रोहिणी नक्षत्र: धान की खेती के लिए उपयुक्त है मौसम, किसानों ने खेतों में डालने लगे धान के
बीज
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
खेती-किसानी में नक्षत्र का विशेष महत्व माना जाता है। 25 मई को रोहणी नक्षत्र के आगमन होते ही किसान खरीफ फसल बोने की तैयारी में जुट गए हैं। हालांकि हाल के दिनों में बारिश नहीं होने के कारण खेतों में नमी की कमी है। बावजूद किसान बिचड़ा बोने के लिए खेतों की जुताई में जुट चुके हैं। इधर विभाग ने भी खरीफ फसल को बेहतर बनाने के लिए कमर कस लिया है।
किसान बताते हैं कि किसानी कार्यों के लिए रोहिणी नक्षत्र किसी उत्सव से कम नहीं होता है। 15 दिनों का यह समय धान फसल लगाने के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। इधर मंगलवार से रोहिणी नक्षत्र शुरू होने के साथ ही किसान खेती-बाड़ी के काम में जुट गए हैं। किसानों द्वारा भूमि पूजन कर खेती-बाड़ी का काम शुरू कर दिया गया है। पहले खेत की जुताई कर उनसे खर-पतवार को चुना जाएगा। फिर धान का बिचड़ा उसमें डाला जाएगा। हालांकि खेतों में नमी की कमी है। यदि बारिश नहीं हुई तो पहले सिंचाई कर खर-पतवार नाशक दवा का छिड़काव कर खेत को तैयार कर बिचड़ा बोया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि धान का बिचड़ा डालने के लिए रोहिणी नक्षत्र सबसे शुभ होता है। इस नक्षत्र में बोए जाने वाले बिचड़ा से धान का पौधा अधिक तेजी से विकास करता है तथा इसमें रोग लगने की संभावना भी कम होती है। रोहिणी नक्षत्र में धान के लगाए गए बिचड़ा से उत्पादन भी अधिक होता है।
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