कलियुग में विपत्ति को हरने के लिए हनुमानजी की शरण ही सहारा है।
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
27 अप्रैल को हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाएगा। इस बार यह दिन इसलिये भी विशेष है क्योंकि हनुमान जयंती पर मंगलवार पड़ रहा है। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जय जोशी के अनुसार हनुमानजी का जन्म चैत्र माह की पूर्णिमा को मंगलवार के दिन हुआ था। भक्तों का मंगल करने के लिए श्री राम भक्त हनुमान इस धरती पर अवतरित हुए। इस कलियुग में विपत्ति को हरने के लिए हनुमानजी की शरण ही सहारा है। हनुमानजी को महावीर, बजरंगबली, मारुती, पवनपुत्र के नाम से भी जाना जाता है।
हिन्दू मान्यता के अनुसार कई वर्षों पहले बहुत सारी दैवीय आत्मा ने मनुष्य के रूप में इस धरती पर जन्म लिया और इन दैवीय शक्ति की सहायता के लिए कई पशु पक्षी ने भी धरती पर अवतार लिया। त्रेतायुग में वानर सेना को प्रस्तुत करने के लिए हनुमानजी धरती पर अवतरित हुए। हनुमानजी तथा उनकी वानर सेना सिन्दूरी रंग के थे, जिनका रामायण से पहले धरती पर जन्म हुआ। रामायण में हनुमानजी ने वानर रूप में रावण के विरुद्ध युद्ध में श्री राम का साथ दिया तथा समुद्र पार करके लंका पहुंचने में श्री राम की मदद की। हनुमानजी की प्रतिमा पर लगा सिन्दूर अत्यन्त ही पवित्र होता है, भक्तगण इस सिन्दूर का तिलक अपने मस्तक पर लगाते हैं। इसके पीछे यह मान्यता है कि इस तिलक के द्वारा वे भी हनुमानजी की कृपा से हनुमानजी की तरह शक्तिशाली, ऊर्जावान तथा संयमित बनेंगे।
कैसे करें मारुतिनंदन की आराधना
हिन्दू मान्यता के अनुसार हनुमानजी सिन्दूरी अथवा केसर वर्ण के थे, इसीलिए हनुमानजी की मूर्ति को सिन्दूर लगाया जाता है। पूजन विधि के दौरान सीधे हाथ की अनामिका ऊंगली से हनुमानजी की प्रतिमा को सिन्दूर लगाना चाहिए। हनुमानजी को केवड़ा, चमेली और अम्बर की महक प्रिय है, इसलिए जब भी हनुमानजी को अगरबत्ती या धूपबत्ती लगानी हो, तो इन महक वाली ही लगाना चाहिए। हनुमानजी जल्दी प्रसन्न होंगे। अगरबत्ती को अंगूठे तथा तर्जनी के बीच पकड़ कर, मूर्ति के सामने तीन बार घड़ी की दिशा में घुमाकर, हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए।
हनुमानजी के सामने किसी भी मंत्र का जाप कम से कम पांच बार या पांच के गुणांक में करना चाहिए। ऐसे तो भक्त हर दिन अपने भगवान को पूज सकते हैं ,परन्तु हिन्दू धर्म में विशेषकर महाराष्ट्र प्रान्त में मंगलवार को हनुमानजी का दिन बताया गया है। इसलिए इस दिन हनुमानजी की पूजा करने का विशेष महत्त्व है। भारत के अलग अलग प्रान्त में मंगलवार के साथ साथ शनिवार को भी हनुमानजी का दिन माना जाता है। इसीलिए इन दोनों दिनों का बहुत महत्व है। भक्तगण इन दिनों में हनुमान चालीसा, सुंदरकांड आदि का पाठ करते हैं। इस दिन हनुमानजी की प्रतिमा पर तेल तथा सिन्दूर भी चढ़ाया जाता है।
ये भी पढ़े…
- लोगों को गैर संचारी रोगों के प्रति भी सतर्क रहने की है जरूरत
- लालू यादव की रिहाई में विलेन बना कोरोना,करना पड़ सकता है इंतजार.
- नक्सलियों ने गोईलकेरा में लैंडमाइंस विस्फोट कर उड़ायी पुलिया
- बिहार में कोरोना संक्रमण की दर और बढ़ी,11,801 नए संक्रमित.
- रेलकर्मी की मौत, गुस्साए परिजनों के बाद नर्स को पीटा.
- कोरोना के 3.52 लाख नए केस, 2,812 की मौत.