शिव के डमरू की आवाज की क्षमता, जानकर आप चौंक जाएंगे
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
हिन्दू धर्म का नृत्य, कला, योग और संगीत से गहरा नाता रहा है। हिन्दू धर्म मानता है कि ध्वनि और शुद्ध प्रकाश से ही ब्रह्मांड की रचना हुई है। आत्मा इस जगत का कारण है। हिन्दू धर्म में कुछ ध्वनियों को पवित्र और रहस्यमयी माना गया है। जैसे, मंदिर की घंटी, शंख, बांसुरी, वीणा, मंजीरा, करतल, पुंगी या बीन, ढोल, नगाड़ा, मृदंग, चिमटा, तुनतुना, घाटम, दोतार, तबला और डमरू।
क्या है डमरू :
डमरू का हिन्दू, तिब्बती और बौद्ध धर्म में बहुत महत्व माना गया है। भगवान शंकर के हाथों में डमरू को दर्शाया गया है। साधु और मदारियों के पास अक्सर डमरू मिल जाएगा।
रिसर्च अनुसार जब डमरू बजता है तो उसमें से 14 तरह के साऊंड निकलते हैं। पुराणों में इसे मंत्र माना गया। यह साऊंड इस प्रकार है:- ‘अइउण्, त्रृलृक, एओड्, ऐऔच, हयवरट्, लण्, ञमड.णनम्, भ्रझभञ, घढधश्, जबगडदश्, खफछठथ, चटतव, कपय्, शषसर, हल्। उक्त आवाजों में सृजन और विध्वंस दोनों के ही स्वर छिपे हुए हैं।
डमरू की आवाज लय में सुनते रहने से मस्तिष्क को शांति मिलती है और हर तरह का तनाव हट जाता है। इसकी आवाज से आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियां भी दूर हो जाती है।
डमरू भगवान शिव का वाद्ययंत्र ही नहीं यह बहुत कुछ है। इसे बजाकर भूकंप लाया जा सकता है और बादलों में भरा पानी भी बरसाया जा सकता है। डमरू की आवाज यदि लगातर एक जैसी बजती रहे तो इससे चारों और का वातावरण बदल जाता है। यह बहुत भयानक भी हो सकता है और और सुखदायी भी।डमरू के भयानक आवाज से लोगों के हृदय भी फट सकते हैं।
कहते हैं कि भगवान शंकर इसे बाजाकर प्रलय भी ला सकते हैं। यह बहुत ही प्रलयंकारी आवाज सिद्ध हो सकती है। डमरू की आवाज में कई रहस्य छिपे हुए हैं।
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