अनुवाद की गई रचना को मौलिक रचना का दर्जा देते ही विवाद समाप्त हो जाता है,क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
यह आश्चर्य की बात है कि बाइबल सबसे अधिक भाषाओं में अनुवाद की गई है और नंबर दो पर अगाथा क्रिस्टी हैं, जिन्होंने जासूसी किताबें लिखी हैं। धर्म की किताबों और जासूसी साहित्य के अनुवाद बहुत किए गए हैं। बाइबल के इतने अधिक अनुवाद का एक कारण तो यह है कि अंग्रेजों ने अनेक देशों पर शासन किया है। उनकी बंदूक के बैरल से ही निकलती है यह लोकप्रियता। उनकी अदालतों में बाइबल की शपथ अनिवार्य थी। भारत में उन्होंने बाइबल के स्थान पर गीता को रखा।
गौरतलब है कि अनगिनत लोगों ने बाबू देवकीनंदन खत्री की ‘चंद्रकांता’ और ‘भूतनाथ’ पढ़ने के लिए हिंदी सीखी। इन किताबों में भी मुख्य पात्र जासूस हैं, जो हुलिया बदलने में प्रवीण हैं और लखलखा सुंघाकर बेहोश करते हैं। गोयाकि लखलखा, एनेस्थीसिया का पूर्वज है। इसी विचार से यह मिथ भी रचा गया है कि आधुनिक हवाई जहाज का पूर्वज पुष्पक विमान रहा है।
हमें बहल जाने और भटक जाने में बड़ा मजा आता है। हम उस गौरव गाथा में मगन रहते हैं, जो हमने रची नहीं। प्रारंभिक दौर में यह फतवा जारी किया गया कि केवल ऊंची जाति में जन्मे लोग ही संस्कृत का उपयोग कर सकते हैं। इसी कारण ने अवाम को संस्कृत से दूर कर दिया और वह पाली में अभिव्यक्त हुआ। संस्कृत में सबसे अधिक शब्द रहे, प्रकृति का विवरण देने के लिए ही हजारों शब्द जिस समृद्ध भाषा में रहे, उसी भाषा के उपयोग से अवाम को वंचित रखा गया।
प्राचीन प्रार्थना के ग्रंथ मनुष्य को प्रकृति के रहस्य समझने में मदद करते हैं। जासूसी साहित्य, धरती पर किए गए अपराधों का रहस्य उजागर करता है। इस तरह दोनों विधाएं अपराध के कारण और अपराधी को दंडित करने से जुड़ी हैं। चर्च में कन्फेशन कक्ष होता है, जहां अपराध कबूल करने वाले की निजता की रक्षा की जाती है।
के.भाग्यराज की अमिताभ बच्चन और श्रीदेवी अभिनीत फिल्म ‘आखिरी रास्ता’ में कन्फेशन रूम का सटीक उपयोग किया गया है। अपराधी तीन कत्ल करने वाला है, यह बात पादरी को बताता है। इसी सूचना से नाटकीय घटनाओं का जन्म होता है। राज कपूर की ‘मेरा नाम जोकर’ में 16 वर्ष का छात्र कन्फेशन रूम में कहता है कि उसने अपनी शिक्षिका का इच्छा जगाने वाला शरीर देख लिया है।
मासूम बालक इसे गुनाह समझता है। शिक्षिका कहती कि किशोर वय में किया गया कोई काम अपराध नहीं होता। बालक कहता है कि शिक्षिका के शरीर में चलती लहरें उसके दिल में सांप की तरह रेंगती हैं और एक ही क्षण में वह वयस्क हो गया है। इस सीन में किशोर, शरीर की सड़क से आध्यात्मिकता की मंजिल की राह खोजता हुआ दुविधाओं के जंगल में भटक जाता है।
यह मन के द्वंद्व को अभिव्यक्त करने वाला सीन है। शेक्सपियर का एक पात्र अंतर्नाद करता है कि त्रासदी का कारण क्या है? उसने तो अपनी बेवफा मां को दंडित करने का विचार किया है, परंतु वह मां को कैसे मार सकता है? एक आवाज गूंजती है कि त्रासदी के लिए कौन जवाबदार है ? जवाब यह आता है अच्छाई और बुराई मनुष्य के हृदय में बसी है। मन के कुरुक्षेत्र में अच्छाई बनाम बुराई का द्वंद्व निरंतर जारी रहता है।
बाइबल के अनुवाद संस्करण को किंग्स बाइबल कहा जाता है, तो क्या मजदूर या किसान के अनुवाद संस्करण भी हैं ? पंजाब के हड़ताल पर बैठे किसानों की संस्था ने अपनी भावनाओं के रंग-रोगन व देखभाल में खर्च की जाने वाली रकम को महामारी के खिलाफ युद्ध में निवेश करने का फैसला किया है।
प्रकरण, ग्रंथों के अनुवाद का है। क्या अनुवादक द्वारा की गई गलती को मूल के लेखक की गलती माना जाएगा? अनुवाद में बहुत सा अर्थ खो जाता है। एक फिल्म का नाम है ‘लॉस्ट इन ट्रांसलेशन’। अनुवाद की गई रचना को मौलिक रचना का दर्जा देते ही विवाद समाप्त हो जाता है।
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