गर्भ में पल रहे बच्चे पर न पड़े कोरोना का साया,पढ़ें डॉक्टर की सलाह
कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर में जहां बच्चों को प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है , वही अभी स्वास्थ्य विभाग की ओर से गर्भवती महिलाओं को भी अपनी सेहत को लेकर अलर्ट रहने की सलाह दी जा रही है। चिकित्सकों डॉ. जनमेजय कर की मानें तो प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में बहुत से बदलाव होते हैं। वहीं लॉकडाउन की वजह से मानसिक स्वास्थ्य पर ज्यादा असर पड़ सकता है। इसी वजह से गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से ख्याल रखने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से विशेष अहतियात बरतने के बारे में जानकारी दी जा रही है।
खतरे के लक्षण दिखें तो जाये स्वास्थ्य केंद्र
चिकित्सकों का कहना है कि यदि गर्भवती महिला में खतरे के कोई भी लक्षण हों या गर्भावस्था 6 माह या उससे अधिक का हो तो प्रसव पूर्व खून की जांच, अल्ट्रा साउंड सहित अन्य जांच डॉक्टर की सलाह पर जरूर करवाएं।
कोरोना संक्रमित होने पर तनाव न लें
यदि गर्भवती महिला कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाती है तो उसे आम कोविड मरीजों के समान ही कोरोना नियमों का पालन करना होगा। महिलाएं सबसे पहले खुद को आइसोलेट कर लें और किसी भी व्यक्ति से न मिलें। अगर घर में छोटे बच्चे हैं तो उनसे भी दूरी बनाकर रखें, डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दवा , काढ़ा और स्टीम लें। इस दौरान तनाव न लें।
जरूरी हैं 7 सावधानियां
– मास्क का उपयोग करें , आप घर पर भी आसानी से मास्क बना सकते है ।
– आपस में बातचीत करते समय कम से कम 1 मीटर की दूरी रखें और घर के अन्य सदस्यों से अलग एक कमरे में रहें।
– हर 4 से 6 घंटे में साबुन से हाथ धोये।
– मुख्यतः खाना बनाने और खाना खाने से पहले खांसते व छीकते समय साफ रूमाल या टिशू पेपर का प्रयोग करें।
– टिशू को कूडे दान में फेंके व रूमाल को अच्छे से धुलकर ही पुनः प्रयोग करें।
– पौष्टिक आहार लें, अच्छी नींद सोए व चिन्ता मुक्त रहें।
ये न करें कार्य
– किसी भी भीड़भाड़ वाली जगह जैसे कि बाजार, धार्मिक स्थान या पारिवारिक एवं धार्मिक आयोजन में बिल्कुल न जाए।
– बार-बार अपना चेहरा, नाक या आंख न छुएं।
ब्लड प्रेशर की मरीज रहे सतर्क
चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. जनमेजय कुमार ने बताया कि अगर किसी महिला को पहले से हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत है तो उसे गर्भावस्था के दौरान सचेत रहने की जरूरत है। कई बार गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को हाइपरटेशन की वजह से झटके आने लगते हैं। इसे प्री एक्लेमिशिया कहते हैं। ऐसे में जच्चा – बच्चा दोनों को खतरा हो सकता है। कई बार डिलीवरी के बाद भी महिलाओं को झटके आने लगते हैं। उसे गर्भावस्था के दौरान सचेत रहने की जरूरत है।