नहीं रहे सीवान के पूर्व एसडीओ जनाब फेराक अहमद साहब
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
जनाब फेराक अहमद साहब【से.नि.भा.प्र.से.】 (भूतपूर्व जिलाधिकारी, किशनगंज एवं भूतपूर्व अनुमंडलाधिकारी, सीवान) भी आज हम सबसे बिछुड़ गये।यह जानकारी मुझे डा.एजाजी साहब ,पूर्व एस.डी.ओ.सीवान के फेसबुक पोस्ट से मिली है।
फेराक साहब मतलब एक ऐसे इंसान जो सबको सहज भाव से स्नेह देते थे,सबसे गर्मजोशी से मिलते थे,कितनी भी परेशानी में रहो वे उससे उबरने की झट रूपरेखा तैयार कर देते थे,अपने मजाकिया अंदाज में हंसाते- हंसाते धीरे से कोई ऐसी बात भी कह देते थे जो कटु सत्य होती थी और जिसे कहने में ताकतवर इंसान भी दस बार सोचे।
वे सीवान में जब अनुमंडलाधिकारी थे तो उनके साथ काम करने का मौका मिला।थोड़ी- बहुत उर्दू शब्दों को जानने-बोलने की जो सलाहियत मैंने अरजी, उसमें फेराक साहब जैसे बड़े भाइयों का बहुत बड़ा योगदान है।
फेराक साहब की भोजपुरी भी लाजवाब थी।अपने चेंबर में भी किसी भोजपुरी भाषी के मिल जाने पर खूब मजे से भोजपुरी में ही उससे बतियाना पसंद करते थे।उनकी किसी बात पर जब मैं क्रास करता तो घुड़की के साथ कहते-“पठकऊ हुकइब का तू?कूहि देब।” फिर तुरंत कहते-” इयार होखे त भाई तोहरे लेखां।फटाक से सुना देलिस।” बहुत स्नेह देते थे अपने सहकर्मियों को फेराक साहब।पटना में भी कई दफे भेंट हुई।वही अंदाज ,वही मस्ती,वही खुलापन।
अपनी सरकारी सेवा में जिन चंद अफसरों से भरपूर स्नेह मुझे मिला ,उनमें फेराक साहब अग्रपांक्तेय हैं।
अदब से ताल्लुकात रखनेवालों को खूब चाहते थे,उनकी खूब कद्र करते थे।।सीवान में कमर साहब,कौसर साहब ,भाई सुनील तंग जी,रियाज साहब जैसे अन्य कई शायर – फेराक साहब के डेरे पर जमनेवाली बैठकों के आकर्षण हुआ करते थे।
आज के कठिन दौर में जब धरती पर अच्छे इंसानों की जरूरत है ,ईश्वर एक -एक कर अच्छे लोगों को अपने पास बुलाकर अपना दरबार सजाता जा रहा है।फेराक साहब बेशक उस दरबार के नवरत्नों में ही शुमार होंगे और उन्हें वहां अच्छी मुकाम हासिल होगी।
फेराक साहब जैसे इंसान को भूल पाना नामुमकिन होता है।अल्लाह उनकी आत्मा को चिरशांति दे और परिजनों को इस दारुण दुख को बर्दाश्त करने की ताकत बख्शे।नमन फेराक सर।
साभार : डा0 सुनील कुमार पाठक के फेसबुक वॉल से
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