कोरोना महामारी में भारत की मदद में आगे आए 40 देश.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत में तेजी से बढ़ते कोरोना मरीजों की संख्‍या और प्रतिदिन बढ़ती मौतों के बीच दुनिया के कई मुल्‍क मदद के लिए आगे आए हैं। इसके पूर्व भारत ने वैक्‍सीन मैत्री योजना के जरिए कई मुल्‍कों को कोरोना वैक्‍सीन की आपूर्ति की थी, लेकिन आज स्थिति उलट गई है। भारत कोरोना की दूसरी लहर की मार झेल रहा है। देश में कोरोना महामारी के कारण उपजी अभूतपूर्व स्थिति को देखते हुए दुनिया के 40 देशों से सहयोग की पेशकश की है।  आइए जानते हैं कि क‍िन मुल्‍कों से किस तरह की सामग्री भारत को पहुंचाई जा रही है।

40 देशों से अधिक देश भारत को कर रहे मदद

भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया कि 40 देशों से अधिक देश भारत को सहायता देने के लिए आगे आए हैं। उन्‍होंने कहा कि देश में कोरोना संक्रमण के कारण उत्‍पन्‍न अभूतपूर्ण स्थिति को देखते हुए अमेरिका, रूस, यूरोप, ऑस्‍ट्रेलिया, न्‍यूजीलैंड, यूएई, खाड़ी देशों, पड़ोसी देशों सहित 40 देशों से सहयोग की पेशकश की गई है।उन्‍होंने कहा कि सिर्फ विकसित देश ही नहीं,  बल्कि मॉरिशस, बांग्लादेश और भूटान जैसे पड़ोसी भी जो भी संभव हो सकता था, वो सहायता देने के लिए आगे आए हैं। उनके अनुसार भारत को खाड़ी के देश, यूएई, बहरीन, कतर, सऊदी अरब, ऑस्ट्रेलिया, न्‍यूजीलैंड और भौगोलिक रूप से दूर गुयाना जैसे देशों से सहायता आ रही है।  इसके अलावा यूरोप के देशों ने भी मदद भेजने का वादा किया है।  उनके अनुसार दो हजार ऑक्‍सीजन कॉन्‍सेंट्रेटर्स और 500 ऑक्‍सीजन सिलेंडर सहित ऑक्‍सीजन बनाने वाले उपकरणों की एक बड़ी खेप अमेरिका से आ रही है। इससे 2 करोड़ 80 लाख लीटर ऑक्‍सीजन बनाने की क्षमता है।

मदद में आगे आया अमेरिका

अमेरिका से एंटीवायरल ड्रग रेमेडेसिविर की 20 हजार खुराक की पहली किश्त में भेजी जा रही है। अमेरिका से 1100 ऑक्‍सीजन सिलेंडरों की शुरुआती खेप भारत आ रही है। इससे भारत के स्‍थानीय सप्‍लाई केंद्रों पर ऑक्‍सीजन की बार-बार रिफ‍िल करना संभव होगा। अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ने भी स्‍थानीय रूप से ऑक्‍सीजन सिलेंडरों की खरीद की है और इसे भारत भेजा जा रहा है।

इसके अलावा 1700 ऑक्‍सीजन कॉन्‍सेंट्रेटर्स ऐसे हैं, जो वातावरण से ऑक्‍सीजन लेकर उपचार के लिए मुहैया कराते हैं। अमेरिका, भारत को ऑक्‍सीजन जेनरेशन यूनिट्स भारत को दे रहा है। डेढ़ करोड़ एन-95 मास्‍क भी भारत को भेजा जा रहा है। इसके अलावा प्रमुख बात यह है कि अमेर‍िका ने एस्‍ट्राजेनेका वैक्‍सीन बनाने के लिए कच्‍चा माल भारत को भेजने का फैसला लिया है। अमेरिका 10 लाख रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्टिंग किट भारत को भेज रहा है। इसकी खासियत यह है कि यह टेस्ट 15 मिनट से कम समय में विश्वसनीय परिणाम देते हैं।

भारत की मदद में आगे आया फ्रांस

संकट के समय फ्रांस ने भी भारत की मदद के लिए आगे आया है। फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैनुएल मैक्रो ने कहा है कि हमारा देश भारत को मेडिकल उपकरण, वेंटिलेटर, ऑक्‍सीजन और आठ ऑक्‍सीजन जेनरेटर भेजेगा। उन्‍होंने कहा है कि यह जेनरेटर वातावरण की हवा से ऑक्‍सीजन का उत्‍पादन करके एक अस्‍पताल को 10 साल तक के लिए आत्‍मनिर्भर बना सकता है। उन्‍होंने कहा कि भारत एक मुश्किल दौर से गुजर रहा है। मैक्रो ने कहा कि इस मुश्किल दौर में हम भारत के साथ खड़े हैं। राष्‍ट्रपति ने कहा कि हमारा मंत्रालय कड़ी मेहनत कर रहा है। भारत की मदद के लिए फ्रांसीसी कंपनियां भी मदद पहुंचाने के लिए लामबंद हो रही हैं।

ब्रिटेन से आ रहे हैं जरूरी चिकित्‍सा उपकरण

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि हम एक मित्र और भागीदार के रूप में भारत के साथ कंधा मिलाकर चल रहे हैं। सैकड़ों ऑक्‍सीजन कॉन्‍सेंट्रेटर्स और वेंटिलेटर सहित जरूरी चिकित्‍सा उपकरण अब ब्रिटेन से भारत भेजा जा रहा है। शुरुआत में कुल 495 ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर्स, 120 नॉन-इनवेसिव वेंटिलेटर और 20 मैनुअल वेंटिलेटर सहित आपूर्ति के नौ एयरलाइन कंटेनर लोड भेजे जा रहे हैं।

ऑस्ट्रेलिया ने भेजी मदद

ऑस्ट्रेलिया से भी जरूरी सामानों की आपूर्ति की जा रही है। ऑस्‍ट्रेलिया 100 ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर्स भारत को भेज रहा है। ऑस्ट्रेलिया 509 वेंटिलेटर, दस लाख सर्जिकल मास्क, पांच लाख पी-2 और एन-95 मास्क, एक लाख सर्जिकल गाउन, एक लाख गॉगल्स, एक लाख जोड़े दस्ताने और 20 हज़ार फेस शील्ड भारत भेज रहा है।

रूस ने भेजा ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर व वेंटिलेशन उपकरण

रूस से भी भारत को जरूरी सामान की आपूर्ति की जा रही है। भारत में रूस के राजदूत निकोले कुदाशेव के मुताबिक रूस से दो तत्काल उड़ानें भारत में 20 टन के भार का मेडिकल कार्गो लेकर आ चुकी हैं। इसमें ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर, वेंटिलेशन उपकरण, बेडसाइड मॉनिटर, कोरोनाविर सहित अन्य दवाएं और अन्य जरूरी मेडिकल सामान है।

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