इजरायल ने हमास नेता का उड़ाया घर, P.M. ने कहा गाजा में हमारा अभियान जारी रहेगा.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
इजरायली सेना और आतंकी संगठन हमास के बीच संघर्ष सातवें दिन भी जारी रहा। शनिवार को गाजा शहर में 12 मंजिला इमारत अल जाला ध्वस्त किए जाने के विरोध में हमास ने रात भर में इजरायल पर 120 राकेट दागे। जवाब में इजरायल ने रविवार तड़के हवाई हमले कर हमास नेता का घर उड़ा दिया। इजरायल के ताजा हमलों में 13 बच्चों समेत 33 फलस्तीनी और मारे गए। इस संघर्ष में अब तक कुल 181 फलस्तीनी मारे जा चुके हैं जिनमें 52 बच्चे हैं।
इजरायली सेना ने रविवार को बताया कि गाजा शहर में शनिवार को ध्वस्त की गई अल जाला इमारत में हमास का भी आफिस था। हमने एक घंटे की पूर्व चेतावनी देकर इस बिल्डिंग को उड़ा दिया। इजरायली सेना ने रविवार को तड़के दक्षिण गाजा के शहर खान यूनुस में हमास नेता यहिया अल सिनवार का घर उड़ा दिया। ये वर्ष 2011 में इजरायल की जेल से छूटा था। वह हमास की सैन्य और राजनीतिक शाखा का प्रमुख है। उधर हमास की ओर से लगातार राकेट हमले जारी रहने से तेल अवीव और बीरशेबा शहर में खतरे के सायरन बजते रहे। सायरन की आवाज पर शरण के लिए भागने की आपाधापी में दस इजरायली नागरिक घायल हो गए। इस संघषर्ष में अब तक दो बच्चों समेत 10 इजरायली मारे जा चुके हैं।
जब तक जरूरी होगा, गाजा में हमारा अभियान जारी रहेगा: नेतन्याहू
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि गाजा में जब तक जरूरी होगा हमारा सैन्य अभियान जारी रहेगा। यह लड़ाई हमने शुरू नहीं की इसलिए हमें कोई अपराधबोध नहीं है। इस जंग में हम इतना ख्याल जरूर रख रहे हैं कि सामान्य नागरिकों को जानमाल का नुकसान कम से कम हो। नेतन्याहू ने शनिवार को टीवी पर एक संदेश में कहा हमास नागरिकों की आड़ लेकर हमारे नागरिकों को निशाना बना रहा है। जबकि हम फलस्तीनी नागरिकों का पूरा ध्यान रख रहे हैं। हमारी कोशिश है कि सैन्य कार्रवाई में उन्हें कोई क्षति न हो या कम से कम क्षति हो।
इस्लामिक देशों के संगठन ने की आपात बैठक
गाजा में चल रही इजरायल की सैन्य कार्रवाई को लेकर दुबई में 57 इस्लामिक देशों के संगठन (OIC) ने रविवार को आपात बैठक आयोजित की। बैठक में ज्यादातर देशों ने संघर्ष के लिए इजरायल को दोषी ठहराते हुए उसे सबक सिखाने की बात कही। बैठक की शुरूआत में फलस्तीन के विदेश मंत्री रियाद मल्की ने इजरायल की कार्रवाई को कायराना बताते हुए कहा कि हमें अल्लाह को बताना है कि हम आखिरी दिन तक जंग लड़ेंगे। हालांकि मल्की की गाजा या उसके प्रशासन में कोई हैसियत नहीं है। आतंकी संगठन हमास ने वर्ष 2007 से वहां की प्रशासनिक व्यवस्था अपने कब्जे में कर रखी है। कुछ इस तरह के विचार तुर्की, ईरान और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों ने भी व्यक्त किए।
अफगानिस्तान और इजरायल के बीच विस्फोटक हो रहे हालातों पर विचार विमर्श के लिए सुरक्षा परिषद की एक मुख्य बैठक हो रही है। इसमें यूएन महासचिव एंटोनियो गुटारेस समेत मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष संयोजक टॉर वैनेसलैंड शामिल हैं। इससे पहले परिषद के सभी सदस्यों ने दोनों ही पक्षों से तनाव को कम करने और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने एक वक्तव्य में कहा है कि बीते दस दिनों के दौरान फिलीस्तीन और इजरायल के इलाकों में तेजी से हालात बिगड़े हैं। इसकी बड़ी वजह इजरायल द्वारा द्वारा पूर्वी येरूशेलम की शेख जर्राह बस्ती में फिलीस्तीन परिवारों को जबरन बदखल करना बनी है।
उनका ये भी कहना है कि रमजान के दौरान अल अक्सा मस्जिद के आसपास इजरायली फोर्स की तैनाती और हिंसा के बाद नस्लीय नफरत को बढ़ावा मिला जिसकी वजह से हालात और अधिक खराब हुए। दोनों तरफ से हो रही गोलाबारी में अब तक कई लोगों की जान जा चुकी है। बाशेलेट का ये भी कहना है कि दोनों ही तरफ से दिए गए भड़काऊ बयानों ने स्थिति को बिगाड़ने में आग में घी की तरह काम किया है। आपको बता दें कि गाजा पूरी तरह से हमास के नियंत्रण में है। यूनिसेफ के मुताबिक इजरायली हमले में बीती रात गाजा में 40 बच्चों की मौत हुई है। मिशेल बाशेलेट का ये भी कहना है कि फिलीस्तीन द्वारा इजरायल में रॉकेट से हमला करना युद्धापराध की श्रेणी में आता है। ये हमले ऐसे इलाकों में किए गए हैं जो घनी आबादी वाले हैं। इसी तरह से इजरायल ने भी गाजा के उन इलाकों में हमला किया है जो घनी आबादी वाला है।
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने अपने बयान में कहा है कि दोनों ही स्तर पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों की अवहेलना की गई है। इजरायल की ये जिम्मेदारी है कि वो गाजा पट्टी में मानवीय सहायता बेरोकटोक सहायता पहुंचने दे। जो भी इनका उल्लंघन करते हों उनको न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाना चाहिए। बाशेलेट ने अपील की है कि इन क्षेत्रों में भड़की हिंसा को रोकने के लिये तत्काल ठोस कार्रवाई की जाए। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के उल्लंघन की जांच करानी जरूरी है।
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