देशव्यापी लाॅकडाउन पर हो विचार, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को दिया सुझाव.

देशव्यापी लाॅकडाउन पर हो विचार, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को दिया सुझाव.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कोरोना की दूसरी लहर पर जल्द से जल्द नियंत्रण के लिए एक बार फिर से संपूर्ण लाॅकडाउन लगाने की जरूरत पर बहस छिड़ गई है। लाॅकडाउन से अर्थव्यवस्था किस तरह चरमराती है यह देश देख चुका है, लेकिन इस बार उद्योग जगत की तरफ से ही इसकी मांग की जाने लगी है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- केंद्र जन कल्याण के हित में लाॅकडाउन लगाने पर करे विचार

रविवार रात जारी एक आदेश में जहां सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह जनहित को ध्यान में रखते हुए लाॅकडाउन के विकल्प पर विचार करे ताकि कोरोना वायरस के विस्तार को रोका जा सके।

सीआइआइ ने कहा- लोगों के कष्ट को कम करने के लिए लाॅकडाउन का समर्थक हूं

वहीं, देश के सबसे बड़े उद्योग चैंबर सीआइआइ ने भी सरकार से आग्रह किया है कि वह देश में आम लोगों के कष्ट को कम करने के लिए व्यापक स्तर पर आर्थिक गतिविधियों को सीमित करने का कदम उठाए। देश के छोटे व्यापारियों व खुदरा कारोबारियों का संगठन सीएआइटी पहले से ही लाॅकडाउन के समर्थन में है।

पिछली बार लाॅकडाउन की आलोचना हुई थी, इस बार बाहर से ही सरकार पर दबाव है

ध्यान रहे कि पिछली बार जब कोरोना ने पैर फैलाने शुरू किए थे तो सरकार की तरफ से लाॅकडाउन के फैसले की कड़ी आलोचना हुई थी, लेकिन इस बार बाहर से ही सरकार पर दबाव बढ़ाया जाने लगा है। कोरोना मामले पर सरकार की तैयारियों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हम केंद्र व राज्य सरकारों से गंभीरता से आग्रह करते हैं कि वे किसी भी तरह की भीड़ एकत्रित होने या सुपर स्प्रेडर समारोहों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करें। वे आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए वायरस की दूसरी लहर के विस्तार पर रोक लगाने के लिए लाकडाउन पर भी विचार कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव देकर सरकार के लिए लाॅकडाउन पर फैसला करना आसान कर दिया

जानकारों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह का सुझाव देकर सरकार के लिए लाॅकडाउन पर फैसला करने का रास्ता आसान कर दिया है। वैसे केंद्र सरकार का अभी तक लाॅकडाउन करने का विचार नहीं है। पिछले महीने के शुरुआत में जब कोरोना की दूसरी लहर पूरे देश को तेजी से चपेट में ले रही थी तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में भी कहा था कि लाॅकडाउन अंतिम विकल्प होना चाहिए।

सीआइआइ ने सरकार से किया आग्रह, कहा- लाॅकडाउन को लेकर उठाएं कदम

सीआइआइ की तरफ से रविवार देर रात जारी बयान में सरकार से आग्रह किया गया है कि वह लाॅकडाउन को लेकर कदम उठाए। सीआइआइ के अध्यक्ष उदय कोटक ने कहा कि महामारी की मौजूदा स्थिति को देखते हुए लोगों का जीवन बचाना सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए और राष्ट्रीय स्तर पर वायरस के विस्तार पर रोक लगाने के लिए अधिकतम कार्रवाई करने की जरूरत है।

रफ्तार से फैल रहा वायरस से बड़ी संख्या में लोगों की जान जा रही

केंद्र व राज्यों की तरफ से हेल्थ सेक्टर में ढांचागत स्थिति और सप्लाई सुधारने की जो कोशिश हो रही है उसका असर दिखने में समय लगेगा। अभी बड़ी संख्या में लोगों की जान जा रही है। जिस रफ्तार से वायरस फैल रहा है उसे देखते हुए हास्पिटल बेड, आइसीयू बेड, ऑक्सीजन व दवाइयों की मांग भी बढ़ेगी और डाॅक्टरों व नर्सिंग कर्मचारियों पर दबाव भी बढ़ेगा। इसे ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रखा जा सकता। हमें इस चुनौती को पार करने के लिए देश के भीतर और बाहर से विशेषज्ञों की राय भी लेनी चाहिए। जब वायरस के विस्तार की चेन खत्म होगी तभी हम अपनी क्षमताओं के विस्तार का कदम उठा सकेंगे।

सीआइआइ ने देश में सेना व दूसरे सुरक्षा बलों को तैनात करने का दिया सुझाव 

सीआइआइ की तरफ से देश में सेना व दूसरे सुरक्षा बलों को तैनात करने का सुझाव भी दिया गया है ताकि ढांचागत सुविधाओं का विस्तार हो सके। इन सुरक्षा बलों की मदद से स्कूलों, कालेजों, पार्क आदि में कोरोना केंद्र बनाने की शुरुआत हो सकती है। कोरोना की बेकाबू रफ्तार पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से लाॅकडाउन पर विचार करने की बात कही है।

सुप्रीम कोर्ट ने की गरीब तबके के लिए विशेष इंतजाम करने की सिफारिश

कोर्ट के मुताबिक, विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले समुदायों पर लाॅकडाउन का असर पड़ सकता है, उनके लिए खास इंतजाम किए जाएं। इन समुदायों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पहले से ही व्यवस्था की जानी चाहिए।

राज्यों के साथ मिलकर ऑक्सीजन का बफर स्टाक तैयार करे

कोरोना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह आपात स्थिति से निपटने के लिए राज्यों के साथ मिलकर ऑक्सीजन का बफर स्टाक तैयार करे और इस आपात स्टाक को अलग-अलग जगह रखा जाए।

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