बिहार की दुर्दशा: स्वास्थ्य विभाग और नीतीश सरकार की नाकामी की पोल खोल रही है रुचि की क्रंदन
महामारी में भगवान का दर्जा प्राप्त डॉक्टर बने हैवान
श्रीनारद मीडिया, प्रसेनजीत चौरसिया, पटना (बिहार):
बिहार तेरी बेटी की क्या दुर्दसा है आ देख, देखते अगर जेपी तो सैलाब आता सड़को पे, लेकिन अभी देखने वाला कोई नहीं,भागलपुर ग्लोकल हॉस्पिटल, रुचि का पति मर गया 26 दिनों तक वो अस्पतालों के चक्कर काटती रही, भगवान का दर्जा प्राप्त डॉक्टरों का हैवानियत का शिकार बनती रही, रोती रही गिलगिलती रही,बिलखती रही, तड़पती रही लेकिन एक न सुने डॉक्टर,एक न सुनी नर्स, हैवानियत भारी नज़रो से जब ग्लोकल अस्पताल में रुचि को देखने लगे डॉक्टर तो बीमार पति बोला मर जाऊंगा भले ले चलो किसी दूसरे अस्पताल, मत बुलाना अस्पताल के स्टाफ को तुम खुद बदल देना मेरा डाइपर, तब बेहतर इलाज के लिए भागलपुर से बिहार की राजधानी पटना स्थित राजेश्वर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, वहाँ के सीनियर डॉक्टर अखिलेश भी रुचि को गलत नज़र से देखता था लेकिन पति की इलाज ने रुचि को ये सब सहने पर मजबूर कर रखा था.रुचि अस्पताल में ऑक्सीजन ज्यादा रुपयों में व्यवस्था करती थी,डेढ़ घंटे तक मास्क लगाकर ऑक्सीजन का पाइप लगाना भूल गए, खैर और बहुत कहानी बयां कर रही है. अंत मे रुचि का पति मर गया रुचि का एक बयान जो एक निजी चैनल पे चला वो सुनकर शायद की किसी को रोना न आए, लेकिन बेशर्म सरकार अपनी हदों को लांघ कर इतनी मदहोश बैठी है जिसका को हद हिसाब नही।सत्ता में बैठे लोगों की गलतियां भी वाहवाही बन बैठी है, और विपक्ष में बैठे लोगों का सामाजिक कार्य भी कोरोना नियम तोड़ रहा है। पिसती तो जनता है चाहे इधर से पीसे चाहे उधर से।
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