चीन के यान मंगल ग्रह पर पहुंचकर बनाया रिकॉर्ड, क्यों खास है ड्रैगन का ये मिशन?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
चीन ने मंगल ग्रह की सतह पर अपने यान चुरोंग की सॉफ्ट लैंडिंग कराकर ये साबित कर दिया है वो तकनीकी दृष्टि से काफी मजबूत है। दरअसल, चीन का ये यान अब तक वहां पर भेजे गए यानों में सबसे अधिक वजनी है। चीन का ये लैंडर 5 टन वजनी है। इतने वजन के साथ इस लैंडर की मंगल की सतह पर सफल वास्तव में एक बड़ी बात है। इस लैंडर में कई तरह के वैज्ञानिक उपकरणों से लैस है। वैज्ञानिकों के उम्मीद है कि ये तीन महीने तक सक्रिय रह सकता है।
चुरोंग का काम
ये लैंडर मंगल की सतह और उसकी अंदरुणी सतह पर शोध करेगा। इसके अलावा ये वहां पर पानी की मौजूदगी का भी पता लगाएगा। साथ ही लाल ग्रह पर मौजूद बड़ी बड़ी चट्टानों में मौजूद खनिजों को पता लगाएगा और मंगल के पर्यावरण की भी जानकारी धरती पर मौजूद कंट्रोल रूम को भेजेगा। चुरोंग रोवर यूटोपिया प्लेनीशिया में उतरा है। ये मंगल के उत्तरी गोलार्द्ध के दक्षिण क्षेत्र में बना करीब दो हजार मील चौड़ा बेसिन है। 2016 में नासा इसके शोध के दौरान इस नतीजे पर पहुंचा था कि वहां पर काफी बर्फ मौजूद है। चीन का रोवर यहां पानी की मौजूदगी के साथ जीवन का भी पता लगाएगा।
मंगल पर उतरने वाला तीसरा देश
मंगल पर इस कामयाबी के साथ वो ऐसा करने वाला दुनिया का तीसरा देश बन गया है। सोविसत संघ इस कामयाबी को पाने वाला पहला देश था। 2 दिसंबर 1971 को मार्स-3 लैंडर यान इस लाल ग्रह पर उतरा था। हालांकि सतह पर उतरने के बाद ये यान केवल 110 सैकेंड ही सक्रिय रहा था। लेकिन इसके साथ ही सोवियत संघ ने अपनी कामयाबी का झंडा अंतरिक्ष में लहरा दिया था। ये यान 1210 किग्रा वजनी था, जबकि ऑर्बिटर का वजर 3440 किग्रा का था। इसके इस यान के उतरने के साथ ही चीन ने एक रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया है। इसके बाद अमेरिका के वाइकिंग यान ने 20 जुलाई 1976 को इस लाल ग्रह पर उतरकर सफलता पाई थी। ये यान 2037 दिनों तक सक्रिय रहा है। हालांकि, इसको शोध के दौरान वहां पर जीवन के सुराग नहीं मिल सके। इस दौरान उसको वहां पर हाइड्रोजन, आक्सीजन और फास्फोरस जैसे तत्व मिला था। इस लैंडर का वजन 572 किग्रा था जबकि इसके ऑर्बिटर का वजर 883 किग्रा था।
अब तक ये लैंडर पहुंचे हैं मंगल पर
अमेरिका का वाइकिंग-2 1316 दिनों तक सक्रिय रहा था। इसने वहां पर आयरन, सिलिकॉन, मैग्नीशियम, सल्फर, एल्युमिनियम, कैल्शियम और टाइटैनियम की मौजूदगी का पता लगाया था। 4 जुलाई 1997 मार्स पाथफाइंडर मंगल ग्रह पर पहुंचा था। 25 जनवरी 2004 को ऑपरच्युनिटी मंगल की सतह पर पहुंचा था। इसके नाम यहां पर 5250 दिन सक्रिय रहने का रिकॉर्ड है। फीनिक्स 25 मई 2008 को मंगल की सतह पर पहुंचा था। इसने ही वहां पर मौजूद बर्फीली चट्टानों की मौजूदगी का संकेत दिया था। इसने वहां की मिट्टी में अम्लीय होने की पुष्टि की थी और वहां पर मैग्नीशियम, पोटैशियम की खोज की थी। 26 नवंबर 2018 इनसाइट ने वहां पर पहुंचकर कई तरह के शोध किए थे। इसकी लैंडिंग ज्वालामुखी वाले क्षेत्र में हुई थी। ये 901 दिनों तक सक्रिय रहा था। परसिवरेंस 18 फरवरी 2021 को जेजीरो क्रेटर में उतरा था।
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