भारत में बनी हुई है तीसरी लहर के आने की आशंका- यूएन.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत में कोरोना की दूसरी लहर को लेकर संयुक्त राष्ट्र की रैजिडेंट को-आर्डिनेटर रेनाटा डेजालिएन इसकी रफ्तार बेहद हैरान करने वाली है। इसको देखते हुए महामारी की तीसरी लहर को लेकर सरकार को अपनी पुख्‍ता तैयारी रखनी होगी। संयुक्‍त राष्‍ट्र को दिए एक इंटरव्‍यू में उन्‍होंने कहा कि संयुक्‍त राष्‍ट्र इस संकट के दौरान भारत के साथ खड़ा है और हर संभव मदद कर रहा है। उन्‍होंने कहा कि महामारी की पहली लहर के दौरान मामलों के तेजी से बढ़ने में 6-7 महीने का समय लगा था। इसलिए इसकी तैयारी के लिए भी समय मिल गया था। लेकिन दूसरी लहर के दौरान संक्रमण के मामले बड़ी तेजी से बढ़े।

भारत समेत पूरे विश्‍व ने इस महामारी को पहली बार झेला है। पहली लहर के बाद उम्‍मीद की जा रही थी कि हालात बेहतर हो जाएंगे। वहीं पहली और दूसरी लहर की बात करें तो दोनों में संक्रमण की रफ्तार में काफी अंतर था। इसलिए उस वक्‍त उससे बाहर निकलना आसान हो गया था। उनका ये भी कहना था कि पहली लहर से बाहर आने के बाद दूसरी लहर की आशंका बनी हुई थी। यही वजह थी कि इसकी तैयारी को लेकर सभी पूरी तरह से चौकस थे। लेकिन इस बार इसकी रफ्तार हमारी सोच से कहीं अधिक थी, जिसने सभी को हैरान कर दिया। उन्‍होंने माना कि भारत में अब हालात पहले की अपेक्षा काफी बेहतर हैं और विशाल जनसंख्‍या के बाद भी मामलों में अब लगातार गिरावट आ रही है। हालांकि उन्‍होंने कोरोना से हो रही मौतों पर चिंता जरूर जताई है। उनके मुताबिक भारत के अलग-अलग राज्‍यों में महामारी की लहर का प्रभाव भी अलग रहा है। देश्‍ में आई दूसरी लहर के दौरान अधिकतर लोग इससे प्रभावित हुए और इसकी चपेट में आए।

रेनाटा डेजालिएन का मानना है कि भारत में दूसरी लहर का चरम बिंदु अब आकर निकल गया है। इस विनाशकारी दूसरी लहर ने तीसरी लहर का मजबूती से सामना करने के लिए कई सबक भी सिखाए हैं। उन्‍होंने कहा कि ये पहले से पता था कि दूसरी लहर जरूर आएगी। लेकिन हम मान रहे थे कि ये भी पहले की ही तरह रहेगी। लेकिन इसके उलट सबकुछ हुआ जिससे सभी हैरान रहे। इस इंटरव्‍यू के दौरान उन्‍होंने ये भी कहा कि पहली और दूसरी लहर के बीच हुई लापरवाही भी खतरनाक साबित हुई है। उन्‍होंने ये भी माना है कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका लगातार बनी हुई है। उनके मुताबिक अब तक इस बात का पता नहीं है कि ये कैसी होगी। ये बेहद मुश्किल काम है। इसकी वजह उन्‍होंने वायरस के बारे में कम जानकारी का होना माना है।

यूएन अधिकारी ने कहा कि हम वायरस के बारे में अब भी काफी कुछ नहीं जानते हैं। इसलिए इसको ठीक से परिभाषित भी नहीं कर पा रहे हैं। उन्‍होंने कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर तेजी से वैक्‍सीनेशन करने पर जोर दिया है। उन्‍होंने माना है कि बीते कुछ समय में वैक्‍सीन उत्‍पादन में आई कमी की वजह से वैक्‍सीनेशन प्रोसेस में कुछ रुकावटे आई हैं लेकिन उन्‍होंने ये भी उम्‍मीद जताई है कि आने वाले दिनों में ये रुकावटे खत्‍म हो जाएंगी और अधिक से अधिक लोगों को सुरक्षित कर पाना संभव होगा।

इस इंटरव्‍यू में उन्‍होंने केंद्र और राज्‍यों द्वारा उठाए गए कदमों की भी सराहना की। उन्‍होंने कहा कि दोनों ही अपनी जगह पर इस महामारी को रोकने के लिए असाधारण प्रयास करते दिखाई दिए हैं। संयुक्‍त राष्‍ट्र का जिक्र करते हुए उन्‍होंने कहा कि ये वैश्विक संगठन अपनी विभिन्‍न एजेंसियों के माध्‍यम से हर संभव मदद उपलब्‍ध करवा रहा है। ऐसा सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया के दूसरे देशों के लिए भी किया जा रहा है। यूएन ने महामारी को देखते हुए देशभर में अपने 2600 स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों को तैनात किया हुआ है। । उन्‍होंने बताया कि हमने 10 हजार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर आयात किए और 72 ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करने पर भी काम किया। इसके अलावा जरूरी सामग्री की भी आपूर्ति सुनिश्चित की गई। उन्‍होंने कहा कि भारत में दूसरी लहर ऐसे समय में आई जब देश आर्थिक रूप से पिछड़ने के बाद दोबारा पटरी पर आ रहा था। उनका कहना था कि भारत जैसे देश में स्थिति को दोबारा सुधारने और अर्थव्‍यवस्‍था को पटरी पर लाने में वक्‍त लगता है।

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