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बंगाल में हिंसा के लिए बिहार से उठी आवाज,कैसे? - श्रीनारद मीडिया

बंगाल में हिंसा के लिए बिहार से उठी आवाज,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पश्चिम बंगाल में जारी विवाद और उस पर जारी सियासत को लेकर अब बिहार से भी आवाज उठने लगी है। बिहार की 25 शख्सियत ने राज्यपाल फागू चौहान को पत्र लिखकर बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद जारी हिंसा पर कार्रवाई की मांग की है। इस पत्र की प्रति राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी भेजी गई है।

पत्र लिखने वालों में 5 पद्मश्री सम्मानित शख्सियत
बिहार के राज्यपाल को पत्र लिखने वालों में अलग-अलग क्षेत्रों के 25 बुद्धिजीवी शामिल हैं। इनमें पद्मश्री से सम्मानित 5 शख्सियत डॉ. आरएन सिंह, डॉ. नरेंद्र प्रसाद, डॉ. जितेन्द्र सिंह, डॉ. श्याम शर्मा और डॉ. विमल जैन भी शामिल हैं। इस लिस्ट में पूर्व जस्टिस राजेन्द्र प्रसाद, कथक नित्यांगना और पूर्व IPS शोभना नारायणन, पूर्व थल सेनाध्यक्ष ले. जनरल अशोक चौधरी, IMA के अध्यक्ष डॉ. सहजानंद कुमार और पूर्व DGP डीएन गौतम के नाम भी हैं।

पत्र में 13 बातों का जिक्र किया गया

  1. बंगाल हिंसा ने संविधान, संवैधानिक संस्थाओं और भारतीय लोकतंत्र में हमारे दृढ़ विश्वास को झकझोर कर रख दिया है।
  2. 23 हिंसा-हत्या के, 4 बलात्कार के और बलात्कार की धमकी के 39 मामले दर्ज हो चुके हैं।
  3. 191 शेल्टर होम में कुल 6779 लोग शरण लिए हुए हैं।
  4. 2157 पार्टी कार्यकर्ताओं या समर्थकों पर हमला किया जा चुका है।
  5. भाजपा के 692 कार्यकर्ताओं को जान से मारने की धमकी दी गई है।
  6. 3886 लोगों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है।
  7. आसपास के राज्य जैसे असम में 1800 लोग आश्रय लिए हुए हैं।
  8. कुल पीड़ितों की संख्या 70 हजार से भी ज्यादा है और 3000 गांव इस हिंसा से प्रभावित हैं।
  9. मुख्य रूप से पीड़ितों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, गरीब जन, सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूह के लोग हैं। बड़े पैमाने पर महिलाएं भी इसकी शिकार हुई हैं।
  10. प्रशासन द्वारा लोगों की FIR दर्ज नहीं की जा रही है। महिलाओं की शिकायतों के लिए कोई मेडिकल जांच टीम भी नहीं है। कई मामलों में हत्या की FIR भी दर्ज नहीं की जा रही है।
  11. 23 लोगों की हत्या हो चुकी है, जिसमें अनुसूचित जाति के 11, अनुसूचित जनजाति के 1 और 3 महिलाएं शामिल हैं।
  12. जिन लोगों ने अपने लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल किया, उन लोगों के खिलाफ चुनावी बदले की भावना से ये हिंसा हो रही हैं।
  13. हिंसा करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। राज्य मशीनरी विशेष रूप से पुलिस की ओर से पीड़ित व्यक्तियों को कोई सहयोग नहीं मिल रहा है।

हिंसा के आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करें
अपने पत्र में इन बुद्धिजीवियों ने बंगाल में जारी हिंसा को तुरंत रोकने के साथ ही आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की है। साथ ही हिंसा रोकने के लिए संवैधानिक प्रावधानों का इस्तेमाल जल्द से जल्द किए जाने और हिंसा के शिकार हुए परिवारों के लिए मुआवजे की भी मांग की है।

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