भारतीय रेल में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह के पर्दाफाश.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारतीय रेल में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले एक बड़े गिरोह के पर्दाफाश का दावा बिहार में आरपीएफ ने किया है। यह गिरोह बकायदा अपने शिकार युवाओं को ज्वाइनिंग लेटर देता था और कई महीने तक उनके बैंक खाते में सैलरी भी क्रेडिट करता था। इससे गिरोह की साख बनती थी और पहले से फंस चुके लोग नए शिकार दिलाते थे। इन्हें पकड़ने के लिए आरपीएफ को खूब पापड़ बेलने पड़े। आरपीएफ के जवान ऑटो चालक और खोमचा वाला बनकर गिरोह के अपराधी के आने का इंतजार करते रहे। यह गिरोह ग्रुप डी की नौकरी दिलाने के नाम पर पांच से सात लाख रुपए तक वसूलता था।
2019 से ही कर रहा था नौकरी दिलाने का धंधा
रेलवे में ग्रुप डी की नौकरी दिलाने के नाम पर पांच लाख रुपये लेकर फर्जी ज्वाइनिंग लेटर थमा कर ठगी कराने वाले गिरोह के एक सदस्य को आरपीएफ ने सोमवार की सुबह दबोच लिया। गिरफ्तार ठग की पहचान सारण जिले के ही अमनौर थाना क्षेत्र के मनी सिरिसियां गांव निवासी उद्धव प्रसाद गुप्ता के पुत्र प्रमोद कुमार गुप्ता के रूप में की गई। वह इस गिरोह से पिछले वर्ष 2019 से जुड़ा था।
अब गिरोह के सरगना की तलाश में जुटी पुलिस
पकड़ा गया शख्स छपरा जंक्शन परिसर में बुलाने पर पहुंचे तीन लड़कों को ज्वाइनिंग लेटर देने आया था। इस बात की जानकारी देते हुए आरपीएफ के सहायक कमांडेंट अमित गुंजन ने बताया कि गिरफ्तार ठग से की गई पूछताछ के आधार पर गिरोह की पहचान कर ली गई है। अब इसके सरगना एवं अन्य सदस्यों को गिरफ्तार करने के लिए छापेमारी की जाएगी। इस मामले में छपरा के पुराने कोङ्क्षचग इंस्टीट्यूट का नाम भी सामने आया है।
नाटकीय ढंग से हुई ठग की गिरफ्तारी
रेलवे में गैंगमैन, ट्रैक मेन एवं फीटर आदि ग्रुप डी में रुपये लेकर नौकरी देने का आश्वासन देकर युवकों को फंसाने वाले गिरोह के सदस्य को दबोचने के लिए आरपीएफ के पदाधिकारी एवं जवानों ने भी खूब नाटक किया। मंगलवार की रात उसके छपरा जंक्शन पहुंचने के बारे में सूचना के साथ उसका फोटो मिल चुका था।
बुधवार की सुबह किया गया गिरफ्तार
बुधवार की सुबह जंक्शन परिसर में आटो चालक एवं विभिन्न सामान बिक्री करने वाले का वेश धारण कर आरपीएफ के अधिकारी एवं जवान तैनात थे। वह जैसे ही बाइक से पहुंचा कि सभी धीरे धीरे उसे घेरे में लेने लगे। टिकट घर के सामने फर्जी ज्वाइनिंग लेटर देते हुए उसे आरपीएफ ने दबोच लिया। मौके से तीन लड़के हिरासत में लिए गए। जिनसे पूछताछ की गई।
विश्वास जमाने के लिए हर महीने खाते में जमा कराते हैं 20-25 हजार रुपये
पांच से सात लाख रुपये लेने के बाद गिरोह का सदस्य फंसाए गए युवकों का फर्जी योगदान भी कराता है। यही नहीं, कोरोना काल में नए लड़कों से काम नहीं लिया जाता, बोल कर काम पर नहीं बुलाया जाता है। लेकिन वेतन के नाम पर उनके खाते में तीन से चार महीने तक नियमित रूप से 20 से 25 हजार रुपये भेज दिया करता है। जिससे ये युवक अपने अन्य साथियों को इनके पास लेकर पहुंचते हैं।
ठग के पास से बरामद हुआ यह सामान
दानापुर रेल मंडल का कर्मी होने का उसका अपना फर्जी आइकार्, तीन फर्जी ज्वाइनिंग लेटर, युवकों का मूल शैक्षणिक प्रमाण पत्र, रेलवे जोन हाजीपुर का लेटर हेड, स्टांप एवं स्टांप पैड, कई लोगों के बैंक खाते के पासबुक व चेक बुक मिले हैं.
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