारण निर्जलीकरण की स्थिति उत्पन्न हो सकती है जो ससमय प्रबंधन के अभाव में काफ़ी नुकसानदायक साबित हो सकता है।

-बढ़ रही गर्मी से लू लगने की संभावना होती हैं प्रबल: सीएस
सीएम डॉ एसके वर्मा ने बताया वर्तमान समय में लगातार बढ़ रही गर्मी के कारण लू लगने की संभावना काफ़ी बढ़ जाती है। ऐसे में यदि तेज सिर दर्द, उल्टी, बुखार, बेहोशी या चक्कर आए तो इसे लू के लक्षण समझना चाहिए। ऐसी स्थिति को काफ़ी गंभीरता पूर्वक लेने की जरूरत पड़ती हैं। उस समय नजदीकी के किसी भी चिकित्सकीय परामर्श लेने की जरूरत है। नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर चिकित्सीय सलाह के बाद उपचार के तौर पर अधिक मात्रा में नींबू व पानी या ओआरएस का घोल बनाकर सेवन करने से हर तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है।

-गर्मी में नवजात शिशुओं को स्तनपान कराना बहुत जरूरी: डॉ अपर्णा डे
सदर अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ अपर्णा डे ने बताया 0 से 6 माह तक के नवजात शिशुओं के लिए सिर्फ स्तनपान कराना ही पर्याप्त होता है। क्योंकि गर्मी का मौसम होने के कारण स्तनपान के साथ-साथ किसी भी प्रकार का तरल पेय पदार्थ या पानी बच्चों को नहीं देना चाहिए। अगर ऐसा नही किया जाता है तो अधिक से अधिक बार स्तनपान कराकर भी गर्मी के कारण होने वाली विभिन्न तरह की समस्याओं से नवजात शिशुओं को सुरक्षित किया जा सकता है। इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं को गर्मी के मौसम में लू से बचने के लिए पोषक तत्वों के सेवन के अलावा प्रचुर मात्रा में शुद्ध पेयजल एवं मौसमी फ़लों का सेवन जरूर करना चाहिए।

लू से बचने के लिए निम्न बातों पर ध्यान देने की होती हैं जरूरत:
-खुले शरीर या बगैर जूते चप्पल के धूप में निकलने से करें परहेज।
-हल्के खाद्द पदार्थ खाकर ही घर से बाहर निकलें।
-गर्मी के दिनों में ज्यादा देर तक भूखे रहने से बचाव करना चाहिए।
-आंखों पर धूप वाला चश्मा पहनकर बाहर जाने की होती हैं जरूरत।
-अपने चेहरे पर मास्क लगाने के बाद ही निकलें।
-सैनिटाइजर व सामाजिक दूरी का पालन करें।

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