देश की जनता अब बस देश में बदलाव चाहती है
किसान-मजदूरों, छात्र-युवाओं पर किए गए अत्याचार और अहंकार ने मोदी-भाजपा को हराया: राहुल कुमार यादव
श्रीनारद मीडिया, पंकज मिश्रा, छपरा (बिहार):
एआईएसएफ बिहार के राज्य सह सचिव राहुल कुमार यादव ने बयान जारी कर कहा है कि पश्चिम बंगाल, केरल में भाजपा की बुरी तरह से हार सहित अन्य तीन राज्यों के चुनावी परिणामों ने यह साबित कर दिया है कि अहंकार को एक दिन टूटना ही होता है. अहंकार की नियति ही टूटना है. इतिहास गवाह है कि किसी का भी अहंकार कभी ज्यादा वक़्त तक नहीं रहा. इस अहंकार की वजह से बड़ी-बड़ी सल्तनतें नेस्तनाबूद हो गईं. किसी हुकूमत को बदलते हुए वक़्त नहीं लगता. बस देर होती है अवाम के जागने की. जिस दिन अवाम बेदार हो जाती है, जाग जाती है, उसी दिन से हुक्मरानों के बुरे दिन शुरू हो जाते हैं, उनका पतन शुरू हो जाता है. पांच राज्यों के चुनावी परिणामों से अब साफ हो गया है कि अहंकार के मद में चूर मोदी सरकार के छात्र-युवाओं, किसान-मजदूरों के साथ किए जा रहे अत्याचार देश की आवाम और बर्दाश्त नहीं करेगी, मोदी-भाजपा की अहंकारी सरकार के बुरे दिनों की शुरुआत हो गई है. अमूमन देखा जाता है कि जब कोई पार्टी सत्ता में आ जाती है, तो उसे घमंड हो जाता है. राजनेता बेलगाम हो जाते हैं. उन्हें लगता है कि सत्ता उनकी मुट्ठी में है, वे जो चाहें कर सकते हैं. उन्हें टोकने, रोकने वाला कोई नहीं है. साल 2014 या 2019 के आम चुनावों के पहले भारतीय जनता पार्टी ने जनता से बड़े-बड़े वादे किए थे. उन्हें ख़ूब सब्ज़ बाग़ दिखाए थे, लेकिन सत्ता में आते ही अपने वादों से उलट काम किया. भारतीय जनता पार्टी ने महंगाई कम करने का वादा किया था, लेकिन उसके शासनकाल में महंगाई आसमान छूने लगी है. भारतीय जनता पार्टी ने महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले अत्याचारों पर रोक लगाने का वादा किया था, लेकिन आए-दिन महिला शोषण के दिल दहला देने वाले मामले सामने आने लगे. भारतीय जनता पार्टी ने किसानों को राहत देने का वादा किया था, लेकिन किसानों के ख़ुदकुशी के मामले थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. किसानों को अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ा. भारतीय जनता पार्टी ने युवाओं को रोज़गार देने का वादा किया था, लेकिन रोज़गार देना तो दूर, नोटबंदी और जीएसटी लागू करके जो उद्योग-धंधे चल रहे थे, उन्हें भी बंद करने का काम किया है. जो लोग काम कर रहे थे, वे भी रोज़ी-रोटी के लिए तरसने लगे. भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने देश में बेहतर शिक्षा व्यवस्था लागू करने का वादा किया था लेकिन नई शिक्षा नीति लाकर, शिक्षा को पूंजीपतियों के हवाले कर, शिक्षा को आम गरीब छात्रों के पहुंच से दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. जो भी फ़ैसले ले रही है, उनसे सिर्फ़ बड़े उद्योगपतियों को ही फ़ायदा हो रहा है. दरअसल, एक तरफ़ केन्द्र की मोदी सरकार अमीरों को तमाम सुविधाएं दे रही है, उन्हें करों में छूट दे रही है, उनके कर माफ़ कर रही है, उनके क़र्ज़ माफ़ कर रही है. वहीं दूसरी तरफ़ ग़रीब जनता पर आए दिन नये-नये कर लगाए जा रहे हैं, कभी स्वच्छता के नाम पर, तो कभी जीएसटी के नाम पर उनसे वसूली की जा रही है. खाद्यान्नों और रोज़मर्रा में काम आने वाली चीज़ों के दाम भी लगातार बढ़ाए जा रहे हैं. कोरोना मरीज़ों सहित अन्य मरीजों के लिए इलाज कराना भी मुश्किल हो गया है. ऑक्सीजन सीलेंडर, दवाओं यहां तक कि जीवन रक्षक दवाओं और ख़ून के दाम भी बहुत ज़्यादा बढ़ा दिए गए हैं. ऐसे में ग़रीब मरीज़ कैसे अपना इलाज कराएंगे, इसकी सरकार को ज़रा भी फ़िक्र नहीं है. गंभीर बीमारियों से सरकार की अव्यवस्थाओं के कारण हजारों लोग रोज दम तोड़ रहे हैं, लेकिन सरकार का सारा ध्यान जनता से कर वसूली पर ही लगा हुआ है. वैसे भी प्रधानमंत्री ख़ुद कह चुके हैं कि उनके ख़ून में व्यापार है.
देश की अवाम अब आरएसएस-भाजपा की गरीब विरोधी एजेंडे को पहचान चुकी है, जागने लगी है. इसी का नतीजा है कि उसने पश्चिम बंगाल, केरल, सहित अन्य राज्यों में भाजपा को सत्ता से बहुत दूर उखाड़ कर फेंक दिया है.
देश की आवाम ने भाजपा को उखाड़ फेंकने वाली पार्टियों को हुकूमत सौंप दी. देश की जनता समझ चुकी है कि देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने हैं, छात्र-युवाओं, किसान-मजदूरों के अच्छे दिन तभी आएंगे जब अहंकारी, अत्याचारी मोदी-भाजपा को पूरे देश की सत्ता से सफाया किया जाएगा.
देश की आवाम सब मिलजुल कर चैन-अमन के साथ रहने, आम जनता का विकास-देश का विकास में यक़ीन रखती है. जनता अब बस देश में बदलाव और बदलाव चाहती है.
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