चिट्ठी ना कोई सन्देश जाने वो कौन सा देश जहाँ तुम चले गए….
श्रीनारद मीडिया, चमन श्रीवास्तव, सीवान (बिहार):
चिट्ठी न कोई संदेश, जाने वो कौन सा देश, जहां तुम चले गए..। विष्णुपुरा के पूर्व संकुल समन्वयक मनोज कुमार सिंह के माता जी के निधन की खबर मिलते ही शिक्षक व प्रशंसकों के जेहन व जुबा पे जगजीत सिंह की उक्त मशहूर पंक्तियां बरबस उभर आई। अचानक मिली इस मनहूस खबर की लोगों ने कल्पना तक नहीं की थी। किसी को इसका आभास भी नहीं था कि गांधी मैदान के निकट स्थित सिटी मांटेसरी स्कूल की प्रतिमूर्ति मां सरस्वती अचानक दुनियां से विदा हो जाएंगी।
स्वजनों से मिली जानकारी के अनुसार गांधी मैदान व बुढ़िया माई के मंदिर के करीब स्थित घर पर अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई थी। पहले उनका ट्रीटमेंट सिवान के ही निजी अस्पताल में ही कराया गया। परंतु हालात में सुधार नहीं होने के कारण बेहतर इलाज के लिए पटना ले जाया गया। परंतु होनी को कुछ और ही मंजूर था। फलत: बुधवार को उनका निधन पटना के रूबन अस्पताल में हृदय गति रुकने से हो गया। वे तकरीबन 75 वर्ष की सरल स्वभाव, धर्मपरायण व सामाजिक महिला थी। वे अपने पीछे भरापूरा परिवार छोड़कर परलोक धाम को सिधार गई हैं । जमीन व लोगों से जुड़े हुए सीआरसीसी सह सक्रिय शिक्षक मनोज जी के माता जी के मौत की खबर सुनकर सिवान स्थित आवास पर उनके शुभचिंतकों का पहुंचना शुरू हो गया। हालांकि बुधवार को ही देर रात उनके शव को कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए दरौली श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया गया। मौत की खबर सुनकर पूरे शिक्षक समुदाय व उनके प्रशंसकों के बीच शोक की लहर छा गई है। विभिन्न शिक्षक संगठनों ने ईश्वर से उनके दिवंगत माता जी की शांति व शोक संतृप्त परिजनों को संबल प्रदान करने की प्रार्थनाएं की है। सभी शुभचिंतकों की संवेदनाएं मनोज जी व उनके परिजनों के साथ हैं। रिश्तेदारों व शुभचिंतकों ने नम आंखों से सादर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की है!
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