दाखिल खारिज के मामलों में सुस्त हैं बिहार के अधिकारी,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग का बड़ा एजेंडा है-म्यूटेशन। पिछले वित्तीय वर्ष (2020-21) में शीर्ष पर रखा गया था। मूल्यांकन के लिए तय सौ में से 50 अंक इसके लिए निर्धारित किए गए थे। फिर भी सभी अंचलों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। दर्जन भर अंचल ऐसे हैं, म्यूटेशन में जिनकी उपलब्धि 30 अंक हासिल करने लायक भी नहीं रही। टॉप 10 की सूची में आए अंचल भी म्यूटेशन के मोर्चे पर थोड़ा कमजोर पड़ गए। जबकि जमीन जायदाद का ज्यादा झगड़ा म्यूटेशन में गड़बड़ी के चलते होता है। हां, भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र के आवेदनों का निबटारा मुस्तैदी से से हुआ। 50 अंचलों की उपलब्धियां शत प्रतिशत रही।
बिहार में भूमि से सम्बंधित कामों में रसीद कटवाने या दाखिल खारिज से जुड़े कामों में लोगों को क्या फजीहत उठानी पड़ती है यह किसी से भी छुपा हुआ नहीं है।
बिहार में भूमि सुधार और विवाद को लेकर ठोस कदम उठाने का लगातार दावा करते रहे हैं.विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार है और बगैर पैसा लिये काम ही नहीं किया जाता है. ऑन लाइन दाखिल खारिज यानि म्यूटेशन से लेकर भूमि संबंधी मामलों के लिए लगातार अधिकारियों को दिशा निर्देश दिये जाते रहे हैं. लेकिन जमीन से संबंधित मामलों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है. जमीन की दाखिल-खारिज में खूब मनमानी होती है. बिना प्रॉपर डॉक्यूमेंट्स के ही दाखिल-खारिज करा दिया जाता है. रसूखदार तो पैसे के बल पर अपना काम करवा ले जाते हैं लेकिन आम आदमी पिसता रहता है. उनका काम आसानी से नहीं हो पाता है.
अंचल कार्यालयों में पदस्थापित कर्मचारी और अधिकारियों की मनमानी रुकने का नाम नहीं ले रहा है जिसके बाद लोगों को फजीहत से मुक्ति नहीं मिल पा रही है। कई फर्जी दाखिल खारिज को अब भी धररले से अंजाम दिए जा रहे हैं। यह बात आप को पढ़ कर हैरानी होगी ऐसी कोई भी बात नहीं है।
बिहार सरकार ने भू राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए या फिर लोगों को अपने कामों को निपटारा करने में दिक्कत न हो इसके लिए भू राजस्व विभाग के सारे ऑफिसों को ऑनलाइन कर दिया । यहां तक कि रजिस्टर टू से लेकर रसीद कटवाने से लेकर लगान रसीद और जितने भी जरूरी काम है उस सभी को ऑनलाइन करवाने का फैसला भू राजस्व विभाग ने किया लेकिन बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है.
भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र में सुधार
हां, एक मामले में सकारात्मक सुधार हुआ है। भूमि स्वामित्व प्रमाण यानी एलपीसी हासिल करना दुष्कर काम था। पिछले वित्तीय वर्ष में इस मामले में अंचलाधिकारियों ने कमाल किया है। दो सौ से अधिक अंचल ऐसे हैं, जहां एलपीसी के आवेदन 90 से सौ फीसद तक निबटा दिए गए। परिमार्जन मेंं भी 50 से अधिक अंचलों की उपलब्धि सौ फीसद रही।
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