कोई भी शुभ कार्य करने से पहले अवश्य कर लेने चाहिए ये छोटे-छोटे विचारः ज्योतिषीय परामर्श
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
अभी विवाह आदि शुभ संस्कारों का समय है. ज्योतिषशास्त्र में इन संस्कारों को लेकर कुछ मह्तवपूर्ण बातें कही गई हैं. कुछ ऐसे संयोगों के निर्णय के समय और मान्यताओं के बारे में उपयोगी बात बताई गई है. ये आपके जीवन से सीधा संबंध रखते हैं.
उनका विचार और पालन बहुत मुश्किल नहीं है. तो क्यों न उनको आजमाकर अशुभ प्रभावों की आशंका को समाप्त कर लिया जाए. आज मैं ऐसे ही शास्त्रसम्मत कुछ सुझाव रख रहा हूं.
विवाह में ज्येष्ठ का संयोग वर्जितः
ज्येष्ठ पुत्र और ज्येष्ठ पुत्री का विवाह ज्येष्ठ मास (मई, जून) में नहीं करना चाहिए. ज्योतिषशास्त्री तीनों ज्येष्ठ के संयोग को शुभ नहीं मानते. इससे बचने की सलाह देते हैं.
शुभ संस्कार में छह माह का हो अंतरः
छह माह के भीतर कोई भी दो संस्कार न करें. जैसे यदि घर में विवाह, मुंडन या जनेऊ जैसा कोई मांगलिक संस्कार हुआ हो तो छह माह के भीतर दूसरा मांगलिक संस्कार करने से बचना चाहिए. ऐसा करने से अशुभ फल का भय हो सकता है.
बेटे की शादी के छह माह के अंदर बेटी की शादी वर्जितः
पुत्र की शादी के छह माह के भीतर पुत्री की शादी से बचना चाहिए. पुत्र के विवाह के छह माह के भीतर घर से लक्ष्मी यानी पुत्री की विदाई को ज्योतिष में अच्छा नहीं माना जाता लेकिन पुत्री की विदाई के छह माह के भीतर वधू का आगमन शुभ माना जाता है.
यदि पुत्र के विवाह के छह माह के भीतर ही पुत्री का विवाह अत्यंत आवश्यक ही हो जाए तो सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र का जप करा लेना चाहिए. इसे अशुभ प्रभावों का नाश हो जाता है.
मंगलवार का कर्ज, जी का जंजालः
ऐसा माना जाता है कि यदि आपने मंगलवार को ऋण लिया है तो फिर उसे चुकाने में आपको बहुत तकलीफ होगी. आसानी से चुकाना सभव नहीं हो पाएगा. इसलिए चाहे बैंक हो य़ा किसी से व्यक्तिगत ऋण मंगलवार को कर्ज न लें.
कई बार स्थितियां आपके हाथ में नहीं होतीं. विवश होकर आपको मंगलवार को ही ऋण लेना पड़ रहा है तो ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करें और प्रार्थना करें कि आपको इससे शीघ्र मुक्ति में समर्थवान बनावें.
बुधवार को दिया उधार, नेकी कर दरिया में डालः
बुधवार को अपना धन दूसरे को ऋण के रूप में नहीं सौंपना चाहिए. बुधवार को दिए गए धन के वापस आने की संभावना काफी कम हो जाती है.
शुभ कार्य में भद्रा, राहु काल और रिक्ता का कर लें विचारः
भद्रा में कोई शुभ कार्य या नया कार्य नहीं करना चाहिए. कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष में जब तिथि के अनुसार भद्रा आए तो कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. उसमें विघ्न पैदा होने या अमंगल की आशंका रहती है.
राहु काल में भी कोई शुभ कार्य या मंगल कार्य नहीं करना चाहिए. उसके परिणाम विपरीत होने की पूरी आशंका रहती है.
रिक्ता तिथि में भी कोई नया कार्य आरंभ करने से यथासंभव बचना चाहिए. रिक्ता तिथि पखवाड़े की चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी को कहा जाता है. इसमें शुभ कार्य और नए कार्य वर्जित बताए गए हैं.
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