गांव बसाना है तो बसाएं लेकिन दूसरों की जिंदगी बाधित न करें-सुप्रीम कोर्ट
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
कृषि कानून विरोधी आंदोलन के कारण सड़क जाम करके बैठे लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने वहां से हटने का साफ संदेश देते हुए कहा है कि अगर आप गांव बसाना चाहते हैं तो बसाएं, लेकिन दूसरों की ¨जदगी बाधित न करें। कोर्ट ने मांगों के लिए आए दिन सड़क जाम करने के मसले पर कहा कि लोग अपनी जगह ठीक हो सकते हैं, लेकिन रास्ता रोकने की प्रवृत्ति ठीक नहीं है। सीएए के खिलाफ आंदोलन, नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन जैसे मामलों में सड़क जाम ने जहां लोगों की दुश्वारियां काफी बढ़ा दीं हैं, वहीं कई मामलों में यह विरोध का एक नया नकारात्मक तरीका बनता जा रहा है।
याचिका में दी गई यह दलील
ये टिप्पणियां जस्टिस संजय किशन कौल और हेमंत गुप्ता की पीठ ने नोएडा निवासी मोनिका अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई के दौरान सोमवार को कीं। मोनिका ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर नोएडा से दिल्ली जाने में 20 मिनट की जगह दो घंटे लगने की बात कही है। यह भी कहा है कि कोर्ट के कई बार आदेश दिए जाने के बावजूद रास्ते खुले नहीं हैं।
हल निकालने पर काम हो रहा : केंद्र
सोमवार को मामले पर सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। मेहता ने कोर्ट से कहा कि मुद्दे का हल निकालने पर काम हो रहा है। कोर्ट थोड़ा समय दे और मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिए टाल दें। पीठ ने अनुरोध स्वीकार करते हुए सुनवाई सात मई तक के लिए टाल दी लेकिन इस बीच कोर्ट ने आए दिन रास्ता जाम होने से लोगों को होने वाली दिक्कतों पर कहा कि रास्ता बाधित होने से बड़ी संख्या में लोगों को परेशानी होती है।
लोगों की जिंदगी बाधित न करें
पीठ ने कहा कि अगर आपको गांव बसाना है तो बसाएं लेकिन लोगों की जिंदगी बाधित न करें। पीठ ने कहा, अभी क्या स्थिति है। सालिसिटर जनरल ने कहा कि लोगों से जाने के लिए कहा गया है। हालांकि पीठ ने और सालिसिटर जनरल ने सुनवाई के दौरान सीधे तौर पर कृषि कानून विरोधी आंदोलन और प्रदर्शन से रास्ता जाम का नाम नहीं लिया। लेकिन नोएडा से दिल्ली जाने में हो रही दुश्वारियों और सड़क जाम का एक कारण पिछले चार महीने से कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर सड़क रोके बैठे प्रदर्शनकारी भी हैं।
बाधित नहीं होना चाहिए रास्ता
शुरुआत में भी जब कोर्ट ने मोनिका अग्रवाल की याचिका पर नोटिस जारी किया था तभी साफ कर दिया था कि रास्ता बाधित नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने उस समय यह भी कहा था कि आदेशों के जरिये कोर्ट इस मामले में अपना रुख साफ कर चुका है, ऐसे में रास्ता बाधित होना प्रशासनिक नाकामी है। कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए कहा था कि यह रास्ता साफ करना सुनिश्चित करने के लिए जारी किया जा रहा है। इसके बाद पिछली सुनवाई पर भी कोर्ट ने दो टूक कहा था कि रास्ता बाधित नहीं होना चाहिए।
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